रिज़र्वेशन "रिप्रेजेंटेशन" खेल सहित सभी क्षेत्रों में क्यों ज़रूरी है?

टेंबा बावुमा के नेतृत्व में दक्षिण अफ़्रीका ने बताया कि प्रतिनिधित्व (Representation) ही असली मेरिट है — भारत को भी आरक्षण पर नकारात्मकता छोड़ समावेशी लोकतंत्र की ओर बढ़ना होगा।
Meena Kotwal Opinion on Reservations
खेल में आरक्षण मुद्दे पर मीना कोटवाल के विचार.ग्राफिक- द मूकनायक
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भारत में ‘रिज़र्वेशन’ नामक शब्द को दशकों से बदनाम करने की साज़िश चल रही है. भारत की मुख्यधारा मीडिया ने भी रिज़र्वेशन/आरक्षण/कोटा जैसे शब्दों को नकारात्मक रूप में पेश किया है. खैर अब वक़्त आ चला है कि सबसे पहले हर जगह रिज़र्वेशन को रिप्रेजेंटेशन से रिपप्लेस किया जाए. रिप्रेजेंटेशन लिखते-बोलते ही सारा मामला क्लियर हो जाता है.

अब आते हैं कि खेल सहित सभी क्षेत्रों में रिप्रेजेंटेशन क्यों ज़रूरी है. आज साउथ अफ्रीका ने टेंबा बावुमा की अगुआई में ऑस्ट्रेलिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में हराकर इतिहास रच दिया है. ग़ौरतलब है कि टेंबा बावुमा दक्षिण अफ्रीकी टीम में रिज़र्वेशन (रिप्रेजेंटेशन) के तहत आए हैं और आरक्षण के ज़रिए ही राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहे हैं. साउथ अफ़्रीका में ब्लैक्स को हर क्षेत्र में रिज़र्वेशन प्राप्त है ताकि समावेशी लोकतंत्र बन सके और हाशिए पर खड़े समुदायों को भी महसूस हो कि देश/समाज हमारा है.

भारत में प्राइवेट सेक्टर देख लीजिए, खेल या बॉलीवुड को ही ले लीजिए, सभी जगह दलित-आदिवासियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है. टॉप पॉज़िशन पर अमूमन सवर्णों का ही क़ब्ज़ा है. भारत के कुल संसाधन में वंचित जातियों का प्रतिनिधित्व दो अंकों में भी नहीं है. दलित-आदिवासी समुदाय जिनकी आबादी तक़रीबन 25 फ़ीसदी है, वे सिस्टमेटिकली हर जगह से ग़ायब कर दिए गए हैं.

कुछ समय पहले जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 'मैंने मिस इंडिया की लिस्ट निकाली, उसमें एक भी दलित, ओबीसी नहीं...' यह एक वैलिड सवाल है जिसकी सोशल मीडिया पर खिल्ली उड़ाई गई. ऐसे ही उन्होंने जब यह पूछा कि भारतीय मीडिया में दलित-आदिवासी क्यों ग़ायब हैं, तब भी विशेषाधिकार प्राप्त लोगों ने हंसी में उड़ाने की पूरी कोशिश की या इसपर चुप रहे.

ऐसे तमाम सवाल जो वंचित-शोषितों के रिज़र्वेशन (रिप्रेजेंटेशन) से जुड़ी हुई होती है, उन्हें ग़ायब कर दिया जाता है. अमूमन मेरिट की दुहाई दी जाती है, लेकिन आज जिस तरह से रिज़र्वेशन (रिप्रेजेंटेशन) प्राप्त दक्षिण अफ्रीकी टीम ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को पटकनी दी है, उससे साबित होता है कि मौक़ा मिलना ही मेरिट है!

अगर आप वंचित समुदायों को हर जगह उचित प्रतिनिधित्व देंगे तो राष्ट्र निर्माण का कार्य तेज़ी से आगे बढ़ेगा और हमारा लोकतंत्र भी समावेशी बनेगा. उम्मीद है कि देश में जातिगत जनगणना के बाद वंचितों को हर जगह छाने का मौक़ा मिलेगा, जैसे टेंबा को मिला. टेंबा का शाब्दिक अर्थ है उम्मीद और अभी तक एक भी टेस्ट न हारने वाले कप्तान बवूमा ने इसे सही साबित भी किया है. शुक्रिया और मंगलकामनाएँ टेंबा, शुक्रिया दक्षिण अफ़्रीका, शुक्रिया नेल्सन मंडेला…

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति The Mooknayak उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार The Mooknayak के नहीं हैं, तथा The Mooknayak उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
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