आखिर क्यों मारा गया दलित गायक अमरसिंह चमकीला, 36 साल बाद भी रहस्य बनी है मौत?

अमर सिंह चमकीला का असली नाम धन्नी राम था। इनका जन्म 21 जुलाई 1960 को पंजाब, लुधियाना के पास डुगरी गांव में एक दलित सिख परिवार में हुआ था।
आखिर क्यों मारा गया दलित गायक अमरसिंह चमकीला, 36 साल बाद भी रहस्य बनी है मौत?

ना किसी से डर कर, ना किसी का सहारा लेकर, एक दलित गायक जिसने जो सुना और जो देखा बस उसे गानों का रूप दे दिया। उसे पसंद करने वाले लोगों की कमी भी नहीं है। इस बात को हूबहू एक्सेप्ट करके समाज के उस हिस्से का आइना, जिसके बारे में लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते हैं। उसे दिखाने का काम किया था अमर सिंह चमकीला ने। 

अमर सिंह चमकीला का असली नाम धन्नी राम था। इनका जन्म 21 जुलाई 1960 को पंजाब, लुधियाना के पास डुगरी गांव में एक दलित सिख परिवार में हुआ था। धन्नी राम को “चमकीला” के नाम से भी जाना जाता था। चमकीला का परिवार आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं था। गरीबी और अशिक्षा की वजह से चमकीला कपड़े की फैक्ट्री में मोजे बनाने का काम करने लगे। लेकिन चमकीला की दिलचस्पी संगीत की तरफ ज़्यादा थी और वह गायक बनना चाहते थे। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए चमकीला संगीत का रियाज करते थे और उन्होंने हारमोनियम और ढोलकी बजाना भी सीखा था।

एक दिन धन्नी उर्फ चमकीला ने अपने दोस्त को बताया कि उसे संगीत बहुत पसंद है। ये जानकर चमकीला को उनका दोस्त पंजाबी सिंगर से मिलवाता है। जब पंजाबी सिंगर चमकीला के लिखे गानों के पढ़ता है। तो वह चमकीला से काफी प्रभावित होता है और वह चमकीला के लिखे गानों को मंच पर गाता है। इन सब में कहीं न कहीं चमकीला को अपनी कला का श्रेय नहीं मिल पाता है और वह केवल उस पंजाबी सिंगर का कर्मचारी बनकर रह जाता है। एक दिन पंजाबी सिंगर की अनुपस्थिति में चमकीला को मंच संभालने का मौका मिल जाता है तभी मंच पर उन्हें नाम दिया जाता है, अमर सिंह चमकीला और जब चमकीला सुर लगाता है तब लोग चमकीला के सुरों की दीवाने बन जाते हैं। तबसे पंजाब की संगीत की दुनिया में चमकीला ही चलता है, और ऐसे धन्नी राम चमकीला बनता है।

20 साल की उम्र, पंजाब के रॉकस्टार बन गए थे अमर सिंह

महज 20 साल की उम्र में अपने गानों से धूम मचा दी थी। बेहद कम ही समय में चमकीला ने अपने शानदार गानों की बदौलत दुनिया का दिल जीत लिया था। अपने करियर में अमर सिंह ने कई हिट गाने दिए थे। अमर सिंह फोक सिंगर थे।

जाट महिला से शादी करने पर नफरत का सामना किया 

चमकीला की पहली शादी पहले से गुरदयाल कौर से हो चुकी थी, जिनसे उनकी दो बेटियां थीं। लेकिन चमकीला को उच्च जाति की अमरजोत से प्यार हो गया। जब दोनों ने शादी की तो बहुत नाराजगी हुई। उनके दो बेटे हुए।

अमर सिंह चमकीला ने अपनी सह गायिका अमरजोत कौर से विवाह किया था लेकिन अमरजोत कौर जाट समुदाय से थीं और चमकीला एक दलित समुदाय से आते थे। उस समय दलितों की हालत के बारे में सभी जानते हैं। ऐसे में पंजाब के समाज के एक वर्ग के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल था कि दलित गायक ने एक जाट महिला से शादी की है।

