BHU IIT कैंपस गैंगरेप मामला: आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

दलील और अपराध की गंभीरता के बाद दो आरोपियों को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। वहीं पुलिस ने भी जांच का हवाला देते हुए जमानत नहीं दिए जाने की बात रखी।
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरफोटो साभार- इंटरनेट

उत्तर प्रदेश। वाराणसी जिले के बीएचयू के आईआईटी कैम्पस में छात्रा से गैंगरेप करने के दो आरोपियों की जमानत याचिका मंगलवार को एसीजेएम पवन सिंह ने खारिज कर दी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आनंद चौहान अभिषेक और सक्षम पटेल की ओर से याचिका दायर की थी। दलील और अपराध की गंभीरता के बाद दोनों को जमानत देने से इनकार कर दिया। वहीं पुलिस ने भी जांच का हवाला देते हुए जमानत नहीं दिए जाने की बात रखी। जिसके बाद आरोपियों की न्यायिक हिरासत बरकरार रहेगी।

हालांकि, छात्रा से गैंगरेप करने के आरोपी अभी सलाखों के पीछे ही रहेंगे। तीनों आरोपी आनंद उर्फ अभिषेक चौहान, कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल 31 दिसंबर 2023 से जिला जेल में बंद हैं। न्यायिक रिमांड में उन्हें जेल की बैरक में रखा गया है। इसके साथ ही पुलिस ने सभी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया है। सुनवाई की अगली तारीख पर आरोपी जमानत याचिका दायर करने की तैयारी में थे तब तक पुलिस ने 17 जनवरी को चार्जशीट दाखिल कर दी।

क्या थी पूरी घटना?

वाराणसी में बीते 2 नवंबर 2023 को बीटेक की एक छात्रा को बाइक सवार तीन युवक सुनसान जगह उठाकर ले गए थे। उन्होंने छात्रा के कपड़े उतरवाकर उसके साथ गैंगरेप किया था। इसके साथ ही आरोपियों ने वीडियो भी बनाया और मौके से फरार हो गया थे।
पीड़िता ने 2, नवंबर को पुलिस को दी शिकायत में कहा था, "मैं एक नवंबर की रात 1:30 बजे अपने हॉस्टल से किसी जरूरी काम के लिए बाहर निकली। कैंपस के गांधी स्मृति चौराहे के पास मुझे मेरा दोस्त मिला। हम दोनों साथ में जा रहे थे कि रास्ते में कर्मन बाबा मंदिर से करीब 300 मीटर दूर पीछे से एक बुलेट आई. उस पर तीन लड़के सवार थे। उन लोगों ने बाइक खड़ी करके मुझे और मेरे दोस्त को रोक लिया। इसके बाद उन लोगों ने हमें अलग कर दिया। मेरा मुंह दबाकर मुझे एक कोने में ले गए। वहां पहले मुझे किस (Kiss) किया, उसके बाद कपड़े उतरवाए। मेरा वीडियो बनाया और फोटो खींची।"

“मैं जब बचाव के लिए चिल्लाई तो मुझे मारने की धमकी दी। करीब 10-15 मिनट तक मुझे अपने कब्जे में रखा और फिर छोड़ दिया। मैं अपने हॉस्टल की ओर भागी तो पीछे से बाइक की आवाज आने लगी। डर के मारे मैं एक प्रोफेसर के आवास में घुस गई। वहां पर 20 मिनट तक रुकी और प्रोफेसर को आवाज दी। प्रोफेसर ने मुझे गेट तक छोड़ा। उसके बाद पार्लियामेंट सिक्योरिटी कमेटी के राहुल राठौर मुझे आईआईटी बीएचयू पेट्रोलिंग गार्ड के पास लेकर पहुंचे। जहां से मैं अपने हॉस्टल तक सुरक्षित आ पाई। तीनों आरोपियों में से एक मोटा, दूसरा पतला और तीसरा मीडियम हाइट का था," पीड़ित छात्रा ने फुटेज देखकर आरोपियों की पहचान की थी। इसके अलावा, न्यूड वीडियो बनाने की बात कही थी। पीड़ित छात्रा से कन्फ़र्म होने के बाद ही पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ जांच करके एक-एक सबूत जुटाए। उसके बाद 30 दिसंबर को उन्हें गिरफ्तार किया गया।

पुलिस ने तीन दिन पहले ही लगाया गैंगस्टर 

तीन दिन पहले लंका पुलिस ने आरोपियों पर पिछले दिनों गैंगस्टर कायम कर दिया। गैंगस्टर केस दर्ज होने के बाद उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई। पुलिस का कहना है कि तीनों पेशेवर अपराधी हैं, जनता के बीच तीनों को जाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। गैंगस्टर लगने के बाद पुलिस तीनों को रिमांड पर भी ले सकती है।

क्या होता है गैंगस्टर एक्ट?

भारत में गिरोह बनाकर अपराध करने वाले बदमाशों के खिलाफ सरकार ने 1986 में गैंगस्टर एक्ट बनाया और लागू किया था। गैंगस्टर अधिनियम 1986 के मुताबिक, एक या एक से अधिक व्यक्तियों का समूह, जो अपराध के जरिए अनुचित लाभ अर्जित करता है या इस मकसद से एक्ट में उल्लिखित अपराध करता है तो वह गैंगस्टर कहा जाता है। चाहे वह किसी भी तरह का अपराध हो। सीधे तौर पर कहें तो गैंगस्टर एक अपराधी है, जो एक गिरोह का सदस्य है। ज्यादातर गिरोह संगठित अपराध का हिस्सा माने जाते हैं। गैंगस्टर शब्द भीड़ से लिया गया है। इनके गैंग एक व्यक्तिगत अपराधी की तुलना में बहुत बड़े और अधिक जटिल अपराध करते हैं। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों में गैंगस्टर सक्रिय हैं।

साल 2015 में मजबूत हुआ था गैंगस्टर एक्ट

उत्तर प्रदेश में तत्कालीन सरकार ने गैंगस्टर एक्ट में संशोधन किया था। उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) (संशोधन) अध्यादेश 2015 को तत्कालीन राज्यपाल रामनाईक ने मंजूरी दी थी। इसके बाद गैंगस्टर एक्ट का दायरा बढ़ गया था। गैंगस्टर एक्ट में दोषी अपराधी को न्यूनतम दो साल और अधिकतम दस साल सजा दिए जाने का प्रावधान है। इससे पहले गैंगस्टर एक्ट में केवल 15 तरह के अपराध शामिल थे। लेकिन बाद में इसके तहत आने वाले अपराधों की संख्या में इजाफा किया गया।

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