केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, भाजपा प्रत्याशी और ओंकार सिंह मरकाम, कांग्रेस प्रत्याशी
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, भाजपा प्रत्याशी और ओंकार सिंह मरकाम, कांग्रेस प्रत्याशी

मध्य प्रदेश: मंडला सीट पर फंसा त्रिकोणीय मुकाबला, विश्लेषण से समझिए क्या हैं समीकरण?

मंडला लोकसभा क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) का खासा प्रभाव है। जीजीपी ने मंडला लोकसभा सीट से महेश कुमार वट्टी को प्रत्याशी बनाया है। यानी इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। जिसमें भाजपा को नुकसान हो सकता है।

भोपाल। मध्य प्रदेश की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित मंडला सीट से भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को चुनावी मैदान में उतारकर फिर भरोसा जताया है। वहीं इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और चार बार के विधायक ओंकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है। लेकिन इस बार मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की मुश्किलें बढ़ी हुईं हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव 2023 में कुलस्ते मंत्री और सांसद रहते हुए निवास विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। कुलस्ते को विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार लोकसभा चुनाव में जीत के दावे को फीका कर रही है।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कुलस्ते के खिलाफ ओंकार सिंह मरकाम को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा, कांग्रेस और जीजीपी इन तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद यह माना जा रहा है कि इस बार मंडला सीट पर फिर से मुकाबला बेहद रोचक होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इस क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) का खासा प्रभाव है। जीजीपी ने मंडला लोकसभा सीट से महेश कुमार वट्टी को प्रत्याशी बनाया है। यानी इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। जिसमें भाजपा को नुकसान हो सकता है।

जनता की राय 

द मूकनायक से बातचीत करते हुए मंडला जिले के कुलेश गोंड कहते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में मुकाबला काटें की टक्कर का होगा। कुलेश ने कहा, "ग्रामीण क्षेत्र में पानी की समस्या है। मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने पिछली बार यह वादा किया था कि हर खेत तक पानी पहुँचेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"

मण्डला लोकसभा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि नैनपुर के पठार क्षेत्र में नहर परियोजना होने के बावजूद भी दोनों तरफ के किसानों को पानी नहीं मिल रहा है, जबकि नहर का पानी बालाघाट तक जा रहा है।

रोजगार की कमी और मजदूरी नहीं मिलने के कारण इस क्षेत्र से भारी मात्रा में पलायन होता है। मंडला निवासी विक्रम सिंह कोल ने बताया कि "मजदूरी नहीं मिलने के कारण यहां के आदिवासी महाराष्ट्र, केरल चले जाते हैं। मंत्री कुलस्ते ने आश्वासन दिया था कि क्षेत्र में रोजगार के लिए कारखाने बनाएंगे लेकिन अभी तक किसी ऐसे प्रोजेक्ट की कोई जानकारी नहीं है।"

मंडला के स्थानीय पत्रकार कमलेश गोंड़ ने द मूकनायक को बताया कि, विधानसभा चुनाव 2023 में मंडला जिले की निवास विधानसभा सीट से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते करीब 13 हजार वोटों से हार गए थे। केंद्रीय मंत्री और सांसद रहते हुए उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव में भी मतदाता मौन था, और अब एक बार फिर लोकसभा का मतदाता मौन है।

निवास सीट से करारी हार मिलने के बाद मंत्री कुलस्ते का विरोध और भी तेज हो गया है। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी मजबूत प्रत्याशी को टिकट दिया है। वर्तमान में यह सभी समीकरण देख कर यह अंदाजा है कि भाजपा को चुनाव में नुकसान हो सकता है।

महिला और आदिवासी मतदाता हैं अधिक

एसटी के लिए आरक्षित मध्य प्रदेश की मंडला संसदीय सीट में 50 प्रतिशत से अधिक मतदाता आदिवासी वर्ग से हैं। आदिवासी मतदाता ही मंडला सीट पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। मंडला लोकसभा सीट 3 जिलों मंडला डिंडोरी और सिवनी जिले में आती है। मंडला संसदीय क्षेत्र में शामिल कुल आठ विधानसभा सीटों में से छह विधानसभा सीटें डिंडौरी, शहपुरा, मंडला, निवास, बिछिया व लखनादौन एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इस सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है।

मंडला सीट का इतिहास

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, स्वतंत्रता के बाद हुए लोकसभा चुनावों में मंडला सीट की राजनीति तीन नेताओं कांग्रेस के मगरू गनु उइके व मोहनलाल झिकराम और बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। साल 1952 से 1971 तक के चुनावों में लगातार कांग्रेस के मंगरू गनु उइके लोकसभा में मंडला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।  मंडला संसदीय सीट पर पहली बार परिवर्तन इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में दिखा। साल 1977 में जनता पार्टी के श्यामलाल धुर्वे ने भारतीय लोकदल के टिकट पर जीत दर्ज करके कांग्रेस का किला पहली बार ध्वस्त किया था। इसके बाद साल 1980 से 1991 तक के सभी चुनावों में कांग्रेस ने फिर अपना झंडा गाड़ दिया था। 1980 से कांग्रेस के मोहनलाल झिकराम चार बार लगातार सांसद बने। इसके बाद से बीजेपी ने एक बार फिर मंडला सीट पर अपनी पकड़ बनाई।

साल 1996 से अब तक बीजेपी के आदिवासी नेता व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते छह बार मंडला सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। हालांकि, साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार बसोरी सिंह मसराम से हार का सामना करना पड़ा था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते फगन सिंह कुलस्ते एक बार फिर मंडला जिले के सांसद बन गए।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते ने कांग्रेस के कमल मरावी को हराया था। सातवीं बार सांसद बने कुलस्ते को 7 लाख 37 हजार 266 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के कमल मरावी को 6 लाख 39 हजार 592 वोट मिले। कुलस्ते ने कांग्रेस के कमल सिंह मरावी को 97 हजार 674 वोटों के अंतर से हराया था।

वहीं, कांग्रेस नेता ओंकार सिंह मरकाम को साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मंडला सीट से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन डिंडोरी सीट से विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस ने उन्हें सबसे मजबूत उम्मीदवार माना है। साल 2018 में मरकाम कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में केबिनेट मंत्री रहे हैं। आदिवासी समाज में उभरते नेता के रूप में उन्हें देखा जाता है। इसलिए कांग्रेस ने उन्हे मंडला सीट से प्रत्याशी बनाया है।

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