राजस्थान: संविदाकर्मियों को पक्की नौकरी के लिए पांच साल तक करना होगा इंतजार!

सेवा नियमों की प्रतियां जलाते कार्मिक [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
सेवा नियमों की प्रतियां जलाते कार्मिक [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

राज्य सरकार के नए नियम से संविदाकर्मियों में आक्रोश, नियमों की प्रतियां जलाकर काली दीपावली मनाई।

जयपुर। दीपावली पर राजस्थान का हर घर दीपों से रोशन है। लोग एक दूसरे से मिलकर खुशियां बांट रहे हैं। ऐसे वक्त में राजस्थान मदरसा बोर्ड से पंजीकृत मदरसा पैरा टीचर्स सहित राजीव गांधी पैरा टीचर, शिक्षाकर्मी व पंचायत सहायकों की भीड़ परिवार को छोड़ कर सड़कों पर खड़ी थी। यह लोग राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 की प्रतियां जला कर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। नए नियम के अनुसार संविदाकर्मियों को पक्की नौकरी के लिए अभी पांच साल और काम करना होगा। वहीं उनके पुराने कार्यअनुभव को कोई तरजीह नहीं दी जाएगी।

यह है मामला?

अखिल राजस्थान संविदा कार्मिक नियमितीकरण संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश महासचिव अनवर खान कोटा बताते हैं कि, 2018 में चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने घोषणा पत्र में संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का वादा किया था। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो घोषणा पत्र का चुनावी वादा याद दिलाने के लिए अखिल राजस्थान संयुक्त संघर्ष समिति ने समय पर सरकार को ज्ञापन दिए। संविदाकर्मियों को नियमित करने की मांग को लेकर आन्दोलन भी किया। 2 वर्ष पूर्व दांडी यात्रा से आंदोलन की शुरुआत पूर्व शिक्षक नेता शमशेर भालू खा ( गांधी ) की अगुवाई में हुई। दांडी यात्रा के दौरान राज्य सरकार ने उदयपुर में प्रतिनिधि भेज कर आंदोलनकारियों से वार्ता कर संविदाकर्मियों की नियमितिकरण सहित कई बिन्दुओं पर लिखित समझौता किया, लेकिन वादा करने के बाद गहलोत सरकार मुकर गए।

खान ने द मूकनायक को बताया कि, दांडी यात्रा के दौरान हुए लिखित समझौता को लागू करने की मांग को लेकर एक बार फिर 2 अक्टूबर 2021 को संयुक्त संघर्ष समिति संरक्षक शमशेर खान भालू (गांधी) की अगुवाई में द्वित्तीय दांडी यात्रा कर जीयर स्थित शहीद स्थल पर आमरण अनशन व अनिश्चित कालीन धरना दिया गया। उस वक्त भी राज्य के 14 हजार पैराटीचरों ने धरना स्थल पर काली दिवाली मनाई थी। 77 दिन तक लगातार धरना प्रदर्शन के बाद सरकार आंदोलनकरियों से बात करने को राजी हुई। 31 दिसंबर 2021 को नव वर्ष की पूर्व संध्या पर मुस्लिम समुदाय से आने वाले कांग्रेस विधायक रफीक खां, अमीन कागजी व वाजिब अली की मध्यस्थता में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर संघर्ष समिति से 45 मिनट वार्ता करने के बाद एक बार नियमित करने का वादा किया था, लेकिन फिर सरकार ने पलटी मारते हुए राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 बना कर संविदाकर्मियों को प्रताड़ित करने का काम किया है।

नए संविदा नियमों का विरोध करते कार्मिक [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
नए संविदा नियमों का विरोध करते कार्मिक [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

भरोसा देकर फिर खाई पलटी

संघर्ष समिति प्रदेश महासचिव अनवर खान कोटा बताते हैं कि, 31 दिसंबर 2021 नव वर्ष की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 45 मिनट वार्ता के दौरान सीएम के संवेदनशील शब्द आज भी उनके कानों में गूंज रहे है। वार्ता के दौरान सीएम ने कहा था कि
मेरे लगाए हुए ही पौधे हो। 'मैं नियमित नहीं कर पाया तो कोई नहीं कर पाएगा। मानदेय बढ़ाना हल नहीं बल्कि आपकी इस बीमारी का इलाज स्थायीकरण है। आज से मैं आपके संगठन का अध्यक्ष हूं। मैं आपके साथ अधिकारियों की मीटिंग में आपकी अध्यक्षता कर नियमितीकरण का रास्ता बनाऊंगा। शीघ्र आपको नियमितीकरण का तोहफा देंगे हम लोग।' खान कहते हैं कि यह शब्द अब भरोसे को डगमगाने लगे हैं।

