राजस्थान: रणथम्भौर में टेरेटरी को लेकर संघर्ष, सरिस्का भेजा गया टी-113 टाइगर

बाघ टी-113 को रणथंभौर से शिफ्टिंग के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया
बाघ टी-113 को रणथंभौर से शिफ्टिंग के लिए ट्रेंकुलाइज किया गया

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में 80 से अधिक बाघ, फारेस्ट एरिया कम होने से पास के सरिस्का में टाइगर की शिफ्टिंग।

जयपुर। राजस्थान के सवाईमाधोपुर स्थित रणथम्भौर बाघ परियोजना (Ranthambore Tiger Project) की तालड़ा रेंज में छोला दह व बेड़ा कुई के बीच रविवार शाम 4 बजे टाइगर टी -113 स्वच्छंद विचरण कर रहा था, लेकिन जंगल के राजा पर भी कोई नजर रख रहा था। 4ः38 पर अचानक टाइगर को बेहोशी का इंजेक्शन लगता है। बाघ कुछ देर हरकत करने के बाद शांत होता है। इसी बीच सरिस्का व रणथम्भौर के चिकित्सकों की टीम टाइगर का स्वास्थ्य परीक्षण करती है। इसके बाद टाइगर को बेहोशी की हालत में एक सुरक्षित वाहन में रख कर 5ः40 पर वन्यजीव विशेषज्ञो की निगरानी में अलवर जिले के सरिस्का अभयारण्य के लिए रवाना कर दिया जाता है। आधी रात बाद लगभग तड़के 3 बजे टी 113 को सरिस्का टाइगर रिजर्व में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है।

सरिस्का वन विभाग की टीम नए मेहमान की गतिविधियों पर पूरी तरह नजर रखे हैं। इधर टी 113 के सरिस्का जाने के बाद टी 125 फीमेल टाइगर उदास है। विशेषज्ञ बताते हैं कि, टी 125 टी 113 से प्रेग्नेंट हुई थी। अब दोनों ने मिलने की उम्मीद छोड़ दी है। खास बात यह है कि यहां पहली बार वन विभाग ने टाइगर शिफ्टिंग कार्रवाई को गोपनीय तरीके से अंजाम दिया है। वहीं शिफ्टिंग कार्रवाई के दौरान वन अधिकारियों ने मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाए रखी। टाइगर शिफ्टिंग को लेकर वन्य जीव प्रेमी वन विभाग की प्रशंसा कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग शिफ्टिंग समय को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।

बाघों में संघर्ष बना शिफ्टिंग का मुख्य कारण

द मूकनायक को राजस्थान में वन्यजीव व पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही पथिक लोक सेवा समिति के संस्थापक व सचिव मुकेश सीट ने बताया कि राजस्थान के रणथम्भौर बाघ परियोजना (Ranthambore Tiger Project) क्षेत्र में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हम सब जानते हैं कि यहां क्षमता से अधिक बाघ हैं। वर्चस्व व टेरिटरी को लेकर बाघों में आए दिन संघर्ष होता है। संघर्ष में कई बाघों के घायल होने की खबरें भी सामने आई हैं। कुछ बाघ टेरिटरी की तलाश में रणथम्भौर से बाहर भी निकले हैं। ऐसे में बाघों के बेहतर भविष्य के लिए रणथम्भोर से राजस्थान के सरिस्का, मुकुन्दरा, व रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों को शिफ्ट किया जाना अति आवश्यक हो गया है।

मुकेश सीट कहते हैं कि, रणथम्भौर में वर्तमान में बाघों की संख्या 80 से अधिक है। बाघों को बचाने व इनके बीच संघर्ष को टालने के लिए रणथम्भौर से कम से कम 7 से 8 बाघों को राजस्थान के अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में 3 बाघ-बाघिनों को ट्रंकोलाइज कर राजस्थान के करौली स्थित केला देवी वन अभयारण्य, कोटा के मुकुंदरा हिल टाइगर रिजर्व व बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किए जाने की योजना है। इससे राजस्थान के अन्य टाइगर रिजर्वों में भी बाघों की संख्या में इजाफा हो पाएगा। वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर मिल पाएगा। हालांकि, वन विभाग ने अन्य बाघों की शिफ्टिंग को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

सवाईमाधोपुर शहर निवासी व वन्य जीवप्रेमी मोइन खान ने द मूकनायक को बताया कि, इससे पूर्व जुलाई 2022 में बाघिन टी 102 को रणथम्भौर से बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया था। अब रविवार 16 अक्टूबर को एनटीसीए की अनुमति के बाद रणथम्भौर की तालड़ा रेंज से बाघ टी 113 को सरिस्का शिफ्ट किया गया है। इससे रणथम्भौर के बाघों का कुनबा राजस्थान भर में बढ़ेगा।

