केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी का विवादित बयान, बोले- 'उच्च जातियों को जनजातीय मामलों का विभाग मिलना चाहिए'

विवाद बढ़ता देख मलयालम फिल्म अभिनेता से राजनेता बने गोपी ने स्पष्ट किया कि उनके बयान का उद्देश्य किसी समुदाय का अपमान करना नहीं था।
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी
Published on

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने रविवार को "सवर्ण" व्यक्तियों को जनजातीय मामलों के मंत्रालय का प्रभार देने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया। उनके इस बयान की केरल सहित कई राजनीतिक विरोधियों ने आलोचना की।

बाद में, मलयालम फिल्म अभिनेता से राजनेता बने गोपी ने स्पष्ट किया कि उनके बयान का उद्देश्य किसी समुदाय का अपमान करना नहीं था। उन्होंने कहा, "यदि मेरी व्याख्या संतोषजनक नहीं है, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं।"

त्रिशूर से भाजपा सांसद और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री गोपी ने यह टिप्पणी नई दिल्ली में भाजपा के एक चुनावी अभियान के दौरान की।

इस कार्यक्रम में गोपी ने कहा, "यह हमारे देश की एक विडंबना है कि केवल किसी जनजातीय समुदाय के व्यक्ति को ही जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया जाता है। मेरा सपना और अपेक्षा है कि उनके कल्याण के लिए किसी बाहरी व्यक्ति को भी यह पद दिया जाए।"

उन्होंने आगे कहा, "ब्राह्मण या नायडु को यह जिम्मेदारी दी जाए—इससे बड़ा परिवर्तन होगा। इसी तरह, जनजातीय नेताओं को सवर्ण समुदायों के कल्याण की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। हमारे लोकतांत्रिक प्रणाली में इस प्रकार का बदलाव आना चाहिए।"

गोपी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सीपीआई(एम) सांसद के. राधाकृष्णन ने कहा कि यह उनके पद की शपथ का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। उन्होंने संविधान में निहित समानता के विरुद्ध बात की है। क्या गोपी यह तय कर सकते हैं कि कौन उच्च कुल का है?"

केरल के कई अन्य वामपंथी नेताओं ने भी उनके बयान की आलोचना करते हुए इसे विभाजनकारी और प्रतिगामी बताया।

गोपी की सफाई

विवाद बढ़ने के बाद गोपी ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा, "मैंने जो भी कहा, वह मेरे दिल से निकला था। मीडिया ने मेरे पूरे बयान को नहीं दिखाया। मैंने यह भी कहा था कि पिछड़े वर्गों के लोगों को सवर्णों के मामलों की देखरेख के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा, "मेरा तात्पर्य यह था कि यह भेदभाव समाप्त होना चाहिए और मेरी मंशा अच्छी थी। मैंने किसी का अपमान नहीं किया। यदि मेरी सफाई संतोषजनक नहीं है, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूँ।"

वर्तमान जनजातीय मामलों के मंत्री

वर्तमान में जनजातीय मामलों के मंत्री भाजपा के जुएल ओराम हैं, जो ओडिशा के एक प्रमुख जनजातीय नेता हैं। ओराम कई बार इस पद पर रह चुके हैं और पार्टी की जनजातीय समुदायों तक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

गोपी के बयान ने मंत्री पदों में प्रतिनिधित्व और समावेशिता को लेकर बहस छेड़ दी है। कई लोगों ने उनके बयान की मंशा पर सवाल उठाए हैं और इसके लोकतांत्रिक प्रणाली पर प्रभाव को लेकर चिंता जताई है।

केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी
IIM-B में सूरत के आदिवासी छात्र की मौत पर बामसेफ गुजरात ने कहा—SIT करें जांच, उच्च शिक्षण संस्थानों में SC/ST/OBC स्टूडेंट्स की सुरक्षा पर उठाए सवाल
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी
मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर संकट: गोरेकेला ड्राफ्ट पर सरकार ने 8 वर्षों में नहीं किया विचार, नौ साल से रुकी पदोन्नतियों का समयमान वेतनमान?
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी
तेलंगाना की जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग बहुसंख्यक, जानिए अन्य जातियों की स्थिति

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com