लोकसभा चुनाव 2024: 32 हजार ट्रांसजेंडर क्या नहीं कर पाएंगे वोट!

मतदाता सूची में नाम, ट्रांसजेंडर कार्ड व अन्य कोई पहचान पत्र नहीं होने से बड़ी संख्या में थर्ड जेंडर समुदाय के लोग मतदान से वंचित रह जाएंगे।
मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी मतदाता सूची के अनुसार अन्य मतदाता (थर्ड जेंडर) की संख्या 1 हजार 373 है।
मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी मतदाता सूची के अनुसार अन्य मतदाता (थर्ड जेंडर) की संख्या 1 हजार 373 है। The Mooknayak

भोपाल। "मैं अपने सभी भाई बहनों से अलग थी, मेरे पिताजी मुझे देखकर ईश्वर को कोसते थे। कहते थे पिछले जन्म में कौन से पाप थे, जो यह घर में ये पैदा हो गया। सबसे अलग होने के कारण मेरे परिवार ने मुझे कभी स्कूल नहीं भेजा, 11 साल की उम्र में मेरे परिवार ने मुझे डेरे (किन्नरों का समूह) को सौंप दिया। डेरा गुरु ने स्कूल भेजा तो मुझे बच्चों ने छेड़ना शुरू कर दिया। मैंने स्कूल जाना भी छोड़ दिया। किन्नर समुदाय के तौर-तरीके सीखे और बधाई मांगना शुरू कर दिया। मेरा वोटर कार्ड कभी बना ही नहीं, न मैंने कभी वोट डाला है।" 

मध्य प्रदेश के सागर निवासी ट्रांसजेंडर निशा ने पहचान पत्र नहीं होने के कारण हो रही समस्याएं साझा की। अमूमन यही कहानी प्रदेश के 32 हजार थर्ड जेंडर समुदाय से आने वाले लोगों की है। इनमें से अधिकांश के पास न तो ट्रांसजेंडर कार्ड है न कोई पहचान पत्र। इसके चलते यह मतदान प्रक्रिया में भी हिस्सा नहीं ले पाते है।

देश में ट्रांसजेंडर समुदाय हमेशा से सामाजिक भेदभाव का शिकार होता रहा है, लेकिन सरकारें जो इनके अधिकारों की बात करती है। उन्हीं संवैधानिक अधिकारों और मूल्यों से ट्रांसजेंडर्स वंचित हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में ट्रांसजेंडर समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बेहद खराब है।

प्रदेश में 35 हजार से अधिक ट्रांसजेंडर्स हैं। सरकार इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का दावा करती है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश के 32 हजार से ज्यादा ट्रांसजेंडर्स के नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं, इस कारण से यह वोट नहीं कर पा रहे है। 

वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रशासन और भारत निर्वाचन आयोग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है। मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग ने ट्रांसजेंडर संजना सिंह को स्टेट आइकॉन भी बनाया, लेकिन दूसरी ओर हजारों की संख्या में किन्नर समुदाय के लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं है। 

मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी मतदाता सूची के अनुसार अन्य मतदाता (थर्ड जेंडर) की संख्या 1 हजार 373 है।

यह हैं कारण

ट्रांसजेंडर्स के आधार कार्ड और वोटर कार्ड नहीं बनने के पीछे का कारण ट्रांसजेंडर के वर्तमान नाम है। दरअसल, ट्रांसजेंडर के जन्म के बाद परिवार नामकरण करता है। इसी नाम से जन्म प्रमाण-पत्र, मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों में परिवार के द्वारा दिया गया नाम दर्ज होता है। लेकिन यह नाम किन्नर (ट्रांसजेंडर) समुदाय में शामिल होते ही बदल जाता है। 

किन्नर समुदाय में शामिल होने के बाद कोई भी सदस्य अपने पारिवारिक नाम का उपयोग नहीं करता है। इसके स्थान, परिवार और पहचान यह सभी गुप्त रख कर समुदाय के द्वारा या फिर स्वयं के द्वारा परिवर्तित किए गए नाम को ही प्रचलन में रखा जाता है। कागजी तौर पर नाम परिवर्तन नहीं होने के चलते आधार कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। 

जिन ट्रांसजेंडर के आधार कार्ड और वोटर कार्ड नहीं बने है। वह चाहते है कि उनका वर्तमान नाम से ही आधार कार्ड बने, लेकिन कागजों में उनका वह नाम नहीं होने से तकनीकी परेशानी आ रही है। इसके अलावा कुछ ऐसे ट्रांसजेंडर है, जिनके आधार कार्ड बन चुके है। पुराना नाम और जेंडर चेंज नहीं होने के कारण वह अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहते है।

