लोगों के लिए जितना जरूरी मंदिर है, उतना ही सुलभ शौचालय: एमपी हाई कोर्ट

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के एक हनुमान मंदिर के पास बन रहे सार्वजनिक शौचालय को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, शौचालय का स्थान बदलने की जरूरत नहीं।
जबलपुर हाईकोर्ट
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भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिर के पास बन रहे सार्वजनिक शौचालय को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि, "लोगों के लिए जितना जरूरी मंदिर है, उतना ही सुलभ शौचालय।" कोर्ट ने यह भी कहा कि शौचालय आसपास के स्थान को साफ-सुथरा रखता है न कि गंदगी फैलाता है।

दरअसल, नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के पास हनुमान जी का मंदिर है, और उसी मंदिर के पास ही सार्वजनिक शौचालय बन रहा था, शौचालय का निर्माण नगर परिषद द्वारा कराया जा रहा था। क्योंकि वहां आसपास कोई भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है।

मंदिर के पास बन रहे शौचालय के विरोध में हाईकोर्ट में एक पिटीशन कपिल दुबे नाम के व्यक्ति ने दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि, गाडरवारा नगर परिषद हनुमान जी मंदिर के पास सार्वजानिक शौचालय बनवा रहा है। अगर मंदिर के पास यह शौचालय बनता है तो ना सिर्फ वहां का वातावरण खराब होगा बल्कि मंदिर के आसपास फैलने वाला पानी मंदिर को दूषित करेगा। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि नगर परिषद के द्वारा बनाया जा रहा सुलभ शौचालय को मंदिर के पास उस स्थान पर नहीं बनने दिया जाए।

कपिल दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने अपने आदेश में लिखा कि, "सुलभ शौचालय गंदगी नहीं फैलाता बल्कि गंदगी को खत्म करता है, इससे मंदिर के आसपास का वातावरण खराब नहीं बल्कि अच्छा होगा, क्योंकि अभी इस क्षेत्र में लोग खुले में निस्तार कर रहे हैं। इसलिए शौचालय के स्थान को बदला नहीं जा सकता। लोगों के स्वास्थ्य के लिए यह भी जरूरी है।"

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब कपिल दुबे के एडवोकेट से शौचालय और मंदिर के बीच की दूरी पूछी तो वह इसका जवाब नहीं दें पाए। इधर, सरकारी वकील स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता कपिल दुबे इलाके का नामी बदमाश है, जिसके खिलाफ 17 से अधिक मामले लंबित है।

नगर परिषद गाडरवारा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाकर वह अपने क्षेत्र में दहशत को मजबूत करना चाहता है। उच्च न्यायालय ने दोनों अधिवक्ताओं का पक्ष सुनने के बाद यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया है कि, "लोगों के लिए जितना जरूरी मंदिर है, उतना ही सुलभ शौचालय।"

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