“मुस्लिमों की शिक्षा को लेकर सरकार गम्भीर नहीं, टीचरों की सैलरी कम, परमानेंट नहीं किया” — राजस्थान मदरसा पैरा टीचर संघ

मदरसा पैरा टीचर्स ने राजस्थान सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप
मदरसा पैरा टीचर्स ने राजस्थान सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप

अल्प मानदेय से आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे टीचर, अध्यापन कार्य पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव।

रिपोर्ट- अब्दुल माहिर

सवाईमाधोपुर। राजस्थान मदरसा पैरा टीचर संघ का कहना है कि चुनावों में अल्पसंख्यकों से हमदर्दी का वादा करने वाली कांग्रेस सरकार उनकी तालीम को लेकर कतई गम्भीर नहीं है। मदरसों में न तो आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं न ही मदरसा पैरा टीचरों को परमानेंट ही किया गया है। इससे मदरसों में अध्ययन-अध्यापन कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

राजस्थान मदरसा पैरा टीचर संघ के प्रदेश सह संयोजक जुल्फिकार खान बताते हैं कि, "राजस्थान मदरसा बोर्ड से पंजीकृत 3 हजार 329 मदरसों में पढ़ने वाले लगभग दो लाख मुस्लिम बच्चों को न तो समय पर निशुल्क पुस्तक मिलती हैं न ही मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे मिल योजना का लाभ मिल रहा है। सुलभ आधुनिक शिक्षा के दावे भी खोखले हैं। मदरसा संचालन के लिए एक भी सरकारी भवन नहीं है।"

मुस्लिम शिक्षा को लेकर सरकार की दोहरी नीति के कारण ही आज राजस्थान में 5 हजार 656 मदरसा पैराटीचर्स न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय में मदरसों में पढ़ाने को मजबूर हैं। स्थिति यह है कि सरकार मदरसा पैराटीचर्स को संविदाकर्मी तक मानने को तैयार नहीं है। पैराटीचर्स के आन्दोलनो में सरकार से समझौता वार्ता में शामिल एक भी मुस्लिम विधायक ने नियमित करने की बात नहीं की। हर बार केवल संविदा सेवानियम बनाने व मानदेय बढ़ाने का वादा करते रहे, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया।

'चुनावी वादे से मुकर रही सरकार'

राजस्थान मदरसा पैराटीचर संघ के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष अनवर कोटा बताते है कि, 2018 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के बिंदु संख्या 25 में मदरसा पैरा टीचर्स को भी नियमित करने का वादा किया था। बेहतर तालीम की उम्मीद में हर बार की तरह राजस्थान के मुस्लिम समाज ने कांग्रेस को वोट किया। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का गठन भी हुआ। एक साल बाद मदरसा पैराटीचर्स ने 2019 में सरकार को चुनावी वादा याद दिलाया। लेकिन सरकार ने नियमितिकरण के वादे पर चुप्पी साध ली।

जून 2019 में प्रदेश के तमाम मदरसों में एक सप्ताह के लिए तालाबंदी कर जिला स्तरीय धरना प्रदर्शन किया गया। जयपुर में भी शिक्षा संकुल परिसर में अनिश्चितकालीन धरना दिया गया। यहां प्रदेश के लगभग 5000 पैराटीचर्स ने आंदोलन में भाग लिया। सरकार में शामिल मुस्लिम विधायक दानिश अबरार, रफीक खान, अमीन कागजी व आदिवासी विधायक हरीश मीणा ने आंदोलन को समर्थन दिया। साथ ही पैराटीचर्स की मांग को जायज बताते हुए सरकार से पैराटीचर्स को नियमित करवाने का वादा भी किया। बजट घोषणा 2020-21 में मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने की बजाय 15 प्रतिशत, लगभग 6 सौ रुपए प्रतिमाह मानदेय बढ़ाने की घोषणा का झुनझुना पकड़ा दिया गया।

निकाली गई दांडी यात्रा, फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक
निकाली गई दांडी यात्रा, फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

दांडी यात्रा भी निकाली

"सरकार हर बार वादा कर मुकरती रही। वादा याद दिलाने के लिए इस बार पैराटीचर्स ने सरकार से लड़ने के लिए आंदोलन का गांधीवादी तरीका निकाला। एक नवम्बर 2020 को उर्दू बचाव संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष शमशेर खान भालू (गांधी) के नेतृत्व में पैराटीचर्स ने चुरू जिले से गुजरात तक दांडी यात्रा की शुरुआत की। 22 दिन पैदल चलने के बाद दांडी यात्रा चूरू से उदयपुर पहुंची," मदरसा पैराटीचर संघ सवाईमाधोपुर जिलाध्यक्ष दिलशाद खान ने बताया।

पैराटीचर्स की दांडी यात्रा को अन्य शिक्षक संगठनों का समर्थन मिलने लगा तो सरकार ने समझौते के बहाने दांडी यात्रा रोकने के प्रयास किए। वक्फ बोर्ड चेयरमैन खानूखां बुधवली को शिक्षा निदेशक व उदयपुर कलक्टर के साथ दांडी यात्रा निकाल रहे आंदोलनकारियों के पास भेजा गया। 22 नवम्बर 2020 को दांडी यात्रा की अगुवाई कर रहे शमशेर भालू खान व उनकी टीम के साथ 9 बिंदुओं पर लिखित समझौता कर दांडी यात्रा को रोक दिया गया।

