बहुचर्चित सीआई फूल मोहम्मद हत्याकांड : निचली अदालत से दोषी 30 आरोपियों की उच्च न्यायालय से सजा स्थगित

राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले का मामला, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में करे अपील-डॉ. नजीमुद्दीन
Photo : Hindustan
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जयपुर: राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के सीआई फूल मोहम्मद को पुलिस वाहन में डालकर जिंदा जला कर हत्या करने के लगभग 12 साल पुराने मामले में अब राजस्थान हाईकोर्ट ने सजायाफ्ता सभी 30 दोषियों की सजा स्थगित कर दी है।

इससे पूर्व सवाईमाधोपुर जिले के अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति न्यायालय ने 17 नवम्बर 2022 को तत्कालीन मानटाउन थानाधिकारी सीआई फूल मोहम्मद की हत्या का दोषी ठहराते तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक महेंद्र सिंह तंवर व बनवारी लाल मीना, रामचरण मीना, योगेंद्र नाथ, हुनमान मीना और पृथ्वीराज मीणा सहित 30 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

निचली अदालत के आजीवन कारावास के फैसले को चुनौती देते हुए 17 अपीलार्थियों ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष सजा स्थगन के लिए आवेदन किये थे।

बीते शुक्रवार 28 अप्रैल को राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायधीश पंकज भंडारी और भुवन गोयल की खंडपीठ ने सजा स्थगन के लिए दायर 17 प्रार्थना पत्र पर यह आदेश दिए। कोर्ट ने एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉन्ड और 50 - 50 हजार रुपये के दो जमानती मुचलकों पर सभी आरोपियों को रिहा करने के आदेश दिए।

राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर के अनुसार उक्त मामले में आरोपियों ने सजा स्थगन प्रार्थना पत्र में कहा कि ट्रायल के दौरान सभी अपीलार्थी जमानत पर रहे हैं। इसी के साथ भीड़ ने पथराव किया। किसके पत्थर से फूल मोहम्मद को चोट लगी और किसने आग लगाई यह जांच में स्पष्ट नहीं हो सका है।

सजा स्थगन के अपीलार्थियों की तरफ से यह भी कहा गया कि जांच के दौरान जिस पर केरोसीन लाने का आरोप लगाया वह नाबालिग था। साथ ही यह भी कहा गया कि एक ही आरोप व बयानों के आधार पर 49 आरोपियों को बरी किया गया और 30 को दोषी मानकर सजा सुनाई गई।

इस मामले में सीबीआई ने सजा स्थगन का विरोध करते हुए कहा कि तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह का मृतक फूल मोहम्मद से व्यक्तिगत विवाद था। भीड़ के पथराव करने के साथ वह मौके से भाग गए। अपीलार्थियों ने पथराव करने के बाद पुलिस गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था।

निचली अदालत द्वारा सीआई फूल मोहम्मद की हत्या के दोषियों को राजस्थान उच्च न्यायालय के सजा स्थगन के आदेश पर सवाईमाधोपुर जिले के स्थानीय पत्रकार सुनील जोशी कहते हैं कि यह न्यायालय का आदेश है। न्यायालय के आदेश का सम्मान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं जांच एजेंसी सीबीआई से तथ्यात्मक सबूत जुटाने में चूक हुई है। न्यायालय सबूतों के आधार पर फैसला करता है।

इस मामले में जमाते इस्लामी हिन्द राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. नजीमुद्दीन ने भी कहा कि न्यायालय के फैसले का हम सम्मान करते हैं। सीआई फूल मोहम्मद की हत्या हुई है। उन्हें पुलिस जीप में जिंदा जलाया गया आखिर फूल मोहम्मद की हत्या का दोषी कौन है?

डॉ. नजीमुद्दीन कहते हैं कि एक मामले में उच्च न्यायालय बम ब्लास्ट के आरोपियों की जमानत लेता है तो, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के अन्य नेता भी भाजपा के सुर में सुर मिला कर न्यायालय के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात करते हैं। वहीं एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या के दोषियों की सजा स्थगन पर कांग्रेस चुप्पी साध लेती है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को लेकर भाजपा की सोच स्पष्ट है, लेकिन कांग्रेस भी मुसलमानों के मामले में दोहरा रवैया अपना रही है। यहां भी राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।

यह था मामला

Twocircles.net के पत्रकार आकिल हुसैन की 23 नवम्बर 2022 को प्रकाशित खबर के मुताबिक:

सवाई माधोपुर जिले के मानटाउन थाना क्षेत्र के सूरवाल गांव में मार्च 2011 को अज्ञात लोगों द्वारा दाखा देवी, एक बुजुर्ग महिला के पैर काटकर चांदी के कड़े निकाल लिए थे। इस घटना के कुछ दिन बाद दाखा देवी की मौत हो गई थी।

दाखा देवी की मौत के बाद 17 मार्च 2011 को गांव के लोग मृतक महिला के हत्यारों को गिरफ्तार करने और मृतक के परिजनों को मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।‌