कहीं कारण बताए जाते हैं मौत के,हत्या आज भी रहस्य 

8 मई साल 1988 में चमकीला और अमरजोत जालंधर के मेहसमपुर में एक शो करने वाले थे। जब वह दोनों अपने वाहन से बाहर निकले तो उस दौरान नकाबपोशी लोगों ने उन्हें गोली मार दी और मौके पर दोनों की मौत हो गयीं। इस घटना में उनके बैंड के दो सदस्य भी मारे गए थे। अमर सिंह चमकीला और अमरजोत कौर की हत्या आज भी रहस्य बनी हुई है आज भी उनके हत्यारों का पता नहीं लग पाया है।

चमकीला को उनके विवादास्पद गानों के कारण सिख उग्रवादियों से धमकियां मिलने लगीं, जिससे उस समय में अशांति उनके सामने चुनौतियां और बढ़ गईं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चमकीला को तीन अलग-अलग खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने निशाना बनाया था। तब उन्होंने उनके साथ समझौता किया। तब चमकीला ने अपने गाने के लिए माफ़ी मांगी। मामला सुलझ गया। फिर उन्होंने सिख इतिहास पर कुछ सदाबहार गाने गाए, जिनमें ‘साथों बाबा खो लाया तेरा ननकाना’ भी शामिल है। कुछ लोग मानते हैं कि उनकी हत्या के पीछे खालिस्तानी शामिल हैं। हालांकि उनकी हत्या के बाद ना तो उनके घरवालों ने इसकी एफआईआर लिखवाई और पुलिस ने खुद भी लिखी। हत्या में दूसरी शादी से लेकर पारिवारिक नाराजगी और आतंकवादियों के एंगल तक शामिल कहे जाते हैं।

क्या चमकीला और उनकी पत्नी की हत्या ऑनर किलिंग थी

अमरजोत, अमर सिंह चमकीला की दूसरी पत्नी थीं। दोनों की जान-पहचान गाने से ही हुई थी. अमरजोत चमकीला के टक्कर की ही सिंगर थीं। इसलिए इन दोनों की जोड़ी सुपरहिट हुई। पंजाब ही नहीं, विदेशों में भी इस जोड़ी के गानों को खूब पसंद किया जाने लगे था। अमर सिंह चमकीला दलित थे और उनकी पत्नी अमरजोत जट सिख थीं। कहने वाले हत्या के पीछे अमरजोत के परिवार और गांव का हाथ होने का आरोप लगाते हैं। हालांकि, इस तरह की बात पुलिस की जांच में सामने नहीं आई थी।

चमकीला की मौत के पीछे उग्रवादियों का हाथ था

ऐसा भी बताया जाता है कि अमर सिंह चमकीला के कई गानों पर खालिस्तान समर्थक उग्रवादियों ने नाराज़गी जताई थी। खालिस्तानी उग्रवादियों के मुताबिक जिस तरह चमकीला अपने गानों में शादी के बाद के संबंध, ड्रग्स की लत और खुलेआम डबल मीनिंग बातें करते, उससे पंजाब की बदनामी होती है। चमकीला को धमकी मिलने की बात अक्सर कही जाती थी। हालांकि, इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी।

पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में एक छत्र राज के कारण गई जान

अमर सिंह चमकीला ने पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में अपना काम 1979 से शुरू किया और मरते दम तक एकछत्र राज किया। लोग उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुनना चाहते थे। उनके गाने इतने फेमस हो चुके थे कि लोग दूसरे पंजाबी गाने न के बराबर सुनते थे। इसलिए चमकीला के चाहने वालों का ये भी मानना रहा कि किसी ने सुपारी देकर उनका कत्ल कराया। इस दावे का भी कोई सबूत नहीं मिला।

 क्या शो से जुड़े किसी विवाद के कारण गई चमकीला की जान 

कभी चमकीला को एक शख्स ने अपने यहां स्टेज शो के लिए बुलाया था, लेकिन चमकीला पहुंच नहीं पाए थे। इस बात से नाराज़ उस शख्स ने उन्हें गोली मार दी। हालांकि, इस एंगल से भी चमकीला की मौत की गुत्थी नहीं सुलझी। 

अपना खुद का ग्रुप बनाया

चमकीला ने सबसे पहले महिला गायिका सुरिंदर सोनिया के साथ साझेदारी की, जो पहले सुरिंदर शिंदा के साथ काम कर चुकी थीं। लेकिन फिर उन्होंने चमकीला के साथ एल्बम रिकॉर्ड कराए जो पंजाब में हिट हो गए। इसके गाने चमकीला ने लिखे थे। बाद में उन्होंने अपना खुद का ग्रुप बना लिया क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें इस एल्बम में काफी कम पैसा दिया गया। 