मोईन बताते हैं कि, रणथम्भौर से सरिस्का के लिए यह 10वां बाघ भेजा गया है। इससे पूर्व रणथम्भौर से अन्य टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्ट करने का पहला कार्य साल 2008 में हुआ था। बाघों से पूरी तरह खाली हो चुके अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व में रणथम्भौर से पहला बाघ 28 जून 2008 को भेजा गया, जिसे रणथम्भौर में दारा के नाम से जाना जाता था। इसके बाद 4 जुलाई 2008 को टी-1, 25 फरवरी 2009 को टी-18, 20 जुलाई 2010 को टी-12, 28 जुलाई 2010 को टी-44, 23 फरवरी 2011 को टी-7, 22 जनवरी 2013 को टी-51, 23 जनवरी 2013 को टी-52, 15 अप्रैल 2019 को टी-75 को सरिस्का भेजा गया। अब 16 अक्टूबर 2022 को टी-113 को शिफ्ट किया गया।

सरिस्का में तीन बाघिन व एक बाघ

विशेषज्ञ बताते हैं कि, सरिस्का में अब तक भेजे गए बाघों में से 6 की मौत हो चुकी है। वर्तमान में सरिस्का में बाघिन एसटी 2, बाघिन एसटी 9, बाघिन एसटी 10 मौजूद है। यहां बाघ नहीं होने से सरिस्का में बाघों के कुनबा नही बढ़ रहा था। सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए नए टी 113 को शिफ्ट करने का मुख्य कारण माना जा रहा है।

एनटीसीए की मंजूरी मिलने के बाद निर्धारित प्रोटोकॉल व एसओपी के अनुरूप रणथम्भौर बाघ परियोजना सवाई माधोपुर के नर बाघ टी-113 को तालड़ा रेंज से सरिस्का में स्थानान्तरण करने के लिए एनटीसीए के प्रतिनिधि, सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू के प्रतिनिधि, सीसीएफ रणथम्भौर सेडूराम यादव, सीसीएफ सरिस्का आरएन मीना, डीएफओ रणथम्भौर संग्राम सिंह कटियार, डीएफओ आरवीटीआर संजीव शर्मा, एसीएफ मानस सिंह, तीन वेटनरी डॉक्टर की टीम व स्टाफ की उपस्थिति रही। इससे पूर्व तालड़ा रेंज अधिकारी रामखिलाड़ी मीना तीन दिन से टीम के साथ टी 113 की ट्रेकिंग में लगे थे। रेंज अधिकारी रामखिलाड़ी मीना ने बताया कि, टी 113 कुंडेरा रेंज में रहता था। फिलहाल, कुंडेरा रेंज में बाघों की संख्या बढ़ने से अब यह तालड़ा रेंज में रहकर टेरिटरी तलाश में था। टी 113 का अभी तक स्थाई ठिकाना नही मिला था। जहां यह अपना साम्राज्य जमा सके।

सवाईमाधोपुर के स्थानीय पत्रकार सत्यनारायण ने टाइगर शिफ्टिंग कार्रवाई को गोपनीय रखने पर वन विभाग पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि, टाइगर शिफ्टिंग की जानकारी मीडिया से छुपाई गई है यह समझ से परे हैं। इससे पूर्व जब-जब टाइगर शिफ्टिंग हुई है। मीडिया को फोटो और वीडियो उपलब्ध करवाए गए हैं, लेकिन इस बार वन अधिकारियों ने मीडिया से दूरी बनाए रखी।

यह अधिकारी रहे शिफ्टिंग कार्रवाई में मौजूद

रणथम्भौर से टी 113 को ट्रंकुलाइज कर सरिस्का तक भेजने में वन विभाग के तालड़ा रेंज अधिकारी रामखिओडी मीना व टीम का विशेष सहयोग रहा। इन्होंने टी 113 पर पिछले एक सप्ताह से नजर रखी, और 24 घण्टे ट्रेकिंग की। टी 113 की ट्रेकिंग कर सुरक्षित व खुले स्थान पर लाकर ट्रंकुलाइज करवाया गया। इस दौरान रणथम्भौर बाघ परियोजना के सीसीएफ सेडूराम यादव सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर आरएन मीणा, रणथम्भौर बाघ परियोजना के उपवन संरक्षक संग्राम सिंह, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक संजीव शर्मा, रणथम्भौर की रेस्क्यू टीम प्रभारी राजवीर सिंह, जसकरण मीणा आदि मौजूद थे।

यह बोले अधिकारी

सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर सेडुराम यादव ने बाघ शिफ्टिंग पर बयान जारी कर कहा कि बाघ टी-113 को तालड़ा से ट्रेकुंलाइज कर सरिस्का रवाना किया गया है। टी 113 को सुरक्षित सरिस्का के जंगल में छोड़ दिया गया है। अन्य टाइगर रिजर्व में टाइगर शिफ्टिंग को लेकर उन्होंने कहा मुकुंदरा हिल टाइगर रिजर्व में शिफ्टिंग फिलहाल नहीं की जा रही है।

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