यह हैं नए संविदा नियम

स्कूल शिक्षा, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग, पंचायती राज प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार गोयल ने दीपावली से पूर्व 21 अक्टूबर को ग्राम पंचायत सहायक, शिक्षाकर्मी तथा पैराटीचर्स को राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 के अंतर्गत लाए जाने के संबंध में एक आदेश जारी कर बताया कि राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर ग्राम पंचायत सहायक, शिक्षाकर्मी व पैराटीचर्स के संविदा पदों को राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 के अंतर्गत लिए जाने का निर्णय लिया गया है। इन पदों के नाम बदल कर शिक्षा सहायक, पाठशाला सहायक व विद्यालय सहायक किए गए हैं। इनका मानदेय 10400 रुपए मासिक या वर्तमान में प्राप्त मानदेय संरक्षित किया जाएगा। एजेंसी के माध्यम से या जॉब बेसिस पर कार्यरत कार्मिकों को इन नियमों के अंतर्गत नहीं लिया जाएगा। संविदा सेवा नियम 2022 के नियम 3 के अनुसार कार्यरत कार्मिकों को पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव की शर्त पूरी करने पर इन नियमों में लाया जाएगा। नोटिफिकेशन जारी होने से 9 वर्ष कार्य पूर्ण करने के बाद वेतन वृद्धि हो सकेगी।

नए नियम छलावा

मदरसा पैरा टीचर्स के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे जुल्फिकार अहमद बताते हैं कि, राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 संविदाकर्मियों के साथ छलावा है। यहां नए नियम के तहत 35 वर्षों से सेवा दे रहे कार्मिकों का अनुभव शून्य हो जाएगा। नए संविदाकर्मी व पुराने संविदाकर्मियों की वरीयता समान होगी। नए नियम के तहत वेतन वृद्धि का लाभ अब से 14 वर्ष बाद मिलेगा। पहले पांच साल अस्थायी कार्मिक के रूप में काम करना होगा। पांच साल बाद सरकार स्थायी कार्मिक तो मानेगी, लेकिन मानदेय में बढ़ोतरी स्थायी होने के बाद 9 साल सेवाकाल पूरा होने पर होगी।

अहमद कहते हैं कि, "हमने न तो नए संविदा नियम बनाने की मांग की। न ही मानदेय बढ़ाने की। हमने कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार स्थायी करने की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने दशकों से सेवा दे रहे कार्मिकों को कही का नहीं छोड़ा। हमें पेय ग्रेड तय कर नियमित करना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो अब उग्र आंदोलन होगा। नए संविदा नियमों को पढ़ कर लगता है कि मुख्यमंत्री ने इन नियमों का अध्ययन नहीं किया। नए नियम के अनुसार स्थायी होने से पूर्व ही पांच वर्षों में ज्यादातर पैराटीचर रिटायर हो जाएंगे।"

पैराटीचर्स कहते हैं कि, सरकार ने समय रहते नए संविदा नियमों में बदलाव कर राजीव गांधी पैराटीचर, मदरसा पैराटीचर व शिक्षाकर्मियों को नियमित नहीं किया तो इस बार सड़कों पर महासंग्राम होगा। कांग्रेस विधायकों को जगह जगह घेरा जाएगा। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में पहुंचने पर वादा खिलाफी करने वाले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस की करतूतों से राहुल गांधी को भी अवगत कराया जाएगा।

सेवा नियमों की प्रतियां जलाते कार्मिक [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
सेवा नियमों की प्रतियां जलाते कार्मिक [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

अखबारों की जलाई प्रतियां

राज्य सरकार ने राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 के प्रचार-प्रसार के लिए देश भर के अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन प्रकाशित करवा कर आमजन को भ्रमित करने का काम किया है। मदरसा पैरा टीचर गालिब खान बताते हैं कि, नए नियमो में सरकार ने संविदाकर्मियों के साथ कुठाराघात किया है। विज्ञापनों में इसे दीपावली का तोहफा बताया गया है। यह झूठ राजस्थान भर में सभी संविदाकर्मियों ने इसे झूठे विज्ञापन प्रकाशित करने वाले समाचार पत्रों की प्रतियां जला कर विरोध किया है।

संघर्ष समिति संरक्षक शमशेर खान भालू (गांधी) ने द मूकनायक को बताया कि, सरकार के भ्रमित करने वाले नियम व झूठे प्रचार के विरोध में दीपावली पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया। संविदा नियमों की प्रतियों के साथ झूठे विज्ञापन छापने वाले अखबारों की प्रतियां भी जलाई गईं।"

"मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नए संविदा सेवा नियमों को ठीक से पढ़ना चाहिए। नियमों में संसोधन कर सेवा का अनुभव संविदा पद पर प्रथम सेवा नियुक्ति से माना जाए। सम्बन्धित विभाग द्वारा प्रेषित प्रस्ताव अनुसार मानदेय निर्धारित किया जाए। बेसिक ग्रेड पे निर्धारित किया जाएं। जिन संविदा कर्मियों को पांच वर्ष पूर्ण हो गए है, उन्हें संविदा सेवा नियम 2022 के बिंदु संख्या 20 के अनुसार स्क्रीनिंग कर नियमित किया जाए," शमशेर ने कहा।

द मूकनायक ने स्कूल शिक्षा, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग, पंचायती राज प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार गोयल से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। द मूकनायक ने कांग्रेस विधायक व सीएम सलाहकार दानिश अबरार से बात करना चाहा, लेकिन उन्होंने भी इस पर फिलहाल बात करने से इनकार कर दिया। अधिकारी व सरकार में शामिल विधायक इस मसले पर कुछ भी बोलेने से बच रहे हैं।

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