राजस्थान में कठिन है न्याय पाने की लड़ाई!

बाड़मेर जिले के जोगाराम मेघवाल एक साल से न्याय के लिए पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों में लगा रहे चक्कर. एक मुकदमे में नामजद आरोपी के बेटे हैं पुलिसकर्मी। जोगाराम का आरोप- "नहीं मिल रहा न्याय."
जोगाराम मेघवाल
जोगाराम मेघवाल

जयपुर। राजस्थान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों व मुस्लिमों की सुनवाई में देरी कोई नई बात नहीं है। विशेष कर ऐसे लोगों के साथ मारपीट और प्रताड़ना के मामलों में पुलिस पर टालमटोल के आरोप लगते रहे हैं। बाड़मेर जिले के गिड़ा थाना इलाके के जड़ियाली (झाक) गांव में रहने वाला 28 वर्षीय जोगाराम मेघवाल से भी मारपीट कर बाइक छीन ले जाने के मामले में लगभग एक साल से पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर लगा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

पीड़ित ने कहा गिड़ा पुलिस थाने में न्यायालय के आदेश पर दर्ज मुकदमे में पहले एफआर लगाई गई। न्यायालय के आदेश पर पुनः जांच शुरू हुई, लेकिन जांच के नाम पर पुलिस अभी तक मामले को अटकाए हुए है। जोगाराम का आरोप है कि उसके साथ मारपीट के एक आरोपी के दो बेटे पुलिस में सेवारत है। इस लिए उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। जोगाराम ने कहा उसने एसएचओ से लेकर डीवाईएसपी, एसपी व रेंज आईजी जोधपुर तक गुहार लगाई है, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है।

द मूकनायक से जोगाराम ने बात करते हुए कहा कि आरोपी दबंग व रसूख वाले हैं। पुलिस भी उन्ही के पक्ष में है। ऐसे में आरोपी कोजराम की तरह उसके साथ भी घटना कारित कर सकते हैं।

एक साल पहले 14 अप्रैल 2022 को हुई थी घटना

अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाला 28 वर्षीय जोगाराम पुत्र मंगलाराम मेघवाल राजस्थान के बाड़मेर जिले के गिड़ा पुलिस थाना इलाके के जड़ियाली (झाक) गांव में रहता है। जोगाराम मेघवाल परिवार के पालन पोषण के लिए दिहाड़ी मजदूरी के साथ पशुपालन का काम भी करता है। 14 अप्रैल 2022 की शाम तक भी पालतू पशु वापस घर को नहीं लौटे तो, पीड़ित जोगाराम गांव के अपने साथी चनणाराम पुत्र आत्माराम निवासी झाक के साथ खुद की मोटरसाइकिल पर सवार होकर पशु ढूंढने निकला था। पशुओं को तलाश करते हुए जंगल में रेत के धोरे तक पहुंचे तो बाइक को खड़ा कर दिया। आरोपी भोमाराम पुत्र मगाराम जाट और राजूराम पुत्र उदाराम जाट निवासी झाक ने मिलकर पीड़ित पर जानलेवा हमला कर दिया। हाथ, थापो व मुक्कों से मारपीट कर अधमरा कर दिया।

आरोपियों ने पीड़ित के साथी चनणाराम के साथ भी मारपीट की। पीड़ितों ने रेह की (चिल्लाए) तो आवाज सुन कर पशुओं को ढूंढते हुए इस क्षेत्र में पहुंचे पीड़ित के घर वाले व अन्य लोगों ने दोनों को बचाया। इधर आरोपी पीड़ित की मोटर साइकिल ले गए।

आरोपी जानते थे कि पीड़ित जोगाराम अनुसूचित जाति का व्यक्ति है, यह जानते हुए भी खुले स्थान पर जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। उन्होंने कहा मेरे खिलाफ मुकदमे करवाते हो। यह लोग नहीं आते तो आज तुझे जान से मार देते।

पुलिस ने नहीं की एफआईआर दर्ज

जोगाराम ने कहा कि घटना के बाद पुलिस थाना गिड़ा में उसी समय रिपोर्ट दी, लेकिन आरोपियों के राजनीतिक रसूखात होने व एक आरोपी के दो बेटे पुलिस में होने के कारण रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। थाने में कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित ने 18 अप्रैल को पुलिस अधीक्षक बाडमेर के समक्ष रिपोर्ट पेश कर कार्यवाही करने का निवेदन किया। इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं हुई।

जोगाराम कहते है कि पुलिस ने सुनवाई नहीं की तो, वह न्यायालय की शरण में पहुंचा। विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण प्रकरण) बाडमेर के समक्ष परिवाद दिया। सुनवाई के बाद न्यायालय के आदेश पर गिड़ा पुलिस ने घटना के 20 दिन बाद 3 मई 2022 को आरोपियों के खिलाफ धारा 323, 341, 379 भादस, 3 (1) (द) (ध) SC/ST Act में मामला दर्ज कर लिया।

