राजस्थान बजट: एक लाख ट्रांसजेंडर्स के लिए कुछ भी नहीं, मुस्लिमों की भी अनदेखी

अशोक गहलोत सरकार के चुनावी बजट ने अल्पसंख्यक और ट्रांसजेंडर समुदाय को किया निराश।
राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

जयपुर। कांग्रेस सरकार के इस कार्यकाल के अंतिम बजट में किस को क्या मिला, बजट चुनाव के इर्द-गिर्द रहा या फिर बजट सार्थक होगा, विशेष कर महिला व ट्रांसजेंडर का कितना ध्यान रखा गया, उर्दू शिक्षा व चिकित्सा पर बजट में क्या घोषणाएं हुईं, इन मुद्दों पर द मूकनायक ने विशेषज्ञों से बात की।

यह बात दीगर है कि सदन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस कार्यकाल के अंतिम बजट पेश करने के दौरान बड़ी चूक हुई। मुख्यमंत्री ने 7 मिनट तक पुराना बजट पढ़ा। इसका अहसास होने पर सीएम बजट पढ़ते हुए रुक गए। बाद में फिर से बजट 2023-24 को पढ़ा गया। इतिहास में यह पहली बार हुआ है। जब किसी सीएम ने 7 मिनट तक पुराना बजट पढ़ा है।

सबका रखा ख्याल, ट्रांसजेंडर को बिसराया

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस कार्यकाल के अंतिम बजट में सभी वर्गों को ध्यान रखते हुए योजनाओं की घोषणाएं की, लेकिन ट्रांसजेंडर को बिसरा दिया। बजट में ट्रांसजेंडर के लिए किसी प्रकार की घोषणा नहीं होने से इस वर्ग में निराशा है। राजस्थान के इस बजट में ट्रांसजेंडर को नजरंदाज किया गया है। इस पर द मूकनायक ने जयपुर में संचालित ट्रांसजेंडर अखाड़े की आध्यात्मिक गुरु एवं सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा ताई से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा। पुष्पा ने कहा कि, राजस्थान में लगभग 95 हजार से एक लाख ट्रांसजेंडर निवास करते हैं। हर बार बजट में सरकारें इस वर्ग के कल्याण के लिए कई घोषणाएं करती आई हैं, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्रांसजेंडर को भुला दिया है। यह बात अलग है कि बजट से पूर्व सरकार ने सभी कलक्टर के माध्यम से ट्रांसजेंडरों के साथ चर्चा कर उनके भविष्य के लिए क्या बेहतर किया जा सकता है? पूछा था।

ट्रांसजेंडर अखाड़े की आध्यात्मिक गुरु एवं सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा ताई
ट्रांसजेंडर अखाड़े की आध्यात्मिक गुरु एवं सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा ताई

पुष्पा ताई कहती हैं कि, चर्चा के दौरान ट्रांसजेंडरों ने सरकारी नौकरियों में 2 प्रतिशत आरक्षण की मांग रखी थी। पुलिस, होमगार्ड आदि में ट्रांसजेंडर के लिए अलग से भर्ती निकालने, अस्पतालों में ट्रांसजेंडरों के लिए अलग से बेड आरक्षित रखने, ट्रांसजेंडर के लिए अलग से हेल्पलाइन नम्बर जारी करने की प्रमुख मांगें थीं, लेकिन बजट में ट्रांसजेंडर का जिक्र तक नहीं हुआ। यह भी समाज का अंग है। इन्हें कोई भी सरकार इस तरह नजर अंदाज कैसे कर सकती है। पुष्पा ताई आगे कहती हैं कि, सरकार को संशोधित बजट में ट्रांसजेंडरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के साथ बजट पूर्व चर्चा में उठी मांगों को पूरा करना चाहिए।

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
NCDHR बजट विश्लेषण: दलित-आदिवासी कल्याणकारी योजनाओं में होता है कम बजट आवंटन!

बजट में मदरसा विकास व अल्पसंख्यक कल्याण पर चुप्पी?

राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ राजस्थान कोर कमेटी अध्यक्ष व संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा राजस्थान के प्रदेश महासचिव अनवर खान कोटा ने बजट पर चर्चा में द मूकनायक से कहा कि, बजट में मदरसा विकास के लिए कोई घोषणा नहीं हुई। इतना ही नहीं सीएम ने अल्पसंख्यक कल्याण पर भी कुछ नहीं बोला। अनवर कहते हैं कि, आप सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति करें। हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन मुस्लिमों से दूरी बनाने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग में अन्य धर्मों का तो कल्याण कर सकते थे।

खान ने कहा कि, एक तरफ कांग्रेस भारत जोड़ो का नारा देती है। दूसरी तरफ मुस्लिम या अल्पसंख्यक शब्द बोलने से भी बजट में बचा गया। जबकि राजस्थान का मुस्लिम समाज कांग्रेस का सौ फीसदी वोटर है। बजट में ठेका प्रथा (संविदा सिस्टम) को खत्म कर सभी को नियमित करने की घोषणा की गई, लेकिन इसकी कोई डेडलाइन जारी नहीं की गई। सीएम ने एक तरफ संविदा प्रणाली बन्द करने की घोषणा की। दूसरी तरफ नए संविदा सेवा नियमों में आइएस की तर्ज पर पूर्व में किये कार्य का अनुभव जोड़ने की भी बात कही। बजट में दिए दोनों तर्क भ्रमित करने वाले हैं।

अनवर खान कोटा
अनवर खान कोटा

"यह पूर्व की तरह चुनावी वादे से ज्यादा कुछ नहीं है। एक तरफ सीएम संविदा प्रणाली समाप्त करने की बात कह रहे हैं। दूसरी तरफ अभी भी उनसे 5 वर्षों तक संविदा पर काम करने का बांड भरवाया जा रहा है। बजट में मदरसों के विकास पर कुछ नहीं बोला गया। जबकि 17 वैदिक स्कूल खोलने की घोषणा हुई। उर्दू शिक्षा के उत्थान पर भी सीएम ने कुछ नहीं बोला", खान ने कहा।

अनवर कहते हैं कि, अंतिम बजट में मुस्लिम वर्ग को पूरी तरह नजरंदाज किया गया, लेकिन राजस्थान के सभी मुस्लिम विधायक बेंच थपथपाते रहे। नए संविदा सेवा नियमों में मदरसा पैराटीचरों को अन्य संविदाकर्मियों के मुकाबले दूसरे दर्जे पर रखा गया है। यहां मुस्लिम वर्ग के मतों से सत्ता में बैठे मुस्लिम नेताओं को चुप्पी तोड़ना चाहिए।

हालांकि संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा राजस्थान के संयोजक शमशेर भालू खान (गांधी) ने संविदा सेवा नियम के तहत संविदाकर्मियों को नियमित करने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि राजस्थान के एक लाख 10 हजार संविदाकर्मियों के पूर्व अनुभव की गणना करते हुए नियमित करने की घोषणा की गई है। हालांकि नियमितीकरण की प्रक्रिया को शुरू करवाने के लिए हमें प्रयास जारी रखने होंगे। उन्होंने संविदाकर्मियों से धैर्य बनाये रखने का आह्वान भी किया है।

आदिवासी साबूती देवी मीणा
आदिवासी साबूती देवी मीणा

महिलाओं के लिए राहत का बजट

द मूकनायक ने बजट को लेकर आदिवासी गृहणी से भी बात की। सवाईमाधोपुर जिले के मलारना चौड़ निवासी आदिवासी साबूती देवी मीणा किसान होने के साथ गृहणी भी हैं। द मूकनायक से बात करते हुए कहती हैं कि बजट में महिलाओं को रोडवेज बसों में 50 प्रतिशत किराए में छूट दी गई है। इसके साथ ही बीपीएल व प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 76 लाख निम्न आय वर्ग के लाभार्थियों को एक वर्ष के लिए एलपीजी गैस सिलेंडर 500 रुपये में देने की घोषणा की गई है। सस्ता सिलेंडर महंगाई के दौर में रसोई के बजट में लाभकारी होगा। किसान होने के नाते साबूती देवी मीणा कहती है कि किसानों को 2000 ( दो हजार ) यूनिट तक उपभोग करने पर निशुल्क बिजली मिलेगी।

