छत्तीसगढ़: रेप सर्वाइवर बेटी के इलाज के लिए भटक रहा परिवार, पुलिस और अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप

आदिवासी परिवार ने कहा, "बेटी से रेप कर एसिड से जलाया.", पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा.
छत्तीसगढ़: रेप सर्वाइवर बेटी के इलाज के लिए भटक रहा परिवार, पुलिस और अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप

रायपुर। पांच महीने पहले कथिततौर पर सामूहिक बलात्कार और एसिड अटैक की सर्वाइवर आदिवासी युवती अब इलाज के लिए भटक रही है। पीड़िता का पैर जलने के कारण पूरी तरह खराब हो चुका है, जिसके चलते परिवार अब बेटी के इलाज के लिए सरकार से गुहार लगा रहा है। वहीं पुलिस और जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को बेटी की हालत का जिम्मेदार बता रहा है।

दरअसल, घटना बीते साल कोरिया जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र की है, जहां 19 वर्षीय आदिवासी युवती के साथ आरोपी ने पहले बलात्कार किया, बेहोशी की हालत में युवती के शरीर पर तेजाब डाल दिया, जिसके कारण युवती बुरी तरह झुलस गई। पीड़िता ने पुलिस से बताया कि उसकी दोस्ती, एक सहेली के जरिए मिलेश यादव से हुई थी, वह फोन पर बात करते थे। 8 अक्टूबर 2023 को आरोपी मिलेश ने युवती को मेला घूमने के लिए बुलाया था। दोनों ही लोग बाइक से दूसरे गांव मेला गए थे। आरोपी उसे इसके बाद गाँव के बाहर टंकी के पास ले गया, वहां आरोपी ने युवती के साथ बलात्कार किया।

पीड़िता ने बताया कि घटना के बाद रात ज्यादा होने के कारण वह वहीं महुआ पेड़ के नीचे सो गई थी। जब वह सुबह उठी तो मिलेश वहां से भाग चुका था। और उसके पैर पीठ और पैर में जलन हो रही थी। जब उसने देखा तो उसके पैर पर फफोले पड़ चुके थे। पीड़ित युवती ने हिम्मत जुटाई और गाँव के डॉक्टर के पास पहुँची इसके बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

यहां 20 दिन इलाज के बाद युवती को रायपुर रैफर करने को कहा पर परिवार के लोग उसे बैकुंठपुर स्थित घर ले आए। जब लड़की की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तब उसे रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया। कुछ दिन इलाज के बाद एम्स ने भी दूसरे अस्पताल में रैफर किया। वर्तमान में पीड़िता का इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा है।

समाज जुटा रहा पैसा

निजी अस्पताल में युवती के इलाज के लिए अनुमानित 27 लाख रुपए खर्च बताया गया है। परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद आदिवासी समाज के लोगों ने युवती के इलाज के लिए पैसे एकत्र किए है।

एसिड डालने का आरोप

पीड़िता का आरोप है, सोते वक्त आरोपी ने उसपर एसिड डाला था। लेकिन इस बात की पुष्टि न डॉक्टर ने की है, और न ही एसिड अटैक की घटना एफआईआर में दर्ज है, लेकिन पीड़िता के साथ उसके परिवारजनों का आरोप है कि, आरोपी मिलेश यादव रेप के बाद उसे जान से मारने के लिए एसिड जैसा कोई पदार्थ युवती के शरीर पर डाला है। वहीं पुलिस के मुताबिक ऐसी कोई घटना पीड़िता के द्वारा नहीं बताई गई।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए पीड़िता के एक रिश्तेदार ने बताया कि पुलिस और जिला अस्पताल कोरिया ने इस मामले में लापरवाही बरती है। पीड़ित और उसके परिवारजन पढ़े-लिखे नहीं है, इस कारण पुलिस ने मामले को दबाने के चक्कर में अपने मुताबिक कार्रवाई कर ली है।

पीड़िता के परिवारजनों के आरोप है कि जब कोरिया जिला अस्पताल में बर्न यूनिट और डॉक्टर्स नहीं थे तो बीस दिन तक उसका यहां इलाज क्यों किया। उसे पहले ही किसी ट्रामा सेंटर में रैफर क्यों नहीं किया गया।

वहीं बैकुंठपुर थाना प्रभारी विशाल कुजूर ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि अक्टूबर 2023 में उनके थाने में युवती शिकायत लेकर आई थी। जिसने अपने प्रेमी पर बलात्कार करने की शिकायत की थी, पीड़िता के द्वारा एसिड अटैक की बात नहीं बताई गई थी। इस मामले में हमने शून्य पर एफआईआर दर्ज कर थाना खड़गवां को ट्रांसफर की थी। क्योंकि वह घटना का क्षेत्र अब खड़गवां थाने अन्तर्गत ही आता है।

इधर, खड़गवां के थाना प्रभारी रामनयन गुप्ता ने बताया कि मामले में हमने कोर्ट में अभियोग पत्र प्रस्तुत कर दिया है। हमारी जांच में सामने आया है कि युवती और आरोपी आपस में प्रेम करते थे। आरोपी के कहने पर युवती उसके साथ गई थी, आरोपी मिलेश ने उसे शादी का झांसा देकर रेप किया था। जब दोनों सुबह घर निकले जानवरों को फंसाने के लिए बिछाए जाल में फसकर गिर गए थे, जिसमें दोनों को चोट लगी थी। फरियादी ने जांच के दौरान एसिड अटैक होने की कोई बात नहीं बताई है। थाना प्रभारी ने बताया आरोपी के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया है, इसके साथ इस घटना में आरोपी का सहयोग करने वाले एक अन्य युवक को भी जेल भेजा गया है।

आदिवासी संगठनों ने किया प्रदर्शन

आदिवासी युवती को न्याय और सरकारी मदद के लिए आदिवासी संगठनों ने कोरिया में प्रदर्शन भी किया है। संगठन का आरोप है कि चुनाव के समय यह घटना पेश आई थी, जिसके चलते पुलिस ने घटना को दबाने का प्रयास किया। वहीं अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण पीड़िता की हालत गंभीर है। सामाजिक संगठनों ने सरकार से पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और बेहतर इलाज किए जाने की मांग की है।

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