मासूम से दरिंदगी का आरोप, पीड़ित परिवार जेल में! कौशांबी कांड पर पीड़िता के घर पहुंचे डॉ. विक्रम हरिजन ने अपनी फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में क्या बताया?

कौशांबी में 8 वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म का आरोप. आरोपी को जमानत और पीड़ित परिवार जेल में, घर पर ताले.
Kaushambi incident: Rape victim's family in jail, accused gets bail - has the Constitution lost?
कौशांबी कांड दुष्कर्म पीड़िता का परिवार जेल में, आरोपी को जमानत
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मैं, डॉ. विक्रम हरिजन, इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर, अपने पाँच सदस्यीय टीम के साथ कौशांबी जिले में स्थित थाना सैनी गांव लोंहदा में गया थाI गांव में पहुंचते ही जब हम लोगों ने गांव के कुछ पुरुषों से बात की, तो वे डर गएI  कुछ महिलाओं ने रास्ता बतायाI गांव के बीचो-बीच सड़क जाती है, सड़क के दक्षिण में ‘रामबाबू तिवारी’ (जिसने आत्महत्या कर ली) और दुष्कर्म के आरोपी ‘सिद्धार्थ तिवारी’ का घर है. उनके घर पर पुलिस की टीम लगी हुई हैंI  तीन महिला पुलिसकर्मी भी ‘रामबाबू तिवारी’ के घर पर नज़दीक खड़ी हैं. एक और महिला पुलिस भी सड़क पर बैठी है, और हम लोगों की तरफ बड़ी आश्चर्यजनक रूप से देख रही हैI सड़क के दाहिने तरफ पाल समाज के लोगों का घर है.

एक व्यक्ति की मदद से हम लोग पीड़िता के घर पर पहुंचेI पीड़िता के घर पर ताला लटका हुआ था, घर पर कोई नहीं मिला. दहशत का पूरा माहौल थाI ‘पाल समाज’ की कुछ महिलाएँ खड़ी थींI हम लोगों के पूछने पर घबरा गईं और कुछ भी कहने से मना कर दिया. कुछ देर कन्वेंस करने के बाद हमारी टीम के डॉ. कमल असरी. जो स्वयं ही पाल समाज से संबंध रखते हैं उनको घटना के बारे में पूरी जानकारी दीI ‘मनीषा’ नमक बालिका जो बी.ए. फाइनल की विद्यार्थी हैI मनीषा विक्टिम के परिवार की सदस्य हैI उसने बताया कि “घटना तो सच्ची है.”

मनीषा की चाची और उसकी बड़ी बहन, जो फतेहपुर में ब्याही है, घटना को सुनकर अपने मायके परिजनों के साथ आई हुई हैंI तीनों बहनों ने डॉ. कमल असरी को यह बताया कि “दोपहर के समय पीड़िता अपने कुछ साथी लड़कियों के साथ रामबाबू तिवारी के घर रामायण देखने गई थीI दोपहर के समय कड़ी धूप की वज़ह से सन्नाटा थाI रास्ते में ही अभियुक्त सिद्धार्थ तिवारी उर्फ दत्तू ने बहला फ़ुसलाकर लड़की को बगल में ही स्थित ईट भट्टे की तरफ ले गयाI अभियुक्त के पास मोबाइल था जिसमें वह अश्लील फिल्में देख रहा था, जिससे वह उत्तेजित था. फिर अपने अंडरवियर को नीचे किया, लड़की की मुंह में अपना प्राइवेट पार्ट करता रहा और लड़की के अंडरवियर में हाथ डालकर लड़की के प्राइवेट पार्ट में उंगली से करता रहाI वह लड़की को अपने हाथों से बुरी तरह से जकड़ा हुआ थाI”

मनीषा की चाची ने शर्माते हुए कहा कि, “बेटी के प्राइवेट पार्ट में चोट जैसा जख्म प्रतीत हुआ है.”

महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लड़की ने सबसे पहले मनीषा की चाची को दिखाया और बताया थाI अभियुक्त से लड़की छूटी तो भागकर रोते चिल्लाते हुए घर पर आई और पूरी घटना बताई, फिर उसने मां को बताया और माता-पिता वह अन्य परिजनों को लेकर वह अभियुक्त के घर गईI अभियुक्त के मां-बाप से पूरी बातें बताईI अभियुक्त के पिता रामबाबू तिवारी ने अपने बेटों को डांटा फटकारा और पूछा कि क्या या सही बात है? बेटे ने अपनी ग़लती मानते हुए माफ़ी मांगीI उसके बाद अभियुक्त की मां ने और पिता ने लोक लाज का हवाला देते हुए, यह आग्रह किया कि यह बात यहीं दबा दी जाए और कुछ पैसे देने का लालच दिया.

