मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल में जानिए किस जाति के कितने मंत्रियों को मिली जगह?

मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल में कुल 30 कैबिनेट मंत्री है, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री हैं और 36 राज्य मंत्री रखे गए हैं। मोदी के नए मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है.
मोदी के नए मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है.
मोदी के नए मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है.ग्राफिक- द मूकनायक

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में रविवार शाम को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 71 मंत्रियों ने भी इस बार शपथ ली है। 2014 और 2019 की तुलना में इस बार सबसे ज्यादा मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है यानी कि गठबंधन सरकार में सहयोगियों को जगह देने के लिए इस बार मोदी को मंत्री परिषद भी विस्तार करना पड़ा है। मंत्रिमंडल के गठन के बाद लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि उनके अपने समुदाय के किस सांसद मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिली है.   

मंत्रिमंडल के गठन के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि पीएम मोदी के इस नए कैबिनेट में जातीय समीकरण का ध्यान साफ तौर पर रखा गया है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की घटती सीटें और कई राज्यों में करारी हार के बाद कहीं वोटबैंक पार्टी से छिटक न जाएं इसलिए भी यहां जातीय समीकरण का ध्यान रखा गया है. 

हालांकि, माना जा रहा है कि इस बार दलित वोटर्स बीजेपी से नाराज थे जिसका खामियाजा यूपी में उन्हें करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा. अब इस गलती को सुधारते हुए इस बार के मंत्रिमंडल में तमाम जातियों को उचित स्थान देने का काम किया गया है।

मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल में कुल 30 कैबिनेट मंत्री है, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री हैं और 36 राज्य मंत्री रखे गए हैं। ध्यान रखा गया है कि इन सभी मंत्रियों के जरिए 24 राज्यों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व भी कवर कर लिया जाए। 

अगर आंकड़ों में बात करें तो पीएम मोदी के नए मंत्रिमंडल में 21 सवर्ण, 27 ओबीसी, 10 SC, 5 ST, 5 अल्पसंख्यक समाज (मुस्लिम छोड़कर) से मंत्री रखे गए हैं। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि मोदी के नए मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है.

इस बार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है, इसी वजह से मंत्रिमंडल में 11 एनडीए के सहयोगी दलों को भी स्थान देना पड़ा है। इस बार 43 ऐसे सांसद मंत्री बने हैं, जो संसद में 3 या उससे अधिक कार्यकाल तक सेवा दे चुके हैं, इसके साथ ही 39 ऐसे मंत्री बनाए गए हैं, जो पहले भी भारत सरकार में मंत्री रह चुके है. इसके अलावा मंत्रिमंडल में छह पूर्व मुख्यमंत्री, 23 राज्यों के मंत्रियों को भी शामिल किया गया है।

सवर्ण समाज के मंत्री 

सवर्ण मंत्रियों में बात करें तो अमित शाह, एस जयशंकर, मनसुख मंडाविया, राजनाथ सिंह, जितिन प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान, रवनीत बिट्टू, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, मनोहर लाल खट्टर, जितेंद्र सिंह, संजय सेठ, गजेंद्र सिंह शेखावत, राम मोहन नायडू, जेपी नड्डा, गिरिराज सिंह, सुकांत मजूमदार, ललन सिंह, सतीश चंद्र दुबे को शामित किया गया है।

ओबीसी समाज के मंत्री

ओबीसी मंत्रियों में बात करें तो जयंत चौधरी, पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल, रक्षा खडसे, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रविंदरजीत सिंह, कृष्ण पाल गुर्जर, भूपेंद्र यादव, अन्नपूर्णा देवी, एचडी कुमार स्वामी और नित्यानंद राय को जगह दी गई है। 

दलित और आदिवासी समाज के मंत्री

इस बार मोदी ने दलित वोटरों पर भी पूरा फोकस रखा है, इसी वजह से मंत्रिमंडल में एसपी बघेल, कमलेश पासवान, अजय टम्टा, रामदास आठवाले, वीरेंद्र कुमार, सावित्री ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, चिराग पासवान, रामनाथ ठाकुर को शामिल किया गया है। आदिवासी मंत्री के तौर पर जुएल ओराम, श्रीपद येसो नाइक और सर्वानंद सोनोवाल को भी तवज्जो दी गई है।

मंत्रिमंडल में ठाकुर-ब्राह्मण-यादव… आदि की स्थिति

अगर उपजातियों को ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि मोदी ने इस बार 3 ठाकुर, 6 ब्राह्मण, 3 दलित, 1 आदिवासी, 2 सिख, 2 भूमिहार, 2 यादव, 2 पाटीदार, 1 वोकलिंगा और 1 खत्री समाज के मंत्री को अपने कैबिनेट में शामिल किया है।

पहले से कितना बदला इस बार का मंत्रिमंडल?

जहां 2014 में कुल 46 मंत्रियों ने शपथ ली थी, वहीं 2019 में वो आंकड़ा बढ़कर 52 हो गया। जबकि, इस बार 2024 में सबसे ज्यादा 72 मंत्रियों ने शपथ ली है, यानी कि सहयोगियों को जगह देने के लिए मंत्रिमंडल का आकार पहले की तुलना में और ज्यादा बढ़ चुका है।

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