इस दौरान राजेश मीणा और बनवारी लाल मीणा नामक दो युवक दाखा देवी मामले में कार्रवाई नहीं होने पर सुसाइड की धमकीं देते हुए हाथ में पेट्रोल लेकर पानी की टंकी पर चढ़ गए थे।

वहां मौजूद लोगों ने बनवारी को समझा-बुझाकर टंकी से नीचे उतरवा लिया था, लेकिन दूसरा युवक राजेश नहीं माना उसने खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली और इसके बाद वो पानी की टंकी से नीचे गिर गया। जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी।

राजेश मीणा नामक युवक के आग लगाकर पानी की टंकी से नीचे कूदने के बाद मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों पर भीड़ ने पथराव कर दिया था। भीड़ पुलिस कर्मियों की तरफ बढ़ने लगी तो वहां से ज्यादातर पुलिस कर्मी भाग निकले थे। भीड़ मानटाउन थानाधिकारी सीआई फूल मोहम्‍मद और कुछ पुलिस कर्मियों को घेर लिया।

बाद में थानाधिकारी को अकेला छोड़ कर अन्य सिपाही भी भाग निकले थे। फूल मोहम्मद पथराव भीड़ को रोकते रहे। आखिर में घायल हो गए। इसके बाद भीड़ ने गाड़ी में पेट्रोल डाल कर सीआई फूल मोहम्मद को पुलिस जीप में जिंदा जला दिया।

इस घटना के बाद मान टाउन थाने में 21नामजद आरोपियों समेत कई अन्य अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम 1984 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने इस मामले की जांच शुरूआत में सीआईडी ​​राजस्थान को सौंप दी थी। घटना की शुरुआती जांच के बाद सीआईडी राजस्थान ने मामले के 19 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दायर की थी।

इसके बाद इस मामले की जांच तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सीबीआई को सौंप दी थी। मामले की जांच के बाद सीबीआई ने कुल 89 आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक महेंद्र सिंह भी शामिल था।‌ सीबीआई ने जांच में माना कि तत्कालीन डिप्टी एसपी महेंद्र सिंह की तत्कालीन मानटाउन के फूल मोहम्मद से व्यक्तिगत रंजिश थी। इसके अलावा तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह द्वारा अपने अधिकारियों को घटना की ग़लत सूचना देने की बात भी सामने आई थी।

गवाह की हत्या

सीबीआई जांच में तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह को पूरी घटना के लिए दोषी बताया गया और जांच में यह भी सामने आया कि जब भीड़ पुलिस जीप को आग लगा रहीं थी तब डीएसपी महेंद्र सिंह वहीं पर मौजूद था, लेकिन उन्होंने सीआई फूल मोहम्मद से आपसी खुन्नस के चलते उनको बचाने तक की कोशिश नहीं की।

सीबीआई की चार्जशीट में यह भी कहा गया कि फूल मोहम्मद हत्याकांड में महेंद्र सिंह का जुर्म साबित करने में मानटाउन थाने का हिस्ट्री शीटर संजय बिहारी गवाह था। लेकिन संजय बिहारी के बयान दर्ज होने से पहले ही उसकी जयपुर में हत्या कर दी गई थी।

बीते 16 नवंबर 2022 बुधवार को अदालत ने 89 आरोपियों में से 30 आरोपियों को दोषी करार दिया था। बाकि 49 आरोपियों को बरी कर दिया था। 89 आरोपियों में से पांच आरोपियों की मृत्यु भी हों चुकीं थी। वहीं तीन आरोपी पुलिस की पकड़ से अभी भी दूर हैं। इन 89 आरोपियों में दो पुलिस अधिकारी भी शामिल थे जिसमें से तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह को घटना का दोषी ठहराया गया वहीं मानटाउन थाने के तत्कालीन सब इंस्पेक्टर सुमेर सिंह को बरी कर दिया गया था।

बीते शुक्रवार 18 नवंबर 2022 को लगभग 11 साल लंबे कोर्ट ट्रायल के बाद एससी-एसटी स्पेशल कोर्ट की न्यायाधीश पल्लवी शर्मा ने सभी तीस दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। इसके अलावा दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है। हत्याकांड के दोषियों से वसूला गया जुर्माना मृतक फूल मोहम्मद ख़ान के परिजनों को मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।

इन दोषियों को हुई थी उम्रकैद

निचली अदालत की ओर से जिन लोगों को सजा सुनाई गई थी उसमें तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक महेंद्र सिंह सहित राधेश्याम माली, परमानंद, बबलू, पृथ्वीराज, रामचरण, चिरंजीलाल, शेर सिंह, हरजी, रमेश मीणा, कालू, बजरंगा खटीक, मुरारी मीणा, चतुर्भुज मीणा, बनवारी, रामकरण, हंसराज, शंकर माली, बनवारी लाल मीणा, धर्मेंद्र मीणा, योगेंद्र नाथ, बृजेश हनुमान, रामजीलाल, माखन सिंह, रामभरोसे मीणा, मोहन माली, मुकेश माली, श्यामलाल आदि शामिल थे।

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