मध्य प्रदेश: महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध, सतना में फिर आदिवासी महिला को बंधक बनाकर गैंगरेप

सतना में फिर आदिवासी महिला को बंधक बनाकर गैंगरेप / सांकेतिक तस्वीर
सतना में फिर आदिवासी महिला को बंधक बनाकर गैंगरेप / सांकेतिक तस्वीर

भोपाल। मध्य प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। वर्ष 2021 में एनसीआरबी के आंकड़ों में मध्य प्रदेश आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों की घटनाओं पर देश में शीर्ष पर रहा था। अब हाल ही में प्रदेश के सतना से एक मामला सामने आया जहां मानसिक रूप से कमजोर आदिवासी महिला को बंधक बना कर गैंगरेप किया गया।

क्या है पूरा मामला?

प्रदेश के सतना में 26 साल की आदिवासी महिला से गैंगरेप का मामला सामने आया है। ढाबा संचालक अपने दो कर्मचारियों के साथ मिलकर महिला से गैंगरेप करता रहा। आरोपियों के चंगुल से छूटकर महिला घर पहुंची। उसने पति को आपबीती बताई। पति ने उसे ले जाकर नादन देहात थाने में मामला दर्ज कराया।

महिला ने पुलिस को बताया कि "मेरी उम्र 26 साल है। मैं सतना जिले की तहसील मैहर की रहने वाली हूं। निजी काम करती हूं। 20 नवंबर को पति से विवाद हो गया था। दोपहर 12 बजे मैहर से पैदल बहन के घर लालपुर थाना अमरपाटन जा रही थी। शाम छह बजे अमरपाटन से तीन-चार किलोमीटर पहले कंचनपुर गांव तक पहुंची। यहां झिन्ना नाला के पहले स्थित कंचन ढाबे में खाने के लिए गई। ढाबे में काम कर रहा कर्मचारी सनी उर्फ दिनेश कुमार साकेत मिला। उसने मुझे खाना खिलाया। इसके बाद रात होने का बहाना कर उसने ढाबे में रोक लिया। पैदल चलने की वजह से थकी होने के कारण मैं ढाबे पर रुक गई। सनी ने मुझे एक कमरे में ले जाकर बंद कर दिया। रात 11 बजे वह कमरे में आया। जान से मारने की धमकी देकर रेप किया। दिन में वह मुझसे ढाबे में जबरन काम कराता रहा। रात में रेप करता था। 23 नवंबर को ढाबे में खाना बनाने वाले लल्लू यादव ने सनी साकेत के साथ मिलकर रेप किया।" महिला ने बताया कि "इसके ठीक तीन दिन बाद ढाबे का मालिक राजेंद्र प्रसाद पटेल भी पहुंचा। उसने भी दोनों कर्मचारियों के साथ मिलकर बलात्कार किया। महिला के द्वारा पुलिस से की गई शिकायत अनुसार सभी आरोपियों ने धमकी दी कि पुलिस को बताया, तो जान से मार देंगे, इसलिए चुप रहकर सब कुछ सहन करती रही। एक दिन ढाबे पर कोई नहीं था। इसी बीच मौका पाकर ढाबे से भाग कर सीधे मैहर पहुंची। इसके बाद पति को आपबीती बताई। पति के साथ थाना नादन देहात पहुंचकर मामला दर्ज कराया।"

फिलहाल पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपियों में राजेंद्र प्रसाद पटेल निवासी जरियारी, सनी उर्फ दिनेश कुमार साकेत निवासी रिगरा गांव, लल्लू यादव निवासी पहाड़ी रीवा है।

महिलाओं के साथ अत्याचार के 2021 के ये हैं आंकड़े

देश में आदिवासियों पर सबसे अधिक अपराध मध्यप्रदेश में दर्ज हुए हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले एमपी में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी एमपी टॉप पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में मध्यप्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे। मध्यप्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले भी पिछली बार 2020 की तरह बढ़े थे। 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। तब 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं। 2020 में मध्यप्रदेश आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों में अव्वल रहा था

आदिवासियों के खिलाफ यह घटी घटनाएं

सितम्बर 2022 में मध्यप्रदेश के रीवा जिले में 16 साल की आदिवासी लड़की का कथित रूप से अपहरण कर पांच दिनों तक रेप का मामला सामने आया था। पुलिस ने मामले में 35 साल के एक शख्स को हिरासत में लिया था। आदिवासी लड़की का अरुण तिवारी ने तीन सितंबर की रात उसके घर से अपहरण कर लिया था। उन्होंने प्राथमिकी का हवाला देते हुए बताया कि आरोपी ने लड़की को अपने मकान के एक कमरे में बंद कर दिया और उसके साथ पांच दिनों तक बलात्कार किया।

मार्च 2022 में प्रदेश के अलीराजपुर का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में एक स्थानीय मेले में दो आदिवासी लड़कियों के साथ वहां पर मौजूद कुछ युवक छेड़खानी कर रहे थे। इस वीडियो के वायरल होने के बाद जब शासन-प्रशासन पर सवाल उठने लगे तो पुलिस हरकत में आई और तीन लोगों को गिरफ्तार कर छेड़खानी का मामला दर्ज किया था।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए इस मामले पर जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) नेता और विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा कि "मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों को संरक्षण देने में नाकाम है। प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ लगातार घटनाएं बढ़ रही हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों ने भी सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खोल दी थी," डॉ. अलावा ने कहा, "आदिवासियों को तत्काल न्याय दिलाने के लिए सरकार फास्ट्रेक कोर्ट की व्यवस्था करे। ताकि आदिवासियों को समय पर न्याय मिल सके।"

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