10 माह बीत गए। लिखित समझौते का एक भी बिंदु लागू नहीं हुआ। 30 सितंबर 2021 को फिर पैराटीचर्स ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना दिया। यहां सरकार ने पैराटीचर्स से बात तक करना मुनासिब नहीं समझा। 2 अक्टूबर 2021 को दांडी यात्रा पार्ट 2 की शुरुआत उदयपुर जिले के उसी स्थान से की गई। जहां समझौते के बहाने दांडी यात्रा को रोका गया।

6 दिन बाद ही डूंगरपुर जिला प्रशासन ने दांडी यात्रा 2 को रतनपुर बॉर्डर पर रुकवा दिया। हताश पैराटीचर्स सरकार की दमनकारी नीति का विरोध करने के लिए फिर जयपुर में जम गए। लाठियां खाईं। गिरफ्तारी भी दी। 31 दिसम्बर 2021 को विधायक वाजिब अली, रफीक खान व वाजिब अली के हस्तक्षेप से मुख्यमंत्री आवास पर दांडी यात्रा का नेतृत्व करने वाले शमशेर भालू खान के साथ सीएम की 45 मिनट वार्ता हुई। भालू खान ने मदरसा पैराटीचर्स के साथ ही राजीव गांधी पैराटीचर्स शिक्षा कर्मियों को नियमित करने की मांग भी कर दी। सीएम ने सभी को नियमित करने का वादा किया, लेकिन सरकार ने एक बार फिर वादा खिलाफी करते हुए नियमित करने की बजाय संविदा सेवा नियम बनाने की अधिसूचना जारी कर दी।

ऐसे शुरू हुई मदरसों में आधुनिक शिक्षा

मदरसों में दीनी तालीम तक महदूद मुस्लिम बच्चों को भी (मॉर्डन एजुकेशन) आधुनिक शिक्षा में भी पारंगत करने के मकसद से तात्कालिक कार्यालय अधीक्षक एवं वर्तमान सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजस्थान वक्फ बोर्ड डॉ. सगीर अहमद की अभिशंसा पर राज्य सरकार ने वर्ष 2000 में मदरसा शिक्षा आधुनिकरण योजना के तहत वक्फ बोर्ड राजस्थान के माध्यम से कौमी मदरसों को वक्फ बोर्ड में पंजीकृत कर मदरसा पैराटीचर्स की भर्ती की थी।

प्रथम फेज में कक्षा 10वीं उत्तीर्ण योग्यता मानते हुए 1200 रुपए प्रति माह मानदेय के तहत 619 मदरसा पैराटीचर्स की सीधी भर्ती की गई। शिक्षक योग्यता को लेकर सवाल उठे तो वक्फ बोर्ड ने प्रथम फेज में भर्ती पैराटीचर्स को शिक्षक योग्यता के लिए बीएसटीसी (बेसिक स्कूल टीचिंग सर्टिफिकिट) की ट्रेनिंग करवाई। मदरसों में निशुल्क पुस्तक वितरण के साथ ही कक्षा 5वीं तक हिंदी व अंग्रेजी की शिक्षा मिलने लगी। वक्फ बोर्ड में मदरसों का पंजीयन भी बढ़ा। वक्फ बोर्ड में मदरसों की संख्या बढ़ने लगी तो पुनः सीट बढ़ा कर मदरसा पैराटीचर्स की भर्ती निकाली गई। इस दौरान राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने 2003 में मदरसा शिक्षा की बेहतरी के लिए राजस्थान मदरसा बोर्ड का गठन करते हुए वक्फ बोर्ड के अधीन संचालित सभी मदरसों को राजस्थान मदरसा बोर्ड के हस्तांतरित कर दिया। द्वितीय चरण की पैराटीचर्स भर्ती मदरसा बोर्ड के अधीन बोर्ड के प्रथम चेयरमेन अलाउद्दीन आजाद व सचिव डॉ. आजम बेग के कार्यकाल में हुई।

अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजस्थान वक्फ बोर्ड डॉ. सगीर अहमद ने कहा, "जिस मकसद के तहत मदरसों में आधुनिक शिक्षा शुरू की थी। अब शायद उस दिशा में काम नहीं हो रहा है। मदरसों की तालीम हाशिए पर है।"

उर्दू बचाओ संघर्ष समिति प्रदेशाध्यक्ष शमशेर भालू खान ने कहा, "मदरसा पैराटीचर्स की मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा हूं। जब तक इन्हें नियमित नहीं करते रुकने वाला नहीं हूं। सरकार ने कई बार वादे किए, लेकिन हर बार वादों से मुकर गए। उर्दू तालीम पर राजस्थान सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करना चाहिए।"

"मदरसा पैरा टीचर्स को संविदा कर्मी बनाने के लिए संविदा सेवा नियम का प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेज रखा है", राजस्थान मदरसा बोर्ड सचिव मुकर्रम शाह ने कहा।

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