लोकसभा चुनाव 2024: एनडीए और INDIA गठबंधन में शामिल हैं ये बड़े दलित चेहरे, किसके हिस्से में जाएंगे बिहार के दलित वोट?

एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही दलित वोट बैंक को साधने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं। यहाँ हम आपको दोनों ही गठबंधन में शामिल कुछ ऐसे दलित नेताओं के बारे में बता रहे हैं जो बिहार की राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं और चुनाव के समय दलित समुदाय के वोटों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
बिहार के बड़े दलित चेहरे.
बिहार के बड़े दलित चेहरे.द मूकनायक.
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में लगातार चल रही खींचतान और दलबदली के बीच नेताओं में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की होड़ मची हुई है। बिहार में कुल मतदाताओं में से लगभग 16 फीसदी दलित हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नज़र दलित मतदाताओं की ओर भी है। वहीं, लगभग सभी दलों के पास कई ऐसे कद्दावर नेता भी हैं जो दलित समुदाय से आते हैं।

ऐसे में एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही दलित वोट बैंक को साधने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए है। यहाँ हम आपको दोनों ही गठबंधन में शामिल कुछ ऐसे दलित नेताओं के बारे में बता रहे हैं जो बिहार की राजनीति के साथ देश की राजनीति में भी अच्छी खासी दखल रखते हैं और चुनाव के समय दलित समुदाय के वोटों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

एनडीए में शामिल हैं ये दलित नेता

जीतन राम मांझी

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष जीतन राम मांझी की पहचान एक कद्दावर दलित नेता की रही है। वे दलित समुदाय से आते हैं और मांझी, बेलदार और मुसहर जातियों के वोटों पर इनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही कारण है कि वे बिहार की दलित राजनीति में बड़ी पहचान बन गए हैं। मांझी कांग्रेस के शासन काल से मंत्री रहे। उसके बाद वे राजद और एनडीए की सरकार के मंत्रिपरिषद में भी शामिल रहे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया तो जीतन राम मांझी को सीएम बनाया था। उनकी पार्टी अब एनडीए गठबंधन का हिस्सा है।

चिराग पासवान

बिहार के जानेमाने दलित नेता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद उनकी पार्टी लोजपा की पूरी जिम्मेदारी उनके बेटे चिराग पासवान के कंधों पर है और वे उसे बखूबी निभा भी रहे हैं। बीटेक की डिग्री लेने वाले चिराग पासवान 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर लगातार दो बार से सांसद हैं। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने बिहार के दलित वोटों पर उनकी 6 से 7 फीसदी पकड़ को बरकरार रखा है। हाल ही में अपने चाचा पशुपति पारस से राजनीतिक लड़ाई में भी उन्होंने खुद को मजबूत साबित किया। इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी हाजीपुर, समस्तीपुर, वैशाली, खगड़िया और जमुई लोकसभा सीट से एनडीए की तरफ से चुनावी मैदान में है।

संजय पासवान

भारतीय जनता पार्टी के नेता संजय पासवान केंद्र में मंत्री रहे हैं। वे मानव संसाधन राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, सूचना राज्य मंत्री भी रहे हैं। हाल ही में उनका विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त हुआ है। इनकी पहुंच से बीजेपी को दलित समुदाय के वोट पहले भी मिलते रहे हैं।

जनक राम

बीजेपी के नेता जनक राम भी दलित समाज से आते हैं और वे बिहार के साथ-साथ देश की राजनीति में भूमिका निभाते रहे हैं। फिलहाल, वे बिहार विधान परिषद के सदस्य और एनडीए की सरकार में मंत्री हैं। इससे पहले वे सोलहवीं लोकसभा के दौरान सांसद भी रहे हैं। 2014 के चुनावों में इन्होंने बिहार की गोपालगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाग लिया था। बीजेपी में आने से पहले वे बहुजन समाजवादी पार्टी में थे।

अशोक चौधरी

जनता दल यूनाइटेड के लोकप्रिय दलित नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले अशोक चौधरी बिहार सरकार के पूर्व मंत्री महावीर चौधरी के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। वे नीतीश कुमार के बेहद खास माने जाते हैं और फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री हैं। जेडीयू में शामिल होने से पहले वे बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

महेश्वर हजारी

मिथिलांचल में जेडीयू के बड़े दलित नेता महेश्वर हजारी पूर्व सांसद और पांच बार के विधायक रहे रामसेवक हजारी के बेटे हैं। वह खुद भी चार बार विधायक और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा वे बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। महेश्वर हजारी वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री हैं।

INDIA गठबंधन में शामिल दलित नेता

मीरा कुमार

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार बिहार की राजनीति में एक बड़े दलित चेहरे के तौर पर पहचान रखती हैं। मीरा कुमार बिहार से ज्यादा केंद्र की राजनीति में सक्रिय रही हैं। वे गांधी परिवार की बेहद करीबी मानी जाती हैं। मीरा कुमार सासाराम से कई बार सांसद रही हैं। वह बिहार के दलित वोटों पर खासी पकड़ रखती हैं।

श्याम रजक

पटना की फुलवारी शरीफ से 6 बार के विधायक रह चुके श्याम रजक राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के काफी करीबी नेता माने जाते हैं। हालांकि, पहले वे राजद से नाराज होकर जदयू में चले गए थे और एनडीए के शासनकाल में सीएम नीतीश कुमार के राज में दो बार मंत्री भी बने। लेकिन फिर जदयू के साथ भी इनकी पारी ज्यादा लंबी नहीं चली और वे वापस राजद में आ गए। फिलहाल, वे राजद के राष्ट्रीय महासचिव है और पार्टी के लिए दलित सियासत को धार दे रहे हैं।

उदय नारायण चौधरी

बिहार विधानसभा के दो बार अध्यक्ष रह चुके उदय नारायण चौधरी की पहचान एक बड़े दलित नेता के तौर पर रही है। पहले वे जदयू में थे लेकिन जब नीतीश कुमार के साथ उनकी नहीं बनी तो वे राजद में चले गए। अब वे लालू यादव के खास माने जाते हैं। उदय नारायण चौधरी अब राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे हैं और बिहार में दलित वोटों पर राजद की पकड़ को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं।

अशोक राम

कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री बालेश्वर राम के पुत्र अशोक राम पुराने कांग्रेसी हैं। वे बिहार में कांग्रेस के प्रमुख दलित नेता माने जाते हैं। राजनैतिक पृष्ठ भूमि के माने जाने वाले अशोक राम अपने पिता की राजनीति को आगे बढ़ा दलित सियासत के बड़े चेहरे बनने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही जमीनी स्तर पर बिहार में कांग्रेस के जनाधार को मजबूती दे रहे हैं।

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