भोपाल। मध्य प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं, हर दिन दर्जनों घटनाएं प्रदेशभर में दर्ज हो रही हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक हर महीने औसतन 1500 घटनाएं दर्ज होती हैं। हाल ही में जबलपुर जिले के मझगवां थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक 12 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई। वारदात शनिवार शाम की है, जब बच्ची अपने घर में 10 वर्षीय चचेरी बहन के साथ आंगन में बैठी थी। इसी दौरान गांव का ही युवक अमर महोबिया उसके घर में दाखिल हुआ और मोबाइल में वीडियो दिखाने के बहाने उसे चाची के कमरे में ले गया। वहां आरोपी ने दरवाजा बंद कर मासूम के साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दीं।
बच्ची ने जब विरोध किया और शोर मचाने की कोशिश की, तो आरोपी ने उसका मुंह दबाकर उसे जान से मारने की कोशिश भी की। इसी बीच बच्ची का बड़ा भाई उसी वक्त घर पहुंच गया, जिसके आते ही आरोपी वहां से फरार हो गया। घटना से डरी-सहमी बच्ची ने पहले अपने भाई को और फिर रविवार को लौटे माता-पिता को पूरी बात बताई। इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर थाने पहुंचे और एफआईआर दर्ज कराई गई।
जैसे ही पुलिस को वारदात की जानकारी मिली, आरोपी की तलाश शुरू कर दी गई। सोमवार सुबह सूचना मिली कि आरोपी कटनी भागने की फिराक में है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए गांव के बाहर घेराबंदी कर अमर महोबिया को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
मासूम बच्ची गांव में अपने माता-पिता और चाचा-चाची के साथ रहती है। शनिवार को उसके माता-पिता रिश्तेदारी में एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए गए हुए थे। चाचा काम पर गए थे और चाची मायके में थीं। इसी कारण घर में बच्ची और उसकी छोटी बहन अकेली थीं। इस अकेलेपन का फायदा उठाकर आरोपी ने कुकृत्य की कोशिश की।
यह घटना प्रदेश में बाल सुरक्षा की जमीनी हकीकत को उजागर करती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों की स्थिति चिंताजनक है। वर्ष 2022 में राज्य में कुल 20,415 मामले दर्ज किए गए, जो देशभर में महाराष्ट्र (20,762) के बाद दूसरा सबसे ऊँचा आंकड़ा है।
भोपाल के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकान्त त्रिवेदी के अनुसार, कम उम्र के बच्चे यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं के लिए बेहद संवेदनशील और आसान शिकार होते हैं। वे मानसिक और भावनात्मक रूप से इतनी परिपक्वता नहीं रखते कि घटना को समझ सकें या उसका विरोध कर सकें। ऐसे बच्चे अक्सर यह भी नहीं जान पाते कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है या उन्हें किसी से मदद लेनी चाहिए।
द मूकनायक से बातचीत में डॉ. त्रिवेदी ने इन घटनाओं को 'मल्टीफेक्टोरीयल' यानी कई कारणों से उत्पन्न होने वाली समस्या बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों के पीछे मुख्य रूप से आरोपियों की यौन कुंठा, मानसिक विकृति और नशे की लत जैसे गंभीर कारण होते हैं। समाज में बढ़ती संवेदनहीनता और बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही भी इन मामलों को बढ़ावा देती है।
बच्चों के अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले: 10,125
POCSO अधिनियम के तहत यौन शोषण के मामले: 6,654
बच्चों की हत्या: 109 मामले
आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले: 90
मध्यप्रदेश में अपराध दर 71 प्रति एक लाख बच्चों पर रही, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। यह दर दिल्ली के बाद देश में दूसरे स्थान पर है।
इस तरह की घटनाओं पर POCSO अधिनियम 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act) और IPC की धारा 376 (बलात्कार), 354 (अश्लील हरकत), 506 (धमकी) के तहत कार्रवाई की जाती है।
यौन उत्पीड़न का दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की सज़ा, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है। पीड़ित की उम्र 16 वर्ष से कम होने पर सजा और अधिक कठोर हो सकती है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.