मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर संकट: गोरेकेला ड्राफ्ट पर सरकार ने 8 वर्षों में नहीं किया विचार, नौ साल से रुकी पदोन्नतियों का समयमान वेतनमान?

2016 से 2023 तक, 15 महीने के अंतराल को छोड़कर, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उनकी सरकार ने पदोन्नति नियम के नवीन ड्राफ्ट को कैबिनेट में पेश नहीं किया। वहीं, 2018 में बनी कमलनाथ सरकार ने भी इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं की।
मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर संकट: गोरेकेला ड्राफ्ट पर सरकार ने 8 वर्षों में नहीं किया विचार, नौ साल से रुकी पदोन्नतियों का समयमान वेतनमान?
द मूकनायक
Published on

भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर जारी संकट नौ साल बाद भी खत्म नहीं हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश के चलते 2016 से प्रदेश में पदोन्नतियां बंद हैं, जिससे हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए। हालांकि, सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कई प्रयास करने का दिखावा किया, इसलिए इस पर अबतक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका! अब सरकार एक नए विकल्प पर विचार कर रही है, सूत्रों के मुताबिक अब सरकार 'समयमान वेतनमान' को आधार बनाकर पदोन्नति प्रक्रिया को नया स्वरूप दे सकती है। हालांकि 'पदोन्नति नियम 2016' सुप्रीम कोर्ट के बरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरेकेला ने तैयार किया था उसे लागू करने की नीयत सरकार की नहीं दिखाई दे रही है। जबकि सरकार ने ही एडवोकेट गोरेकेला को पदोन्नति नियम बनाने का जिम्मा सौंपा था।

मध्य प्रदेश में वर्ष 2002 में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने मध्य प्रदेश लोकसेवा पदोन्नति नियम 2002 लागू किया था, जिनमें पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान था। सामान्य वर्ग के कुछ सरकारी इंजीनियरों ने इस नियम को चुनौती दी, जिसके बाद लंबी सुनवाई चली और अंततः 2016 में हाईकोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया।

इसके बाद से प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो गई। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी, जहां मामला अभी भी लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने तब तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, जिससे पदोन्नति का कोई रास्ता नहीं निकल सका। इसके साथ कोर्ट ने नए नियम बनाकर पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार को स्वतंत्र किया था। इस बीच कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता गया, कई बार आंदोलन हुए, लेकिन सरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने एडवोकेट मनोज गोरेकेला से नवीन पदोन्नति नियम 2016 का प्रारूप तैयार कराया लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसे लागू नहीं किया।

2016 से 2023 तक, 15 महीने के अंतराल को छोड़कर, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उनकी सरकार ने पदोन्नति नियम के नवीन ड्राफ्ट को कैबिनेट में पेश नहीं किया। वहीं, 2018 में बनी कमलनाथ सरकार ने भी इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं की।

सरकार अब बड़ी ही होशियारी के साथ पदोन्नति के विकल्प के रूप में समयमान वेतनमान को अपनाने पर विचार कर रही है। इस योजना को 2008 में इस उद्देश्य से लागू किया गया था कि जो कर्मचारी विभिन्न कारणों से पदोन्नत नहीं हो पाते, उन्हें कम से कम उच्च पद के समकक्ष वेतनमान मिल जाए। इस योजना के तहत, सेवा की एक निश्चित अवधि पूरी करने पर कर्मचारी को स्वचालित रूप से उच्च पद का वेतनमान मिल जाता है, भले ही उसकी औपचारिक पदोन्नति न हुई हो। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें आरक्षण व्यवस्था नहीं होती।

राज्य में पदोन्नति नियम न होने के कारण बीते नौ वर्षों में करीब 60 हजार से अधिक कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस मुद्दे को लेकर कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।

बता दें 2026 में हुए मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) ने जब पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के लिए आंदोलन किए तब सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेला को नए नियम का प्रारूप बनाने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन ड्राफ्ट तैयार होने के बाद इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह भी गठित किया था, जिसने सभी पक्षों से चर्चा कर अपनी अनुशंसा दी, लेकिन फिर भी कोई ठोस नीति नहीं बनी।

अधिवक्ता मनोज गोरकेला ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार नवीन पदोन्नति नियम 2016 को लागू कर सकती है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्यों को स्वतंत्रता दी है। उन्होंने बताया कि यह नियम लागू करने के लिए उन्होंने सरकार के कहने पर एक प्रारूप तैयार किया था, जिसे 2017 में सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा गया था।

उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस मसले का हल पहले से मौजूद है। नियम लागू होते ही अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़ी समस्या दूर हो सकती है।