पुलिस ने एफआर लगाई, फिर न्यायालय के आदेश पर पुनः जांच

जोगाराम का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों से मिलीभगत कर न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुए मारपीट, चोरी व एससी, एसटी एक्ट मुकदमे में एफआर लगा दी। आरोपियों से पीड़ित की बाइक भी बरामद नहीं की गई। जबकि अभी तक पीड़ित की मोटरसाइकिल आरोपियों के पास है। यह बात पुलिस भी जानती है।

एफआर लगाने के बाद एक बार फिर पीड़ित ने पुलिस कार्रवाई को गलत बताते हुए न्यायालय में आवेदन कर न्यायालय के जरिये दर्ज करवाये गए मुकदमे की पुनः जांच की गुहार लगाई थी। पीड़ित के निवेदन पर न्यायालय ने मुकदमें की पुनः जांच के पुलिस को आदेश भी दिए।

न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने गिड़ा पुलिस थाने के 90/2022 नम्बर मुकदमे की जांच शुरू की, लेकिन अभी तक जांच किसी निर्णय पर नहीं पहुंची। जोगाराम ने कहा कि एक साल से वह न्याय के लिए भटक रहा है, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही।

यह भी है पुलिस पर आरोप

आरोपी भोमाराम एक बदमाश प्रवृति का आदतन अपराधी है। आरोपी के खिलाफ विभिन्न थानों में कई मुकदमें दर्ज है। भोमाराम के दो लड़के पुलिस विभाग में कार्यरत है। इसलिए भोमाराम आये दिन कोई न कोई अपराध करता रहता है। लोगों से कहता है कि पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। आरोपी भोमाराम के राजनैतिक लोगों से गहरे संबंध है।

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जोगाराम ने आरोप लगाया कि यह जानते हुए कि पीड़ित अनुसूचित जाति वर्ग से है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। जबकि नियमानुसार अनुसूचित जाति के व्यक्ति के साथ कोई मारपीट और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने की घटना कारित होती है तो तुरन्त मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही कर आरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रावधान है। इसके बावजूद भी पुलिस थाना गिड़ा द्वारा परिवादी के साथ संतोषजनक व्यवहार तक नहीं किया जा रहा है।

आरोपियों ने फिर की पीड़ित के साथ मारपीट

पीड़ित जोगाराम मेघवाल ने बताया कि 7 मई को वह खेताराम नाम व्यक्ति के साथ रात 10.30 बजे घर से लाखे खान की ढाणी गया था। इस दौरान राजुराम और भोमाराम ने पीड़ित और खेताराम पर लाठी से हमला किया। जोगाराम ने कहा मारपीट करते हुए आरोपियों ने कहा कि न्यायालय के आदेश पर दर्ज मुकदमे में राजीनामा कर ले। नहीं तो तुझे जान से मार देंगे। पीड़ित ने बताया कि लाखे खान मुकदमे में गवाह था। जांच अधिकारी बयान लेने वाले थे इस लिए गवाह को यह जानकारी देने गया था।

इस घटना के बाद पीड़ित ने 8 मई को गिड़ा पुलिस थाने में उक्त आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। जांच के बाद पुलिस ने चालान पेश कर दिया। आरोपी जमानत पर बाहर हैं। उसे राजीनामे के लिए धमका रहे हैं।

जोगाराम कहता है कि आरोपी बाड़मेर के ही कोजाराम की तरह उसकी भी हत्या कर सकते हैं। पीड़ित ने पुलिस द्वारा सुनवाई नहीं करने पर समाज से भी मदद मांगी है। पीड़ित ने इस संबंध में एससी आयोग के अध्यक्ष को भी पत्र लिखा है।

जोगाराम ने कहा कि स्थानीय पुलिस जांच में सही कार्रवाई नहीं कर रही थी। इस लिए उसने पहले एसपी को और इसके बाद रेंज आईजी जोधपुर को पत्र लिख कर जांच अधिकारी बदलने की गुहार लगाई थी। आईजी जोधपुर के निर्देश पर जांच बालोतरा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को सौपी गई, लेकिन अभी तक भी जांच लम्बित है।

आरोप निराधार

जोगाराम मामले में मारपीट व चोरी के आरोपी के दो पुलिसकर्मी बेटों से सांठ गांठ के आरोपों को नकारते हुए गिड़ा पुलिस थानाधिकारी बगड़ू राम ने द मूकनायक से कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। सभी आरोप निराधार है। पीड़ित ने आरोपियों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज करवा रखे हैं। जांच में जो सही पाया गया, चालान दिया गया। जो झूठा था उसमें एफआर दी।

गिड़ा एसएचओ ने कहा कि गिड़ा थाने में दर्ज 90/2022 नम्बर मुकदमे में न्यायालय के आदेश पर पुनः जांच शुरू की गई है। जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बालोतरा कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस ने इस मुकदमे में एफआर दी थी। जांच अधिकारी एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बालोतरा नितेश आर्य ने कहा कि इस मामले की जांच में कर रहा था, लेकिन अब मेरा तबादला हो गया है। उन्होंने कहा कि जांच अभी तक लम्बित है।

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