लेकिन पीड़ित बच्चे की हालत देखकर मां पिता दोनों ने कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लियाI जिससे कि अभियुक्त को दंडित करके सबक सिखाया जा सके और शांति का माहौल बनाया जा सकेI तत्कालीन पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया. इसके बाद उसके पिता लगातार दबाव बनाते रहे और अभियुक्त को नहीं छोड़ा गया, तो मैं जहर खा लूंगाI थाने कैंपस के पास चार-पांच जून के बीच वह मर गयाI इसकी बात को लेकर 5 जून को ‘इलाहाबाद कानपुर हाईवे’ पर रामबाबू तिवारी का शव रखकर ब्राह्मण समाज ने  ‘सैनी’ थाने के सामने जाम लगा दिया, फिर पुलिस ने शांति और संवैधानिक तरीके से दाह संस्कार करवायाI

तभी उत्तर-प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ‘ब्रजेश पाठक’ ने ब्राह्मण समाज की बात करते हुए सीधे गृह सचिव को निर्देशित करके पूर्व मामले को जातिवादी बना दियाI जबकि इसके पूर्व तक मामला कानून सम्मत थाI अब पूरा मामला ‘ब्राह्मणवाद बनाम संविधान लोकतंत्र’ हो गया हैI क्या संविधान के अनुसार अभियुक्तों को सजा मिलेगी? या ब्राह्मणों को मनुवाद के अनुसार हर अपराध के लिए क्षम्य माना जाएगा?

घटना पर ग्रामीणों से बात करते हुए.
घटना पर ग्रामीणों से बात करते हुए.फोटो साभार- डॉ. विक्रम

हमारे टीम के दूसरे सदस्य माता प्रसाद पाल, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील हैं, उन्होंने कहा कि, “मैंने पहली बार यह अनुभव किया कि पीड़ित पक्ष स्वयं डरा हुआ है और घर से पलायन कर चुका है. पीड़ित के पिता जेल में बंद है और अन्य सदस्य भी जेल में हैंI जबकि अभियुक्त के घर पर भारी सुरक्षा व्यवस्था थीI”

मेरे टीम के पत्रकार साथी विवेक राणा ने देखा कि गांव में पूरा मातम पसरा हुआ है और मैं वहां पर मौजूद तीन-चार लोगों से बात करने की कोशिश की परंतु जो तिवारी परिवार है उसके घर के कारण वे अपना मुँह नहीं खोल रहे हैंI लोगों ने यह बताया कि तिवारी परिवार के यहाँ बजरंग दल वा तमाम हिंदूवादी संगठन उसके घर पर जमावड़ा लगाकर बैठे हुए हैंI इसकी वजह से पीड़िता के पक्ष में कोई नहीं बोल रहा हैI

हमारी टीम के सदस्य लक्ष्मीकांत नंदवंशी ने यह बताया कि, गांव के लोग बहुत दहशत में हैंI इस घटना पर मुंह खोलने को तैयार नहीं, लोग हताश निराश थेI हम लोग के टीम के सामने ही उनके जाति के सैकड़ों युवाओं की टीम आई फिर पीड़ित पक्षों के परिजनों के चेहरे पर एक विश्वास की चमक दिखाई देने लगीI यह लोग ‘होल्कर सेना’ और ‘शेफर्ड टाइगर’ से जुड़े हुए थेI हम लोगों ने पूरे गांव में चक्कर लगाया और लोगों में विश्वास पैदा कियाI साथ ही हमारे टीम के पत्रकार साथी विवेक राणा और लक्ष्मीकांत नंदवंशी ने वहां पर संयुक्त रूप से साक्षात्कार भी किया और हम लोगों ने परिजनों को संपर्क नंबर भी दिया गयाI हम लोग उनके संपर्क में हैं.

मैं भी अपने तरीके से इस घटना को जानना समझाना चाह रहा थाI हम लोग के ही गांव का एक व्यक्ति संतुष्ट तिवारी वहां पहुँच गयाI मैं सब कुछ पता करने के लिए अपने को डॉक्टर विक्रम तिवारी बताया और तिवारी बनकर सब कुछ जानना चाहा तो तिवारी ने कहा कि सारा मामला फर्जी हैI उनके अनुसार प्रधान अपने पुराने झगड़े का फायदा उठा रहा हैI मैंने पूछा कि कैसा फायदा? तो उसने बताया की चुनाव को लेकर तिवारी और पाल गुट बन गया, जिसकी वज़ह से पाल समाज उससे बदला लेना चाह रहा हैI संतुष्ट तिवारी ने कहा कि, "आप ही बताइए कि कोई 8 साल की बच्ची का बलात्कार कैसे कर सकता है और लड़का 22 वर्ष का है."

