MP: कांग्रेस ने जातीय समीकरण साधा, जानिए आरक्षित सीटों पर घोषित प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि?

लोकसभा चुनाव 2024: आरक्षित सीट पर घोषित प्रत्याशी अपने आस-पास की लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस के प्रत्याशियों को फायदा पहुचाएंगे।
सांकेतिक फोटो।
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भोपाल। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। सूची में मध्य प्रदेश के 10 कैंडिडेट्स हैं; इनमें से 7 आरक्षित सीटों पर और तीन अनारक्षित सीटों पर बीजेपी को सीधी टक्कर देंगे। प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद यह माना जा रहा है कि चुनाव में कांग्रेस का फोकस दलित-आदिवासियों पर है। वहीं आरक्षित सीट पर घोषित प्रत्याशी अपने आस-पास की लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस के प्रत्याशियों को फायदा पहुचाएंगे।

राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि इन दस सीटों में जो नाम सामने आए है, उससे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है, कि कांग्रेस इस बार दलित आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मजबूती से चुनाव लड़ेगी। राज्य के चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य और निमाड़ क्षेत्र की इन सीटों पर कांग्रेस ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। 

कांग्रेस ने दलित नेता विधायक फूल सिंह बरैया, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेन्द्र मालवीय, पूर्व मंत्री आदिवासी नेता ओमकार मरकाम, ओबीसी वर्ग के नेता व पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बड़े बेटे सांसद नकुलनाथ को चुनावी मैदान में उतारा है। 

एससी आरक्षित सीटों के प्रत्याशी

कांग्रेस ने इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट भिंड (एससी) से 62 वर्षीय फूल सिंह बरैया को टिकट दिया है। फूल सिंह 1998 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से विधायक बने थे। उन्होंने 2003 में बसपा छोड़ दी थी। फिर 2019 को कांग्रेस में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बने, लेकिन हार गए। 2020 के विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर दतिया जिले की भांडेर से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2023 में उन्हें फिर भांडेर से टिकट दिया, इस बार फूल सिंह भांडेर से निर्वाचित होकर विधायक बने।

फूल सिंह बरैया प्रदेश में दलित समाज का बड़ा चेहरा हैं। ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड संभाग में उनका वर्चस्व है। उन्हें लोकसभा में प्रत्याशी बनाने से कांग्रेस पार्टी को अन्य सीटों पर भी फायदा हो सकता है। 

टीकमगढ़ (एससी) लोकसभा सीट से 43 वर्षीय पंकज अहिरवार को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। पोस्ट ग्रेजुएट पंकज एनएसयूआई के जिला सचिव, यूथ कांग्रेस के जिला महासचिव, अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में पंकज अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और सागर संभाग के प्रभारी हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में और टीकमगढ़ लोकसभा में अहिरवार समाज के वोटर की संख्या अधिक है। इसकी वजह से इन्हें मौका मिला। पूर्व में कांग्रेस ने इस सीट से किरण अहिरवार को टिकट दिया था जो बीजेपी के वीरेंद्र कुमार से हार गई थीं। 

देवास (एससी)  लोकसभा सीट से 55 वर्षीय राजेन्द्र मालवीय को कांग्रेस ने टिकट दिया है। मालवीय केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं। राजेन्द्र मालवीय बलाई समाज से आते हैं। एमपी कांग्रेस कमेटी (अनुसूचित जाति विभाग) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी हैं। मालवीय को पिता की राजनीतिक पृष्ठभूमि और क्षेत्र में मजबूत पकड़ की वजह से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। 

एसटी आरक्षित सीटों के प्रत्याशी 

मंडला (एसटी) लोकसभा सीट से कांग्रेस ने 47 वर्ष के ओमकार मरकाम को प्रत्याशी घोषित किया है। वर्तमान में वह डिंडोरी विधायक हैं। 2008, 2013, 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में डिंडोरी सीट से जीतते रहे। प्रदेश आदिवासी कांग्रेस अध्यक्ष रहे। पूर्व की कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। 2014 में मंडला लोकसभा से कांग्रेस से चुनाव लड़े, लेकिन वे भाजपा के फग्गनसिंह कुलस्ते से हार गए थे। ओमकार मरकाम प्रदेश का बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। इसलिए पार्टी ने उन्हें मंडला से टिकट दिया है।

