उत्तर प्रदेश: बेटी से रेप के मामले में कार्रवाई नहीं होने से आहत पिता ने की आत्महत्या!
लखनऊ। यूपी पुलिस अब रेप के मामले में सुनवाई करने की जगह रेप पीड़िता के परिजनों को ही उल्टा धमकाने में जुटी है। यही कारण है कि तीन सप्ताह के भीतर एक और पिता ने सुनवाई नहीं होने के चलते फांसी लगा ली।
पहला मामला 19 मई को पीलीभीत से सामने आया था। अब उरई में यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। पीलीभीत की तरह भी इस मामले में थाना प्रभारी द्वारा उल्टा ही पीड़ित परिवार को धमकाने के आरोप लगे हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद एसपी सहित बड़ी संख्या में पुलिस अफसर मौके पर पहुंच गए। पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
यूपी में उरई के एट कोतवाली निवासी एक व्यक्ति पत्नी के साथ पंजाब में रहकर पानी-बताशा बेचता था। वह मार्च में अपनी नाबालिग बेटी को दादी के पास छोड़कर गया था। गांव के देवेंद्र अहिरवार और उसके साथी गोलू ने किशोरी को बर्थडे पार्टी के बहाने बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। 30 मई को पिता पंजाब से लौटा तो किशोरी ने उन्हें पूरी बात बताई। पीड़िता के पिता ने 31 मई को एट कोतवाली में आरोपितों के खिलाफ तहरीर दी मगर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़िता के पिता ने जनसुनवाई पोर्टल पर भी इसकी शिकायत की, लेकिन एट कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र कुमार गौतम ने मामले में समझौता करने का दबाव डाला और उसे परेशान किया। इससे आहत होकर रेप पीड़िता के पिता ने सोमवार सुबह घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से लोगों में पुलिस के खिलाफ आक्रोश दिखा।
किशोरी की मां का आरोप है कि" कोतवाली के प्रभारी चार दिन से समझौते के लिए धमका रहे थे। किसी तरह रेप की रिपोर्ट दर्ज की, मगर धमकाया कि पैरवी की तो उल्टा फसा देंगे, इससे आहत होकर फांसी लगाकर जान दे दी।" एसपी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे जो मामले की जांच कर रहे है।
थानेदार ने दी सफाई, क्या बोले वरिष्ठ अधिकारी?
इस मामले में एसएचओ नरेंद्र कुमार गौतम ने बताया है कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, साथ ही उसे गिरफ्तार कर लिया है। वहीं एएसपी असमी चौधरी का कहना है कि सीओ कोच के नेतृत्व में जांच चल रही है। 24 घंटे में रिपोर्ट मिल जाएगी, जो भी पुलिस अधिकारी दोषी होगा। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
19 मई को भी पुलिस रेप के मामले में उल्टा धमकाने पर लगा ली थी फांसी
पीलीभीत के अमरिया थाना क्षेत्र में बीते 9 मई को रेप की घटना हुई थी। लड़की जब खेत में काम कर रहे पिता के पास जा रही थी, उसी समय पास में ही रहने वाले 3 लड़कों ने उसे किडनैप कर लिया। आरोप है कि उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। लड़की के पिता अगले दिन मामले में शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस के पास गए। लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार करते हुए मामले में समझौता करने का दबाव बनाया। परिजन का आरोप है कि एसएचओ मुकेश शुक्ला ने पीड़ित और आरोपी पक्ष के बीच रिश्तेदारों की मौजूदगी में समझौते का दबाव बनाया था, जिसके बाद हताश पिता ने फांसी लगा ली थी।
क्या कहते हैं पुलिस के जानकार अफसर?
इस मामले उत्तर प्रदेश में डीजीपी पद पर सेवा दे चुके रिटायर्ड आईपीएस विक्रम सिंह कहते हैं, "ऐसे मामलों में जिले के कप्तान की जिम्मेदारी है कि लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई करें। पुलिस को ऐसे अपराधों में गंभीरता बरतनी चाहिए। ऐसा कृत्य करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"
पुलिस पर भी हत्या के लिए उकसाने का बनता है मुकदमा
इस मामले में रिटायर्ड आईपीएस अमिताभ ठाकुर कहते हैं, "यदि कोई पीड़ित आत्महत्या के लिए ऐसा कदम उठाता है तो इसमें पुलिस दोषी नहीं है। किंतु यदि एक लंबी समयावधि में पुलिस ऐसे मुद्दों पर कार्रवाई नहीं करती है, पीड़ित को उल्टा धमकाती है और इससे आहत होकर पीड़ित ऐसा कदम उठा ले तो पुलिस पर हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।"
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