
नई दिल्ली। किस पर भरोसा करें और किस पर नहीं। इस पूरी दुनिया में ऐसा कौन सा रिश्ता है, जो लड़कियों के लिए सुरक्षित है। लड़कियों और महिलाओं के लिए तो जैसे हर रिश्ता डराने वाला ही हो गया है। जिसको वो लड़की मामा कहती थी। जिसको वह पिता के बराबर समझती थी। उसी ने उसके साथ इतना घिनौना काम किया है। दिल झकझोर के रखने वाली यह कहानी देश की राजधानी दिल्ली से है, जहां आए दिन महिलाओं के प्रति अपराधों के मामले आते रहते हैं।
पिता की मौत के बाद वो जिसमें अपने पिता का रूप देखती थी। उसकी मां ने भी भरोसा कर उसे जिस परिवार के पास छोड़ दिया था। आरोपी भी वो शख्स जो ऊंचे पद पर बैठा था। वो उस विभाग का बड़ा सरकारी अफसर हैं, जिसके ऊपर महिलाओं और बच्चों से जुड़े काम देखना था।
इस मामले में पुलिस ने आरोपी अफसर और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी अफसर पर महीनों तक कई बार नाबालिग लड़की के साथ रेप करने का आरोप है। इस काम में उसकी पत्नी ने भी मदद की। पीड़िता जब प्रेग्नेंट हुई तो प्रेग्नेंसी रोकने के लिए आरोपी की पत्नी ने उसे अबॉर्शन पिल्स दीं।
16 साल की नाबालिक के साथ हुई हैवानियत दिल्लीवालों को तब पता चली जब 7 अगस्त को नाबालिग की तबीयत खराब हुई। अस्पताल ले जाने पर पीड़िता का दर्द आंसू बनकर छलक पड़ा। उसने डॉक्टर को पूरी घटना बताई। बुराड़ी थाना पुलिस ने पीड़िता का बयान लिया और रेप, पॉक्सो, जबरन अबॉर्शन, जान से मारने की धमकी, मारपीट का मामला दर्ज कर लिया। बच्ची बुरी तरह से सदमे में है। उसका परिवार यमुना पार इलाके में रहता है। उसके माता-पिता दोनों दिल्ली सरकार के स्कूल में प्रिंसिपल थे। परिवार झारखंड का रहने वाला है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्ची का परिवार अक्सर चर्च में प्रार्थना के लिए जाता था। यहीं पर बच्ची के पिता की आरोपी से दोस्ती हो गई। वह भी झारखंड का ही रहने वाला है। अक्टूबर 2020 में पीड़िता के पिता की मौत हो गई। बच्ची पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। इस दरिंदे अफसर को जब पता चला तो वह बच्ची को संभालने की बात कह अपने घर ले आया। आरोप है कि नवंबर 2020 से जनवरी 2021 तक वह बच्ची के साथ रेप करता रहा। पीड़िता प्रेग्नेंट हो गई। तब अफसर ने अपनी पत्नी को सारी बात बताई। उसकी पत्नी भी इस घिनौने काम में शामिल हो गई। उसने बच्ची को जबरन अबॉर्शन की दवा खिला दी। बताया जा रहा है कि महिला ने अबॉर्शन की दवा खरीदने अपने बेटे को भेजा था। 16 जनवरी को अपने जन्मदिन पर बच्ची घर लौट आई। तब से वह गुमसुम थी। मां को भी कुछ नहीं बता रही थी। मां के साथ वह चर्च जाती तो आरोपी गलत तरीके से बर्ताव करता। जुलाई में उसने चर्च जाना छोड़ दिया।
इतना घिनौना काम करने वाले आरोपी अफसर दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में डिप्टी डायरेक्टर था। मामला सामने आने के बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया है। आरोपी अफसर सालों से सरकार की एकीकृत बाल संरक्षण और एकीकृत बाल विकास योजनाओं को लागू करने पर काम कर रहा है। उसकी सोशल मीडिया साइट लिंक्डइन पर प्रोफाइल के अनुसार, वह जेजे (सीपीसी) नियम 2016 के लिए बनी ड्राफ्ट समिति का सदस्य भी था, जिन्हें अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। वह राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह-II का प्रभारी रह चुका है। गिरफ्तारी के समय, वह डिप्टी डायरेक्टर (मुकदमा और आईसीडीएस) था।
लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उसने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मेडिकल सोशल सर्विस ऑफिसर के रूप में कार्य किया। आरोपी को जिस पॉक्सो एक्ट के तहत पुलिस ने अरेस्ट किया है वो बाल संरक्षण, किशोर न्याय अधिनियम का एक संसाधन प्रशिक्षक (रिसोर्स ट्रेनर) है। वह 1998 में एक पूर्व-कैडर अधिकारी के तौर पर दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विभाग में शामिल हुआ था।
इस बीच, दिल्ली महिला आयोग प्रमुख स्वाति मालीवाल बलात्कार पीड़िता से मिलने के लिए अस्पताल पहुंची, लेकिन उन्हें पीड़िता से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। बताया जा रहा है कि अस्पताल ने स्वाति मालीवाल को पीड़िता से मिलने नहीं दिया और उन्हें नाबालिग के पास जाने तक नहीं दिया गया। इसके बाद डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष अस्पताल में ही धरने पर बैठ गईं।
इस दौरान की उनकी तस्वीरें और वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि महिला आयोग चीफ जमीन पर बैठी हुई हैं। एक वीडियो में वह अधिकारी के साथ बहस करती हुई दिखाई दे रही हैं। वहीं, उन्होंने पीड़िता से मिलने की इजाजत के बाद सारी रात अस्पताल के फर्श पर बिता दी। वह रात में वहीं धरना प्रदर्शन पर बैठी रही।
महिला पैनल ने एक बयान में कहा, "अस्पताल के निदेशक डीसीडब्ल्यू प्रमुख से मिलने आए और उन्हें बताया कि दिल्ली पुलिस के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अस्पताल के अंदर हैं और उन्हें निर्देश दिया था कि उन्हें पीड़िता से न मिलने दिया जाए।”
दिल्ली महिला प्रमुख ने पीड़िता से न मिलने पर नाराजगी जताते हुए एक्स पर ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "मिलने नहीं आती तो बोलते मिलने नहीं आयी। मिलने आयी तो मिलने नहीं दे रहे और बोल रहे है ड्रामा कर रही है। किस हद्द तक राजनीति गिर चुकी है की नेताओं की सही को सही बोलने की क्षमता ही ख़त्म हो चुकी है। राजनीति करो, खूब करो पर बेटियों पे नहीं!"
जब कैलाश गहलोत को महिला एवं बाल विकास विभाग की बागडोर सौंपी गई थी तब आरोपी विशेष कर्तव्य अधिकारी था। इसी साल मार्च में जब आतिशी ने पदभार संभाला, तब उसे पद से हटा दिया गया। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार, उसे पद हटाना रूटीन का हिस्सा था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के नेताओं ने आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की। वहीं बीजेपी नेताओं ने सवाल उठाया कि उसे ओएसडी के रूप में सेवा के लिए क्यों चुना गया था।
दिल्ली की महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों पर जवाब दिया। बीजेपी ने इस मामले में आतिशी को घेरते हुए कहा कि उन्होंने ही आरोपी को विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में नियुक्त किया है। इस पर आतिशी ने कहा कि यह बिल्कुल झूठी बात है। आरोपी ने कभी भी मेरे साथ ओएसडी के रूप में काम नहीं किया है।
इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। मामले में पुलिस ने 13 अगस्त को केस दर्ज कर लिया था। लेकिन हफ्तेभर तक आरोपी और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी नहीं हुई।
पुलिस ने बताया कि आरोपी दंपति पर पॉक्सो एक्ट के अलावा आईपीसी की धारा 376(2)(f) (रिश्तेदार, गार्जियन, शिक्षक या महिला के भरोसेमंद होने पर उसके साथ रेप करना) और धारा 509 (शब्दों या इशारों से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत केस दर्ज किया गया है.इसके अलावा आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 313 (महिला की सहमति के बगैर उसका गर्भपात करवाना) और 120B (आपराधिक साजिश) भी लगाई गई है।
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