अमरूद के बड़े किसान व कांग्रेस नेता डॉ. मुमताज ने कहा कि राजस्थान में सवाईमाधोपुर जिला अमरूद उत्पादन का सबसे बड़ा हब है। यहां अमरूद की बागवानी से पांच सौ करोड़ से अधिक वार्षिक आय होती है। अमरूद बेचने के लिए किसानों के पास स्थानीय स्तर पर बाजार नहीं है। मजबूरन घाटे का सौदा कर बाहर के ठेकेदारों को कम दामों में बेचना पड़ता है। ऐसे में किसान जिले में सरकारी स्तर पर फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की मांग कर रहे थे। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता जयराम रमेश ने भी किसानों की पीड़ा समझते मुख्यमंत्री से अमरूद फूड प्रोसेसिंग यूनिट की घोषणा करवाने का भरोसा दिया था, लेकिन बजट में किसानों का भरोसा टूट गया। यहां फूड प्रोसेसिंग यूनिट की जगह अमरूद उत्कृष्ट केंद्र खोलने की घोषणा की गई। उत्कृष्ट केंद्र में अमरूद के पौधे तैयार होंगे। जब भाव नहीं मिलेगा तो यहां तैयार पौधे कौन लगाएगा।

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
एनसीडीएचआर बजट विश्लेषण: दलित-आदिवासी बजट के आंकड़ों और जमीनी हकीकत में अंतर!

सभी वर्गों के लिए लाभकारी यह बजट

राजस्थान की गहलोत सरकार के इस कार्यकाल के अंतिम बजट को लेकर सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू ) क्षेत्रीय केंद्र खन्ना पंजाब में पदस्थ डॉ. कमलेश मीणा राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के निवासी हैं। वह राजनैतिक विश्लेषक भी हैं। डॉ. मीणा ने बजट पर चर्चा में द मूकनायक को बताया कि यह बजट समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाने का समावेशी विचार है। नवजात शिशुओं से लेकर मृत्यु तक सभी को स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचा, रोजगार के अवसर, चिकित्सा सुविधा, पर्यावरण और वित्तीय निर्भरता के प्रति सशक्त बनाने के लिए सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं दी गई हैं। दिव्यांग बच्चों, उत्पीड़ित, उदास, वंचित, हाशिए पर लोगों, आदिवासी, अनुसूचित जाति, महिलाओं और लड़कियों जैसे समाज के हर कमजोर वर्ग को उन्हें आत्म निर्भर, उद्यमी, कुशल मानव कार्यकर्ता और एक सशक्त इंसान बनाने के लिए कुछ वित्तीय लाभ आवंटित किए गए हैं।

डॉ. कमलेश मीणा
डॉ. कमलेश मीणा

डॉ. मीणा आगे कहते हैं कि, पहली बार किसी भी सरकार द्वारा एक पूर्ण कल्याणकारी अवधारणा आधारित बजट प्रस्तुत किया गया है। इस बजट से समाज का कोई भी तबका अछूता नहीं रहा है। गहराई से जाकर समझें और ईमानदारी से विश्लेषण करें, किसी न किसी फायदे के दायरे में सभी आ गए हैं।

उन्होंने कहा कि यह सही है कि चुनाव नजदीक होने से यह राजनीतिक बजट भी है, लेकिन सभी को लाभ देने के लिए ईमानदारी से कार्यान्वयन और निष्पादन के साथ इसे जमीन पर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

"यहां सभी विश्वविद्यालयों, बोर्डों और स्वायत्त विभागों के लिए पुरानी पेंशन योजना के विस्तार, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 25 लाख की राशि के साथ सभी श्रेणियों में लागू करने योजना में दुर्घटना बीमा क्लेम राशि 5 से 10 लाख रुपये बढा कर वास्तविक सार्वजनिक चिंताओं और सामाजिक सुरक्षा अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। लोकतंत्र में ये वास्तविक जन सरोकार के मुद्दे और समस्याएं हैं और बाद में या जल्द ही सभी राज्यों की सरकारों और केंद्र सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ना होगा", डॉ. मीणा ने कहा।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com