MP: भोपाल के रवींद्र भवन में 15 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म, पुलिस ने परिजनों को घंटों बैठाकर भगाया, रीवा में दर्ज हुई FIR

मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य निशा शर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि आयोग ने घटना की जानकारी मिलते ही संज्ञान ले लिया था।
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भोपाल। मध्य प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ताजा मामला राजधानी भोपाल के रवींद्र भवन का है, जहां मऊगंज जिले की एक 15 वर्षीय किशोरी के साथ पार्किंग में सामूहिक दुष्कर्म किया गया। पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि जब वे शिकायत दर्ज कराने श्यामला हिल्स थाने पहुंचे, तो पुलिस ने नौ घंटे तक बैठाए रखा और फिर उन्हें भगा दिया। अंततः, पीड़ित परिवार ने मऊगंज में शिकायत दर्ज कराई, जहां से जीरो एफआईआर दर्ज कर मामले को भोपाल स्थानांतरित किया गया।

जानिए कैसे हुई घटना?

एफआईआर के अनुसार, किशोरी के पिता भोपाल में मजदूरी करते हैं। उनके एक परिचित ने रवींद्र भवन में लगे लोकरंग मेले में दुकान लगाई थी, जिसमें 30 जनवरी को वे अपनी बेटी के साथ गए थे। पिता के मुताबिक, उसी दौरान भगवान सिंह मेवाड़ा और एक अन्य व्यक्ति वहां आए। मेले में काफी भीड़ थी, जिससे फायदा उठाकर दोनों आरोपियों ने किशोरी को पार्किंग में ले जाकर दुष्कर्म किया। घटना के बाद, पीड़िता को जान से मारने की धमकी भी दी गई।

घटना के बाद किशोरी की तबीयत बिगड़ने लगी। जब उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया, तब जाकर इस घिनौने अपराध का खुलासा हुआ।

पुलिस की संवेदनहीनता: 9 घंटे तक पीड़ित परिवार को बैठाए रखा, फिर भगा दिया

पीड़िता के परिजन श्यामला हिल्स थाने पहुंचे, लेकिन वहां पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने में आनाकानी की। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्हें लगातार टालमटोल किया गया और 9 घंटे तक बैठाकर अंततः भगा दिया गया।

आखिरकार, परिजन मऊगंज पहुंचे और वहां मामला दर्ज कराया। एएसपी मऊगंज अनुराग पांडेय ने बताया कि जीरो एफआईआर दर्ज कर केस को भोपाल स्थानांतरित किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों का भयावह आंकड़ा

भोपाल में हुई इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि मध्यप्रदेश में महिलाएं और बच्चियां कितनी असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश लगातार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।

NCRB के आंकड़े

  • 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के 4,28,278 मामलों से 4% अधिक हैं।

  • बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,62,449 मामले दर्ज हुए, जो 2021 के 1,49,404 मामलों से 8.7% अधिक हैं।

  • अकेले भोपाल में 2022 में 758 मामलों में बच्चियों को निशाना बनाया गया।

नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के पीछे मुख्य कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की घटनाएं सिर्फ अपराधियों की मानसिकता का नतीजा नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक कमजोरियों की वजह से भी बढ़ रही हैं।

कई मामलों में पड़ोसी, रिश्तेदार, या परिचित ही बच्चियों को शिकार बनाते हैं। यह दर्शाता है कि समाज में अपराधियों का दायरा कहीं अधिक विस्तृत और खतरनाक हो चुका है। स्कूल, कोचिंग संस्थान और मेले जैसे सार्वजनिक स्थान, जो पहले सुरक्षित माने जाते थे, अब अपराधियों के नए ठिकाने बन गए हैं। भोपाल की घटना इसका बड़ा उदाहरण है। कई मामलों में यह देखा गया है कि अपराधी शराब या नशे की हालत में होते हैं, जिससे वे वहशीपन पर उतर आते हैं और जघन्य अपराध कर बैठते हैं।

क्या कानूनों का डर खत्म हो चुका है?

भारत में POCSO एक्ट और दुष्कर्म कानूनों के तहत सख्त सजा का प्रावधान है, लेकिन धीमी न्यायिक प्रक्रिया और केसों में देरी के कारण अपराधियों के मन में कोई भय नहीं है।अक्सर बच्चे अपने साथ हो रही घटनाओं को पहचान नहीं पाते, जिससे अपराधी उनका आसानी से शिकार बना लेते हैं। कई मामलों में परिवार भी चुप्पी साध लेते हैं, जिससे अपराधियों को खुली छूट मिल जाती है।

POCSO एक्ट: कानून तो सख्त, लेकिन अमल में ढिलाई

भारत में 2012 में POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट लागू किया गया, जिसके तहत दोषियों को कठोर सजा दी जाती है, और कुछ मामलों में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। लेकिन इसके बावजूद अपराधों पर लगाम नहीं लग पाई है। भोपाल की यह घटना इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है। मध्यप्रदेश में नाबालिग से रेप की घटनाओं में फांसी तक कि सजा का प्रावधान है। लेकिन इसके बाबजूद भी घटनाओं का बढ़ना चिन्ताजनक है।

आयोग ने लिया संज्ञान

मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य निशा शर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि आयोग ने घटना की जानकारी मिलते ही संज्ञान ले लिया था। उन्होंने कहा कि नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं और इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

निशा शर्मा ने बताया कि पुलिस को मामले की जांच कर प्रतिवेदन भेजने के निर्देश दिए गए हैं। आयोग मामले की निगरानी कर रहा है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन से निरंतर संवाद में है।

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