आखिर महिलाएं मुख्य धारा तक क्यों नहीं पहुंच पाईं?

महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा हमारे समाज की असली परीक्षा है. समाज को बदलने के लिए शिक्षा, कानून और जागरूकता जरूरी.
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महिला(सांकेतिक तस्वीर)
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हम समाज में रहने वाले नागरिक हैं और एक-दूसरे से कड़ी के रूप में जुड़े हुए हैं। हमारे समाज में दो प्रमुख भागीदारियां होती हैं—एक पुरुष की और दूसरी महिला की। हम लगातार देखते आए हैं कि हर क्षेत्र में पुरुषों की भागीदारी ही सर्वाधिक दिखाई देती है।

आज के समय में महिलाओं पर होने वाली हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो लगातार बढ़ती जा रही है। यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे देखा और समझा जा सकता है, और जो केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में फैली हुई है। महिला हिंसा कई रूपों में हो सकती है—शारीरिक उत्पीड़न, मानसिक, यौन, आर्थिक और सामाजिक शोषण। यह समस्या न केवल महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि समाज की समग्र प्रगति में भी बाधा उत्पन्न करती है। यह एक धरातलीय और वास्तविक सच है, और हमें सोचने की जरूरत है कि हम अपनी आधी आबादी को किस स्थिति में देख रहे हैं।

महिला हिंसा की जड़ें हमारे समाज की गहरी पितृसत्तात्मक संरचना में छिपी हैं, जहाँ महिलाओं को आज भी द्वितीय श्रेणी का नागरिक समझा जाता है। यह मानसिकता शिक्षा की कमी, सांस्कृतिक रूढ़ियों और सामाजिक असमानताओं के कारण और भी गहराती जाती है।

महिलाएं हर समाज की रीढ़ होती हैं। वे माँ, बहन, बेटी, पत्नी और कार्यकर्ता के रूप में समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे हर तरह से पुरुषों के लिए एक मजबूत आधार और योद्धा की तरह साबित होती हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या पुरुष भी उतनी ही मजबूती के साथ उनके पक्ष में खड़ा होता है? बावजूद इसके, आज भी महिलाओं को हिंसा, भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है।

महिला हिंसा एक गंभीर सामाजिक, मानसिक और नैतिक समस्या है। यह न केवल महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि समाज की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न करती है। आखिर आजादी के इतने वर्षों बाद भी क्या महिलाएं उस वास्तविक आजादी को महसूस कर पा रही हैं?

यदि महिला हिंसा पर नियंत्रण करना है तो सबसे पहले शिक्षा को सरकार को प्राथमिकता पर लेकर प्रत्येक महिला तक पहुंचाना होगा। इसके अलावा कानूनी जागरूकता, आत्मनिर्भरता, कानूनों का सख्ती से पालन और महिलाओं की राजनीति, प्रशासन, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में स्वतंत्र भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी ताकि वे अपने अच्छे और बुरे की पहचान कर सकें।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा न केवल एक व्यक्ति का, बल्कि पूरे समाज का अपमान है। यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर ऐसी मानसिकता को जड़ से समाप्त करें और ऐसा समाज बनाएं जहाँ हर महिला सुरक्षित, सम्मानित और स्वतंत्र महसूस करे ताकि उसका सर्वांगीण विकास हो सके।

महिला हिंसा केवल एक महिला की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे समाज की विफलता का प्रमाण है। जब तक महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस नहीं करेंगी, तब तक कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता। हमें मिलकर ऐसा समाज बनाना होगा जहाँ महिलाओं को समान अधिकार, स्वतंत्रता और सुरक्षा प्राप्त हो। महिला सशक्तिकरण ही महिला हिंसा का सबसे बड़ा जवाब है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति The Mooknayak उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार The Mooknayak के नहीं हैं, तथा The Mooknayak उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
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