द मूकनायक को भोपाल के एक डेरा की गुरु काजल ठाकुर ने बताया कि उनके डेरे के कई सदस्यों के पास न ही वोटर कार्ड है और न ही आधार कार्ड है। इसके अलावा भी उन्हें शासन की किसी योजना लाभ नहीं मिल रहा। 

ट्रांसजेंडर कायनात ने बताया कि उनके पास आधार कार्ड नहीं हैं, जिस कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वह आधार कार्ड के लिए आधार केंद्र गईं थीं, लेकिन डाक्यूमेंट्स में नाम की समस्या को लेकर आधार कार्ड नहीं बन पाया। कई बार आधार केंद्र के चक्कर काटने के बावजूद कागज़ातों में पुराने नाम की समस्या के चलते उनका आधार पंजीयन नहीं हुआ।

क़ायनात ने कहा कि भोपाल में हीं कई ट्रांसजेंडर है जिनकी नाम के समस्या के कारण आधार कार्ड या तो बने नहीं है या फिर जेंडर और नाम परिवर्तन में दिक्कत हो रही है। 

बैंक में अकाउंट ही नहीं

आधार कार्ड नहीं होने के कारण सैकड़ों ट्रांसजेंडर के बैंक खाते तक नहीं खुले है। बैंक अकाउंट के लिए केवाईसी करानी होती है जिसके लिए आधार कार्ड जरूरी और महत्वपूर्ण दस्तावेज है। कायनात ने बताया कि उनके पास भी बैंक अकाउंट नहीं है। सरकार बड़े दावे करती है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान के लिए काम किया जा रहा है, लेकिन हमारे जेंडर सर्टिफिकेट और आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण कागजात नहीं बन रहे। 

जेंडर ससर्टिफिकेट बनने में भी दिक्कतें

ट्रांसजेंडर को सेल्फ आइडेंटिटी जेंडर सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। इसके लिए सामाजिक न्याग विभाग ने सभी जिला मुख्यालयों पर यह प्रमाणपत्र बनाने के लिए व्यवस्था की है। यह प्रमाणपत्र बाद में आधार अन्य दस्तावेजों से नाम परिवर्तित करने के उपयोग में लिया जा सकता है। समस्या यह है, कि इस जेंडर सर्टिफिकेट के लिए आधार या वोटर कार्ड का होना आवश्यक है। ऐसे में जेंडर सर्टिफिकेट के लिए भी ट्रांसजेंडर भटक रहे हैं। 

छह महीनों में सिर्फ 70 सर्टिफिकेट !

द मूकनायक प्रतिनिधि से सामाजिक न्याय विभाग के जॉइंट डायरेक्टर आरके सिंह ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से आवेदन लिए जाते है इसके बाद जांच उपरांत प्रमाणपत्र जारी करते है। फिलहाल भोपाल में 70 लोगों के सर्टिफिकेट्स बन गए है। आवेदन में आधार कार्ड, समग्र आईडी या वोटर कार्ड होना जरूरी होता है।

बता दें कि छह महीनों में सिर्फ 70 सर्टिफिकेट ही बने है, इन आंकड़ों की स्थिति में पिछले चार महीनों में कोई बदलाव नहीं हुआ यानी पिछले महीनों में एक भी नया सर्टिफिकेट जारी नहीं हुआ। 

ट्रांसजेंडर एक्टविस्ट संजना सिंह ने बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण ट्रांसजेंडर्स मुख्यधारा से जुड़ने में कठिनाई महसूस करते हैं। सामाजिक भेदभाव को झेल रहे किन्नर के उत्थान के लिए सरकार द्वारा बनाई गई एक भी योजना धरातल पर नहीं है। यह एक बड़ी समस्या है कि ट्रांसजेंडर के आधार कार्ड तक नहीं बन रहे। इस संबंध में संख्या का अनुमान लगाना या सटीक आंकड़ा बता पाना मुश्किल है। संभवतः हजारों की संख्याओं में किन्नरों के आधार कार्ड नहीं बने हैं।

तीन साल में भी नहीं हुआ बोर्ड का गठन 

मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने साल 2021 में उभयलिंगी बोर्ड गठन के प्रस्ताव पारित कर दिया था। लेकिन तीन साल बाद भी राज्य स्तरीय बोर्ड का गठन नहीं हो पाया।

अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान ने नीति बनाकर साल 2021 में प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय विभाग को सौंप दी है। नीति के मुताबिक देश के अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में ट्रांसजेंडर्स के उत्थान के लिए उभयलिंगी बोर्ड का गठन करने का सुझाव था, जिसको साल 2021 में कैबिनेट ने भी मंजूरी दी थी।

मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी मतदाता सूची के अनुसार अन्य मतदाता (थर्ड जेंडर) की संख्या 1 हजार 373 है।
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