मैंने पूछा तो उसने कहा कि केवल बेटी का पाल प्रधान के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा हैI मैंने कारण पूछा तो बताया कि, “आप भी ब्राह्मण हैं, जानते हैं कि ब्राह्मण से कैसे लोग जलते हैं. मेहनत करते नहीं हैं, तरक्की करते नहीं, पैसे की लालच में पड़ जाते हैंI”

हमारे लगातार बातचीत करने पर उसका बेटा अपने पिता को डाँटने लगाI उसने कहा कि उसके पिता रामबाबू तिवारी का आत्महत्या करना बहुत दु:खद है फिर भी उसने कहा कि हमको बहुत कुछ पता नहीं और जो सुना वही बता रहा हूँ, और फिर चला गया क्योंकि उसका बेटा डांट रहा थाI

हमारी टीम के ही पत्रकार साथी उसके साथ कुछ दूर तक गए और वह भी ब्राह्मण बनकर जानकारी लेनी चाहिए लेकिन वही बात को वह दोहरा रहा था.

खैर ! मैंने यह भी पाया कि महिलाएं और पुरुष डरे हुए थे. दहशत का माहौल था. हम लोगों के पहुंचने से पहले कोई भी टीम नहीं पहुँची थीI हम लोगों के पहुंचने से पहले ‘बसावन  इंडिया’ और ‘द मूकनायक’ के ट्वीट करने से पूरा माहौल बदल चुका थाI

हमारे टीम के साथी डरे हुए थे, क्योंकि ब्राह्मण द्वारा अटैक हो सकता थाI पुलिस भी लाठी चार्ज कर सकती थी, क्योंकि माहौल को देखते हुए ऐसा लग रहा था. सब कुछ विरोधियों की पक्ष में थाI कुछ देर बाद, वहां कुछ पाल समाज के लड़के आए तो हमारे साथियों ने संयुक्त रूप से एक साक्षात्कार किया. और पाल परिवार को भरोसा दिलाया कि लड़ाई हम सब मिलकर लड़ेंगेI

रिपोर्ट लिखी जाने तक यह पता चला है कि सब कुछ बदल चुकाI तिवारी को जमानत मिल चुकी हैI लड़की के पिताजी जेल में हैं और सारे बड़े अधिकारियों का तबादला हो चुका है. क्योंकि बृजेश पाठक का सीधे हस्तक्षेप होने से माहौल ‘पाल बनाम ब्राह्मण जाति’ के वर्चस्व का हो चुका हैI पाल परिवार के खिलाफ झूठे प्रचार का सहारा लिया जा रहा है कि लड़की अपनी मां के दबाव में झूठा बयान दिया था, जबकि मां और बेटी अपने बयान पर अभी भी कायम हैंI पूरे इलाके में धारा 144 लागू है.

Suicide note written on the stomach of the deceased
मृतक के पेट पर लिखा गया सुसाइड नोट

मैं पहले भी द मूकनायक वेब पत्रिका के माध्यम से इस केस में मोदी और योगी सरकार से सीबीआई से मांग की है और अभी भी कर रहा हूँ की इस केस की जाँच सीबीआई से ही होनी चाहिए क्योंकि ऐसे बहुत से केस हैं जिसको साधारणतया पुलिस हल नहीं कर पातीI उसको सीबीआई ही हल कर पाती हैI  जैसे कि फिल्म आर्टिकल 15 में दिखाया गया है कि ‘पासी समाज’ की लड़कियों का बलात्कार उच्च जाति के लोगों के द्वारा किया गयाI जिसको पुलिस ने झूठा साबित कर दिया, बाद में यही जब उच्च स्तरीय जांच हुई तो बलात्कार की पुष्टि हुईI इसी तरह से इस केस में भी यदि सीबीआई जांच करेगी तो यह पता चल सकेगा की आज तक किसी के पेट पर ‘सुसाइड नोट’ लिखा नहीं मिला हैI फिर इस मामले में यह कैसे संभव हुआ? ‘पास्को केस’ लगने के बाद कैसे उसे वापस ले लिया गया?

नोट- लेखक डॉ. विक्रम हरिजन इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उक्त घटना पर उन्होंने पीड़ित परिजनों और गांव का दौरा किया. लेख में शामिल समस्त तथ्य लेख के अपने विचार, अनुभव व आँखों देखी स्थिति पर शामिल हैं.

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