मध्य प्रदेश: लाड़ली बहना स्कीम की दम पर भाजपा का सरकार में आने का दावा कितना सच?

महिला वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने लाडली बहना योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत हर पात्र महिला को 1250 रुपए मिल रहे हैं।
लाड़ली बहना स्कीम
लाड़ली बहना स्कीम

भोपाल: मध्य प्रदेश में कौन सरकार बनाएगा इसको लेकर राजनितिक गलियारों में खूब चर्चाएं हैं। हाल ही में आए एग्जिट पोल भाजपा की सरकार बनाते दिख रहे हैं। इधर बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां दावा कर रही हैं कि हम सत्ता में आ रहे हैं। शुक्रवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मैहर में मां शारदा के दर्शन करने के बाद दावा किया कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। उन्होंने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स ने जमकर बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की है। वहीं कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को मीडिया से कहा की कल मतगणना के बाद लंबी चर्चा करूंगा। मैं किसी एग्जिट पोल को नहीं मानता मुझे मध्य प्रदेश के मतदाताओं पर भरोसा है।

दरअसल, बीजेपी-कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स पर फोकस किया है। महिला वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने लाडली बहना योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत हर पात्र महिला को 1250 रुपए मिल रहे हैं। शुरू में पात्र महिलाओं को 1 हजार रुपए मिलते थे जिसे बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया है, सीएम शिवराज ने यह दावा किया था कि भाजपा की सरकार बनते ही यह राशि तीन हजार रुपए तक करेंगे। वहीं, कांग्रेस ने भी महिला वोटर्स को साधने के लिए बड़ा वादा किया है। कांग्रेस ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर महिलाओं को 1500 रुपए हर महीने दिए जाएंगे।

मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। 230 विधानसभा सीटों में से 48 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां महिला वोटर्स की वोटिंग में कमी आई है। महिला वोटर्स की कमी से बीजेपी-कांग्रेस की मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। एक तरफ पिछले चुनाव 2018 से इस बार प्रदेशभर में करीब 15 लाख महिला वोटर्स ने मतदान अधिक किया है। भाजपा इस वोट का बढ़ना लाडली बहना स्कीम का असर और भाजपा के पक्ष में होने का दावा कर रही है।

2.10 प्रतिशत बढ़ा मतदान

बता दें कि 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस ने महिला वोटर्स को लुभाने के लिए खूब वादे किए हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर कहा जा रहा है कि जिस पार्टी की तरफ महिला वोटर्स ने रुख किया है राज्य में उसी की सरकार बन सकती है। प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन 2018 की तुलना में इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पोस्टल बैलेट के मतदान प्रतिशत को छोड़ दिया जाए, तो इस वर्ष प्रदेश में 77.15 फीसदी मतदान हुआ। वहीं विधानसभा चुनाव 2018 में प्रदेश में 75.05 प्रतिशत मतदान हुआ था यानी 2023 के विधानसभा चुनाव में 2.10 प्रतिशत मतदान की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले सालों को अगर देखा जाए तो महिला वोटर्स हर बार ही बड़े है। इसमें कोई नई बात नहीं है।

2003 से हुई लगातार वृद्धि

बीते चार चुनावों यानी दो दशक के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि महिलाओं की मतदान में भागीदारी लगातार बढ़ी है। हर विधानसभा चुनाव में बीते चुनाव से ज्यादा महिलाओं ने वोट डाला है। 2003 के चुनावों में 62.14 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। अगले चुनाव 2008 में ये आंकड़ा 65.91 प्रतिशत पर पहुंच गया। यानी करीब पौने चार प्रतिशत मतदान इस बार महिलाओं ने ज्यादा किया। 2013 के चुनाव में आधी आबादी का मतदान प्रतिशत 70.09 था। बीते चुनाव से 4.18 प्रतिशत ज्यादा। 2018 के चुनावों में महिला वोटिंग प्रतिशत 74.02 प्रतिशत गया। ये 2013 के चुनाव के मुकाबले 3.93 प्रतिशत अधिक रहा। इस बार के चुनाव में बीते 2018 के मुकाबले लगभग 2 प्रतिशत मतदान बढ़ा। 

2 करोड़ 72 लाख हैं महिला वोटर्स

निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 जारी की गई मतदाता सूची के अनुसार प्रदेश में सामान्य मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 60 लाख 60 हजार 925 हो गई है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 88 लाख हैं वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 72 लाख है। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 13 सौ 73 है। विदेशों में रहने वाले मतदाताओं की संख्या 99 है। सभी प्रकार के मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 61 लाख के करीब है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक जिस मात्रा में भाजपा महिला वोटर्स को डायवर्ट होने का दावा कर रहीं वह उतना सटीक नहीं है। भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि सवा करोड़ महिलाओं को लाडली बहना योजना का लाभ मिला है उनमें से 70 लाख महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया है। इसके अलावा अन्य महिलाओं का समर्थन भी भाजपा को पूर्व की तरह मिला है। इस बार चुनाव में 15 लाख महिलाओं का जो वोट बढ़ा है उसे भी भाजपा अपने पक्ष में मानते हुए सरकार में आने का दावा कर रही है। लेकिन भाजपा के इस दावे को राजनीतिक विश्लेषक खारिज कर रहें हैं।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा- भाजपा के दावे फिजूल हैं। मतगणना के परिणाम आने दीजिए सब साफ हो जाएगा। शिवराज सरकार सिर्फ लाडली बहनों की बात कर रहीं है। किसान, बेरोजगार, महंगाई, युवा इन सब का क्या हुआ? लाडली बहने समझ चुकी है की उन्हें चुनाव के पहले ही क्यों पैसे मिलें। वहीं बरिष्ठ पत्रकार नितिन दुवे का कहना है कि भाजपा दावा कहीं से कहीं तक हजम नहीं हो रहा। जनता में चुनाव से पहले सत्ता विरोधी लहर थी।

एग्जिट पोल में झोल!

हाल ही टीवी चैनलों पर दिखाए गए एग्जिट पोल पर भी राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि सट्टा बाजार में कांग्रेस पर अधिक दाव के कारण सर्वे एजेंसियों ने मिलीभगत कर इस तरह के एग्जिट पोल बनाए है जिसमें भाजपा को बढ़त दिखाई जा रही है। विश्लेषक मान रहे कि प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर स्पष्ठ दिखाई दे रही थी। और सिर्फ लाडली बहना योजना के बल पर भाजपा 150 सीटें जीते यह संभव नहीं दिखता! वहीं एग्जिट पोल के परिणाम के पीछे भाजपा लाडली बहनों को अपने पक्ष में मानकर दावा कर रही है।

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