गाने पर नाचने लगीं श्रीदेवी

चमकीला का क्रेज ऐसा था कि उनके गाए गानों की वजह से पंजाबी फिल्में हिट हो जाती थीं। 1987 में पंजाबी फिल्म पटोला में चमकीले के गाए गाने 'पहले ललकारे नाल मैं डर गई' काफी मशहूर हुआ और इस गाने की वजह से ये फिल्म सुपरहिट हो गई थी। उसी वक्त की बात है जब चमकीला एक शो के लिए कनाडा गया थे। इस शो में बॉलिवुड एक्टर श्रीदेवी भी मौजूद थी। चमकीला ने स्टेज पर जब गाना गाया तो श्रीदेवी भी खुद को रोक नहीं सकी और उनके गाने पर नाचने लगी।

11 महीनों में 411 प्रोग्राम्स

चमकीला ने नूरी के साथ जोड़ी बनाई। चमकीला ने अपने गीत खुद लिखे, जिनमें से अधिकांश बचकाने और विचारोत्तेजक थे। इस जोड़े की अपील न केवल पंजाब में बढ़ी, बल्कि वे विदेशों में पंजाबियों के बीच तेजी से लोकप्रिय होकर वह अंतरराष्ट्रीय स्टारडम की दौड़ में शामिल हो गए। इस समय ये कहा जाता था कि चमकीला अपने समकालीन गायकों की तुलना ज्यादा कमाते हैं और उनकी जबरदस्त बुकिंग होती है।

हाल ही में रिलीज हुई 'चमकीला' फिल्म के बारे में

इम्तियाज़ अली ने पंजाब के चर्चित दिवंगत सिंगर अमर सिंह चमकीला की लाइफ पर फिल्म बनाई है. ये उनकी बायोपिक बताई जा रही है। इन दिनों नेटफ्लिक्स पर अमर सिंह चमकीला फिल्म धूम मचा रही हैं। इस फिल्म में “अमर सिंह चमकीला” का किरदार पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने निभाया है और दूसरा परिणीति चोपड़ा जिन्होंने अमरजोत कौर यानी कि चमकीला की पत्नी का किरदार निभाया है। तो क्या आप जानते हैं कि “अमर सिंह चमकीला” ये एक ऐसे दलित पंजाबी सिंगर की सच्चाई है जिसने अपनी कला के दम पर पंजाब की हरियाली को दुगुना कर दिया।  फिल्म बनाने में जो रिसर्च की गई है, वो काबिलेतारीफ है। फिल्म को दिलचस्प बनाने के लिए सच्ची कहानी के साथ क्रिएटिव फ्रीडम का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन रिसर्च करने में कोई कोताही नहीं की गई है। लेकिन फिल्म में जातिगत मुद्दों को ज्यादा नहीं उठाया है।

फिल्म में एक सीन है जब विदेश में परफॉर्म करने गए चमकीला को ये बताया जाता है कि उनके प्रोग्राम में अमिताभ बच्चन के इसी स्टेज में हुए प्रोग्राम से ज्यादा सीटें लगवानी पड़ीं। ये सीन चमकीला को रिकॉर्ड सेलिंग सिंगर कहने के दावे को असलियत की शक्ल देने के लिए काफी है। ये रिसर्च का ही कमाल है कि बड़ी-बड़ी बातें छोटे-छोटे सीन्स की मदद से दिलचस्पी बनाए रखने के साथ पेश कर दी गई हैं।

इन गानों से मिली थी सफलता

अमर सिंह चमकीला के वैसे तो सभी गाने फेमस थे, लेकिन उनके सबसे हिट गानों में पहले 'ललकारे नाल' और भक्ति गीत ‘बाबा तेरा ननकाना' और ‘तलवार मैं कलगीधर दी' शामिल हैं। उन्होंने पॉप्युलर ‘जट दी दुश्मनी' लिखा था, जिसे कई पंजाबी कलाकारों ने रिकॉर्ड किया है। चमकीला को उनके पहले रिकॉर्ड किए गए गाने ‘ताकुए ते टाकुआ' के बाद काफी सफलता मिली थी।   

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