"मैं गुस्से में जवाब देने में अपनी मर्यादा भूल गया", ब्राह्मण समाज से अनुराग कश्यप ने दूसरी बार मांगी माफी

फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के खिलाफ देशभर में ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई गई है। मामले पर वह पहले भी एक बार समुदाय से माफी मांग चुके हैं.
Anurag Kashyap
फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप
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नई दिल्ली: 'फुले' फिल्म के विरोध के बाद से सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Instagram पर एक यूजर को दिए गए जवाब पर मशहूर फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप को ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी लगातार झेलनी पड़ रही है. उनके खिलाफ देशभर में ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई गई है। इन सबके बीच वह एक बार समुदाय से माफी मांग चुके हैं. लेकिन आज मंगलवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफोर्म एक्स पर फिर उन्होंने पूरे 'ब्राह्मण समाज' से स्पष्ट माफी मांगी है.

सोशल मीडिया पोस्ट में अनुराग ने लिखा कि, "मैं गुस्से में किसी को एक जवाब देने में अपनी मर्यादा भूल गया। और पूरे ब्राह्मण समाज को बुरा बोल डाला। वो समाज जिसके तमाम लोग मेरी जिंदगी में रहे हैं, आज भी हैं और बहुत कॉन्ट्रीब्यूट करते हैं। आज वो सब मुझसे आहत हैं। मेरा परिवार मुझसे आहत है। बहुत सारे बुद्धिजीवी, जिनकी मैं इज्जत करता हूं मेरे उस गुस्से में, मेरे बोलने के तरीके से आहत हैं।"

उन्होंने आगे लिखा, "मैंने खुद ही ऐसी बात करके, अपनी ही बात को मुद्दे से भटका दिया। मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं, इस समाज से जिनको मैं ये नहीं कहना चाह रहा था, लेकिन आवेश में किसी की घटिया टिप्पणी का जवाब देते हुए लिख दिया।"

"मैं माफी मांगता हूं अपने उन तमाम सहयोगी दोस्तों से, अपने परिवार से और उस समाज से, अपने बोलने के तरीके के लिए, अभद्र भाषा के लिए। अब आगे से ऐसा न हो, मैं उस पर काम करूंगा। अपने गुस्से पर काम करूंगा। और मुद्दे की बात अगर करनी हो तो सही शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। आशा है आप मुझे माफ कर देंगे," अनुराग कश्पय में लिखा.

पहले भी मांग चुके हैं माफी

इससे पहले, शुक्रवार को अनुराग कश्यप ने इस टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा था,

यह मेरी माफी है, मेरे पोस्ट के लिए नहीं, बल्कि उस एक पंक्ति के लिए जिसे संदर्भ से काटकर पेश किया गया और जिसके चलते घृणा फैल रही है। कोई भी बात या बयान इस लायक नहीं कि आपके परिवार, दोस्तों, बेटियों को बलात्कार और जान से मारने की धमकी मिले।

कश्यप ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, “जो कहा गया है, वो वापस नहीं लिया जा सकता और मैं उसे वापस नहीं लूंगा। आप मुझे गाली दीजिए, लेकिन मेरी फैमिली ने कुछ नहीं कहा। इसलिए अगर आपको माफी चाहिए, तो ये रही मेरी माफी। ब्राह्मणों से बस इतना कहूंगा कि महिलाओं को बख्शिए, इतना तो शास्त्रों में भी सिखाया गया है, सिर्फ मनुस्मृति में नहीं।”

क्या थी अनुराग की टिप्पणी?

16 अप्रैल को अनुराग कश्यप ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पर CBFC के सेंसरशिप फैसलों और भारत में जाति को लेकर चल रही बहस पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी। उन्होंने लिखा था:

"धड़क 2 की स्क्रीनिंग में सेंसर बोर्ड ने बोला, मोदी जी ने इंडिया में कास्ट सिस्टम खत्म कर दिया है। उसी आधार पे संतोष भी इंडिया में रिलीज़ नहीं हुई। अब ब्राह्मण को प्रॉब्लम है फुले से। भैया, जब कास्ट सिस्टम ही नहीं है तो काहे का ब्राह्मण। कौन हो आप। आप की क्यों सुलग रही है। जब कास्ट सिस्टम था नहीं तो ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई क्यों थे। या तो आप का ब्राह्मणिज़्म एक्सिस्ट ही नहीं करता क्योंकि मोदी जी के हिसाब से इंडिया में कास्ट सिस्टम नहीं है? या सब लोग मिलके सब को $#% बना रहे हो। भाई मिल के डिसाइड कर लो। इंडिया में कास्टिज़्म है या नहीं। लोग %$^ नहीं हैं। आप ब्राह्मण लोग हो या फिर आप के बाप हैं जो ऊपर बैठे हैं। डिसाइड कर लो।"

कश्यप ने व्यंग्यात्मक लहजे में CBFC के उस दावे पर निशाना साधता था, जो कथित तौर पर धड़क 2 की स्क्रीनिंग के दौरान किया गया कि भारत में जाति व्यवस्था खत्म हो चुकी है। इस तर्क का इस्तेमाल जाति से संबंधित फिल्मों को सेंसर करने या रोकने के लिए किया गया। वे सवाल उठाते हैं कि अगर जाति व्यवस्था नहीं है, तो फुले—जो सामाजिक सुधारक ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर आधारित है—पर ब्राह्मण समुदाय को आपत्ति क्यों है। उनकी पोस्ट में संतोष का ज़िक्र भी है संभवतः इसके जाति से जुड़े विषयों के कारण, जिसे भारत में रिलीज़ नहीं होने दिया गया।

जाति पर अपनी टिप्पणियों के अलावा, कश्यप ने CBFC की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, विशेष रूप से यह कि बाहरी समूहों को रिलीज़ न हुई फिल्मों तक कैसे पहुँच मिलती है। उन्होंने लिखा, “मेरा सवाल है, जब फिल्म सेंसरिंग के लिए जाती है, तो बोर्ड में चार सदस्य होते हैं। फिर बाहरी समूहों और संगठनों को फिल्म तक पहुँच कैसे मिलती है, जब तक कि उन्हें जानबूझकर पहुँच न दी जाए? पूरी प्रणाली ही गड़बड़ है।” उन्होंने पंजाब 95 और तीस जैसी अन्य फिल्मों का भी ज़िक्र किया, जिन्हें उन्होंने दावा किया कि “इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने” के लिए रोका गया।

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