यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले सपा की ब्राह्मण वोटों पर नजर, ‘ठाकुर बनाम ब्राह्मण’ विमर्श फिर से तेज

ब्राह्मण मतदाताओं को साधने की कोशिश में समाजवादी पार्टी ने पुलिस पोस्टिंग में जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए योगी सरकार को घेरा।
Former Chief Minister of Uttar Pradesh Akhilesh Yadav
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
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उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव में पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) फार्मूले के सहारे अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन करने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) अब उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट बैंक की ओर रुख कर रही है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने एक बार फिर राज्य में ‘ठाकुर बनाम ब्राह्मण’ का मुद्दा गरमा दिया है।

रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार पर जातिगत आधार पर पुलिस पोस्टिंग में भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कुछ जिलों का डेटा पेश कर दावा किया कि सरकार ठाकुरों को तरजीह दे रही है — ठाकुर वही जाति है जिससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताल्लुक रखते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अखिलेश के अनुसार, आगरा कमिश्नरेट के तहत नियुक्त 48 थानों के प्रभारी (SHO/SO) में से सिर्फ 15 ही PDA समुदायों से आते हैं, जबकि बाकी सभी “सिंह भाईलोग (ठाकुर)” हैं। उन्होंने अपने गृह जनपद मैनपुरी का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के 15 में से 10 SHO/SO ठाकुर हैं। उन्होंने महोबा और प्रयागराज का भी हवाला देते हुए दावा किया कि जहां राज्य की आबादी में PDA की हिस्सेदारी 90% है, वहीं पुलिस पोस्टिंग में उनकी भागीदारी महज 25% है।

इन आरोपों का खंडन करते हुए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा कि ये दावे “भ्रामक और तथ्यहीन” हैं। उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि अधूरी और गलत जानकारी के आधार पर जल्दबाजी में निष्कर्ष न निकालें।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा, “DGP साहब को कम बोलना चाहिए। कम से कम मुख्यमंत्री को इस पर बोलना चाहिए। हमने तो अभी कुछ ही जिलों की स्थिति सामने रखी है।”

उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी सपा प्रमुख के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा शासन में ही जातिगत पोस्टिंग की परंपरा थी, जबकि योगी सरकार में नियुक्तियाँ नियमों के अनुसार होती हैं, जाति के आधार पर नहीं। उन्होंने कहा कि आगरा में ओबीसी और अनुसूचित जाति के पुलिस अधिकारियों की संख्या क्रमशः 39% और 18% है, जबकि मैनपुरी में यह आंकड़ा 31% और 19% है।

उत्तर प्रदेश में ठाकुरों की जनसंख्या लगभग 7% और ब्राह्मणों की 10% मानी जाती है। दोनों समुदाय 2017 से लगातार दो बार भाजपा को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।

सपा का यह जातीय विमर्श खासतौर पर ब्राह्मणों को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हाल में पार्टी में शामिल हुए अपना दल (कृष्णा पटेल) के पूर्व नेता हरीश मिश्रा के मुद्दे को सपा प्रमुख लगातार उठाते रहे हैं। मिश्रा पर कथित तौर पर करणी सेना के लोगों ने हमला किया था। यह हमला सपा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा महाराणा प्रताप पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर हुआ था।

रविवार को ही अखिलेश यादव ने दिवंगत ब्राह्मण नेता हरी शंकर तिवारी के गोरखपुर स्थित आवास पर ईडी की छापेमारी का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “इन्हें हाता भी नहीं भाता।”

हाता के नाम से प्रसिद्ध हरी शंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मण राजनीति का बड़ा चेहरा माने जाते थे और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाले गोरखनाथ मठ के धुर विरोधी रहे। इस महीने की शुरुआत में ईडी ने उनके बेटे और सपा के राष्ट्रीय सचिव विनय शंकर तिवारी को 754 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था।

सपा ने ब्राह्मण उत्पीड़न के अन्य मामलों को भी प्रमुखता से उठाया है — जैसे 2018 में एप्पल के एग्जिक्युटिव विवेक तिवारी की पुलिस फायरिंग में मौत, 2020 में गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर, और बस्ती में "उपाध्याय जी" की मौत का मामला, जो सपा को आर्थिक मदद दे रहे थे। इन तीनों की जाति ब्राह्मण थी।

पिछले हफ्ते लखनऊ में सपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया जहां बैनरों पर लिखा था — “बाबा को हाता नहीं भाता” और “ब्राह्मणों पर उत्पीड़न बंद करो।”

सपा प्रवक्ता अभिषेक मिश्रा ने कहा कि अखिलेश यादव ने हमेशा शोषितों के हक में आवाज उठाई है, चाहे वे किसी भी जाति या वर्ग से हों। उन्होंने कहा, “अखिलेश जी का मानना है कि जो सवर्ण लोग शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं, वे भी PDA का हिस्सा हैं।”

वहीं भाजपा ने सपा पर ‘अपराधियों के साथ खड़े होने’ का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “जब भी सरकार किसी अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करती है, सपा उसमें जाति ढूंढ लेती है। मंगेश यादव को यादव, और अतीक अहमद के बेटे को भाईचारा बना दिया जाता है। अपराधी को सिर्फ उसके अपराध से पहचाना जाना चाहिए, जाति से नहीं।”

हालांकि भाजपा के अंदर कुछ ब्राह्मण नेता निजी तौर पर इस बात से नाराज़ हैं कि योगी सरकार में उन्हें अपेक्षित सम्मान और प्रतिनिधित्व नहीं मिला। फिर भी, एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “हम विचारधारा से भाजपा के साथ हैं। दूसरे दलों के ब्राह्मण नेता कुछ वोट हासिल कर सकते हैं, लेकिन देशहित में हम भाजपा के साथ हैं।”

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