अजाक्स के प्रांतीय महासचिव ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को पदोन्नति नियम लागू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार में बैठे कुछ मनुवादी सोच वाले अफसरों ने इस प्रक्रिया में बाधा डाली। उन्होंने आरोप लगाया कि ये अधिकारी वंचित समाज के कर्मचारियों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखना चाहते हैं, जिससे एससी/एसटी वर्ग को उनका हक नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि गोरकेला ड्राफ्ट लागू होने से केवल अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि सभी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, क्योंकि इससे पदोन्नति प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगी। उन्होंने मांग की कि सरकार को अब और देरी किए बिना इसे लागू करना चाहिए, ताकि वर्षों से लंबित यह मुद्दा सुलझ सके और प्रभावित कर्मचारियों को उनका अधिकार मिल सके।

अजाक्स के प्रवक्ता विजय श्रवण ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि यदि पिछले नौ वर्षों का विश्लेषण किया जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के अधिकारों को लेकर आंतरिक रूप से संवेदनशील नहीं रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर स्वतंत्रता दी है, इसके बावजूद सरकार ठोस निर्णय लेने से बच रही है। उन्होंने कहा कि 'नवीन पदोन्नति नियम 2016' के तहत गोरेकेला ड्राफ्ट का प्रारूप तैयार होने के बाद भी सरकार इस पर विचार करने के बजाय अन्य विकल्प तलाश रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि सरकार इस ड्राफ्ट को लागू कर दे, तो समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो सकता है।

विजय श्रवण ने सवाल उठाया कि तत्कालीन शिवराज सरकार ने इसे लागू क्यों नहीं किया और अब मौजूदा सरकार की क्या मंशा है? उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैये से एससी-एसटी वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार की नीयत और भावी योजनाओं का सच आने वाले समय में सामने आ जाएगा।

समझिए क्या है 'समयमान वेतनमान'

राज्य में वर्तमान में लागू समयमान वेतनमान योजना के तहत चार चरणों में वेतनमान दिए जाते हैं। प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों को 8, 16, 24 और 34 वर्ष की सेवा पूरी होने पर वेतनमान मिल जाता है। इसी तरह, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 10, 20, 30 और 35 वर्ष की सेवा पूरी होने पर समयमान वेतनमान दिया जाता है।

इस प्रक्रिया में पदोन्नति की पात्रता रखने वाले कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि और गोपनीय चरित्रावली के आधार पर वेतनमान दिया जाता है। सरकार इसी मॉडल को पदोन्नति प्रक्रिया के लिए लागू करने पर विचार कर रही है।

सरकार का मानना है कि यह विकल्प सभी पक्षों को संतुष्ट कर सकता है, क्योंकि इससे कर्मचारियों को आर्थिक लाभ मिलेगा और पदोन्नति प्रक्रिया में आरक्षण को लेकर कानूनी विवाद भी नहीं रहेगा।

हाल ही में कांग्रेस ने भी की मांग

बीते दिनों मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में गोरकेला समिति द्वारा तैयार किए गए 2016 के ड्राफ्ट को तत्काल लागू करने की मांग की है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव डॉ. विक्रम चौधरी द्वारा भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि इस नियम को अब तक लागू नहीं करने से एससी/एसटी वर्ग के हजारों कर्मचारियों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है। कांग्रेस ने इसे सरकार की उदासीनता बताते हुए एससी/एसटी कर्मचारियों के लिए पारदर्शी और प्रभावी पदोन्नति नियम लागू करने की मांग की है।

डॉ. चौधरी ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण एससी/एसटी कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है, जिसे राज्य सरकार लगातार नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने सरकार की नीतिगत विफलता को उजागर करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और जब तक यह आरक्षण लागू नहीं होता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर संकट: गोरेकेला ड्राफ्ट पर सरकार ने 8 वर्षों में नहीं किया विचार, नौ साल से रुकी पदोन्नतियों का समयमान वेतनमान?
MP में BJP जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर सियासी घमासान, कांग्रेस ने कहा, दलित-आदिवासियों की संख्या के अनुपात नहीं मिला प्रतिनिधित्व!
मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर संकट: गोरेकेला ड्राफ्ट पर सरकार ने 8 वर्षों में नहीं किया विचार, नौ साल से रुकी पदोन्नतियों का समयमान वेतनमान?
MP: भोपाल में फ्लू का संक्रमण तेजी से फैला, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी, एक्सपर्ट ने बताए बचाव के तरीके!
मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर संकट: गोरेकेला ड्राफ्ट पर सरकार ने 8 वर्षों में नहीं किया विचार, नौ साल से रुकी पदोन्नतियों का समयमान वेतनमान?
MP: माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के लोकपाल पर कार्रवाई की मांग, नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जानिए क्या है मामला?

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com