धार (एसटी) लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने 45 वर्षीय राधेश्याम मुवेल को टिकट दिया है। मुवेल पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उन्हें वर्तमान में पार्टी ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ ही मध्य प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी हुई है। मुवेल पूर्व में यूथ कांग्रेस धार के जिला अध्यक्ष और प्रदेश सचिव रह चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के करीबी माने जाते हैं, सिंघार ने ही उनका नाम आगे बढ़ाया था। 

खरगोन (एसटी) लोकसभा सीट से कांग्रेस ने 42 वर्षीय पोरलाल खरते को प्रत्याशी घोषित किया है। ग्रेजुएट पोरलाल सेल टैक्स इंस्पेक्टर रहे हैं। पिछले महीने महू से दादरा नगर हवेली तक आदिवासी जन जागरूकता रैली निकाली। आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की मांग लंबे समय से उठाते रहे हैं। आदिवासी क्षेत्र में सक्रियता और समाज में अच्छी पकड़ की वजह से पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है। वह पूर्व में कांग्रेस के प्रदेश सचिव भी रहे हैं। 

बैतूल (एसटी) लोकसभा सीट से कांग्रेस ने युवा आदिवासी नेता 36 वर्षीय रामू टेकाम को टिकट दिया है। रामू की शिक्षा बीए एलएलबी है, वर्तमान में आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष है। 2019 में भी कांग्रेस ने रामू टेकाम को इसी सीट से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। पूर्व में टेकाम आदिवासी छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष, आदिवासी विकास परिषद के युवा प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष, एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रह चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं। पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी सक्रिय रहे हैं. इसी कारण पार्टी ने उन्हें फिर प्रत्याशी बनाया है। 

अनारक्षित सीटों के प्रत्याशी

छिंदवाड़ा सीट से 49 वर्षीय नकुलनाथ को कांग्रेस ने टिकट दिया है। इनकी शिक्षा एमबीए है। वर्तमान में यह छिंदवाड़ा से सांसद है, जो कांग्रेस की इकलौती सीट है। नकुलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के बड़े बेटे हैं। अपने पिता की परंपरागत लोकसभा सीट छिंदवाड़ा से 2019 में पहली बार चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी नत्थन शाह को 37 हजार से ज्यादा वोट से हराया था। नकुलनाथ संसदीय क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हैं। कमलनाथ के बेटे होने की वजह से प्रत्याशी बनाया है। छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस संभाग में आठ सीटें जीती थीं। 

सतना लोकसभा सीट से कांग्रेस ने 38 वर्षीय सिद्धार्थ कुशवाहा को टिकट दिया है। ग्रेजुएट कुशवाहा के पिता स्व. सुखलाल कुशवाहा बसपा के प्रभावशाली नेता रहे हैं। 2018 में पहली बार विधायक बने। 2022 में हुए महापौर पद के चुनाव में हार गए। विधानसभा चुनाव 2023 में चार बार के भाजपा सांसद गणेश सिंह को हराया। कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष हैं। कुशवाहा समाज के प्रभावशाली नेता है। दो बार बीजेपी के दिग्गज नेताओं को हराया है इसलिए पार्टी ने इनपर भरोसा जताया है। 

सीधी लोकसभा सीट से 51 वर्षीय कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। इनकी शिक्षा बीए, एलएलबी है। पूर्व विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री रहे इंद्रजीत पटेल के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। 2013 में पहली बार विधायक बने। 2018 में फिर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में पंचायत विकास ग्रामीण विभाग मंत्री रहे। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विश्वामित्र से हार गए। विंध्य क्षेत्र में कुर्मी (पटेल) वोटर अधिक हैं। यहां कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं होने का फायदा मिला। ओबीसी वर्ग में पकड़ के कारण पार्टी ने टिकट दिया है। 

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