राजस्थान: बनास नदी ग्रामीणों के लिए बनी चुनौती, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं और विकास कोसों दूर

बनास नदी से घिरा ग्राम पंचायत ख़िदपुर जादौन गांव [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
बनास नदी से घिरा ग्राम पंचायत ख़िदपुर जादौन गांव [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
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रिपोर्ट- अब्दुल माहिर

सवाईमाधोपुर। देश को आजाद हुए 75 वर्ष का लंबा वक्त बीत गया। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले की ग्राम पंचायत खिदरपुर जादौन पंचायत आज भी बनास व जंगलात की जंजीरों से घिरी है। बरसात के मौसम में यहां के ग्रामीण नाव से नदी पार कर इलाज कराने जाते हैं। दूसरी तरफ भी वन भूमि होने से सुगम रास्ता नहीं है। जंगली जानवरों का खतरा रहता है। एक तरफ सरकारें गांव ढाणी तक विकास के दावों के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की बात कह रही हैं। इधर, गांव व ढाणियों में बसे लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं। इन्हें केवल वोट के समय ही याद किया जाता है। इसके बाद आंखें फेर लेते हैं।

आधा दर्जन ढाणियों में बसते हैं 1900 मतदाता

सवाईमाधोपुर जिले को खण्डार विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत ख़िदपुरपुर जादौन लुंढावणी, कराड़की, महारो, देवपुरा, बाहपुर व तालड़ा खेत ढाणी से मिलकर बनी है। यहां के बूथ लेवल अधिकारी जगदीश सिंह गुर्जर बताते हैं कि, इन गांव व ढाणियों में लगभग 1900 मतदाता व इनके परिजन बसते हैं। यह सभी ढाणियां दो तरफ से बनास नदी से घिरी हैं। एक तरफ करौली जिले की सीमा से लगते हुए टाइगर रिजर्व का इलाका है। इधर भी सुगम रास्ता नहीं है। जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है।

जकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,  ख़िदरपुर जादौन [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
जकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, ख़िदरपुर जादौन [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

बरसात के मौसम में प्रसूताओं की बढ़ जाती है परेशानी

सरपंच रामकन्या देवी बताती हैं, "ग्राम पंचायत ख़िदरपुर जादौन में शिक्षा के लिए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर यहां उपस्वास्थ्य केंद्र भी नहीं हैं। बरसात में बनास नदी में पानी आने पर गांव का हर तरफ सम्पर्क कट जाता है। ऐसे में बीमार होने पर लोगों विशेष कर प्रसूताओं की जान पर बन आती है. 4 दिन पूर्व भी यहां प्रसव पीड़ा के बाद एक महिला की जान पर बन आई। स्थानीय सरपंच ने अपना मानवीय धर्म निभाते हुए महिला को समय पर अस्पताल पहुंचा कर जान बचाई।

महिला और उसका नवजात शिशु [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
महिला और उसका नवजात शिशु [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

आधी रात नाव से नदी पार

स्थानी मीडिया के अनुसार, 4 दिन पूर्व खिदरपुर गांव की रहने वाली दलित महिला भारती पत्नी प्रभु बैरवा को रात 1 बजे प्रसव पीड़ा हुई। गांव में न तो दाई मां थी, न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी जो आसानी से प्रसव करवा सके। नदी में पानी होने से कोई वाहन भी गांव से बाहर नही जा सकता था। परिजनों ने सरपंच रामकन्या को पीड़ा बताई तो बिना देर किए सरपंच अपने वाहन से प्रसूता को लेकर बनास नदी किनारे पहुंची, लेकिन नाव दूसरे किनारे होने से संकट खड़ा हो गया। रात में कोई नदी पार नही कर सकता था। बाद में सरपंच ने दूसरे किनारे तालड़ा गांव वालों को फोन कर मदद मांगी। तालड़ा से एक युवक रात दो बजे नदी में नाव लेकर दूसरे किनारे पहुंचा। तब प्रसूता को नाव से नदी पार करवा कर कुंडेरा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। सरपंच राम कन्या बताती हैं कि, "समय पर अस्पताल पहुंचने से सुरक्षित प्रसव हुआ। जच्चा बच्चा भी स्वस्थ्य है।"

यह भी है पीड़ा..

ग्राम पंचायत खिदरपुर जादौन के बाशिंदे (निवासी) बताते हैं कि, उनका पंचायत समिति मुख्यालय खण्डार है। मतदान भी खण्डार विधानसभा क्षेत्र में देते है। उपखण्ड व तहसील कार्यालय भी खण्डार है। बनास नदी पार कर खण्डार की दूरी 20 से 25 किलोमीटर है, लेकिन पुलिस थाना 50 किलोमीटर दूर मलारना डूंगर लगता है। इधर भी बनास नदी पार कर जाते है। राजस्व काम के लिए खण्डार तो पुलिस से सम्बंधित काम के लिए मलारना डूंगर जाना पड़ता है। जिला मुख्यालय पर जाना हो तो भी बनास नदी बीच आती है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि, हम सभी की उम्र पूरी होने को है। जब से यहां बसे हैं बनास नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई।

आजादी का अमृत महोत्सव मनाते स्थानीय बच्चे [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
आजादी का अमृत महोत्सव मनाते स्थानीय बच्चे [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

यहां के विशिन्दों का इन दिनों उपखण्ड व जिला मुख्यालय से सड़क सम्पर्क कटा हुआ है, लेकिन आजादी का अमृत महोत्सव मनाने व तिरंगे के प्रति प्रेम का जोश आज भी मन में है। यहां स्कूली बच्चों ने तिरंगा रैली भी निकाली है।

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