एग्जिट पोल के बाद दलों के बीच अकुलाहट, जानिए पिछले लोकसभा चुनावों के अनुमान कितने सटीक रहे?

ऐसे समय में जब टीवी चैनलों के एग्जिट पोल लोगों के दिलों की धड़कनों को बढ़ा रहे हैं तब यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि पिछले लोकसभा चुनावों में टीवी चैनलों के एग्जिट पोल कितने सटीक रहे हैं.
एग्जिट पोल के बाद दलों के बीच अकुलाहट, जानिए पिछले लोकसभा चुनावों के अनुमान कितने सटीक रहे?

नई दिल्ली: 1 जून को देश की 57 लोकसभा सीटों पर अंतिम सातवें चरण के चुनाव के बाद अब जीत-हार की अटकलों का दौर शुरू हो गया है. मेनस्ट्रीम मीडिया के टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल को लेकर नागरिक और नेता दोनों की सांसे थमी हुईं हैं, हर कोई 4 जून का इन्तजार कर रहा है ताकि लोग यह जान पाएं कि विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश का प्रधानमंत्री कौन होगा. 

अंतिम चरण के मतदान के बाद लोगों की मनगणना भी शुरू गई है. टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे एग्जिट पोल में एनडीए (National Democratic Alliance) की सरकार फिर से तीसरी बार बनने जा रही है, वहीं इंडिया गठबंधन ई हार बताई जा रही है. ऐसे समय में जब टीवी चैनलों के एग्जिट पोल लोगों के दिलों की धड़कनों को बढ़ा रहे हैं तब यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि पिछले लोकसभा चुनावों में टीवी चैनलों के एग्जिट पोल कितने सटीक रहे हैं. 

जाहिर है कि इस बार एग्जिट पोल की जानकारी देने वाली तमाम एजेंसियों ने भाजपा नेतृत्व की राजग [राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ‘राजग’ या एनडीए, भारत में एक राजनैतिक गठबन्धन है। इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है।] के तीसरी बार सरकार बनाने की भविष्यवाणी की है। 

अगर हम 2014, 2019 के अनुमानों की बात करें तो नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए ने चुनाव जीता था, लेकिन नतीजे अनुमान से काफी अलग थे। इससे पहले वर्ष 2009 में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने जीत हासिल की, तो फिर से अंतर अनुमान से कहीं ज्यादा था।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव सात अप्रैल और 12 मई के बीच कराए गए थे। नतीजे 16 मई को आए थे। वर्ष 2019 में चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच कराए गए थे। नतीजे 23 मई को आए। दोनों दफा राजग की जीत की भविष्यवाणी करने में अधिकांश एजेंसियां सही रहीं, लेकिन जीत की सीमा का अनुमान लगाने में वे सही नहीं थे। 

वर्ष 2009 में जब यूपीए ने जीत हासिल की, तो अंतर अनुमान से कहीं ज्यादा था। वर्ष 2014 में आठ सर्वेक्षणों के औसत में अनुमान लगाया गया था कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को 283 सीट और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए [संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन या संप्रग (United Progressive Alliance or UPA)] को 105 सीट मिलेंगी। तमाम एजेंसियां उस वर्ष 'मोदी लहर' की सीमा का अनुमान लगाने में विफल रहे। एनडीए को 336 सीट और यूपीए को मात्र 60 सीट मिलीं। इनमें से भाजपा ने 282 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं।

वर्ष 2019 में 13 सर्वेक्षणों के औसत में एनडीए को 306 और यूपीए को 120 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया। फिर से एनडीए के प्रदर्शन को कम करके आंका गया, जिसने कुल 353 सीटें जीतीं। जबकि, यूपीए को 93 सीट मिलीं। इनमें से भाजपा ने 303 और कांग्रेस ने 52 सीटें जीती।

वर्ष 2009 में जब यूपीए सत्ता में लौटी थी, तब औसतना चार सर्वेक्षणों ने विजेता की संख्या को कम करके आंका था। उन्होंने यूपीए को 195 और एनडीए को 185 सीट दी थीं। यूपीए ने आखिरकार 262 सीटें जीती, जबकि एनडीए को 158 सीटें मिलीं। इनमें से कांग्रेस ने 206 सीट और भाजपा ने 116 सीटें जीती थी।

2014, 2019 के अनुमानों की बात करें तो नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए ने चुनाव जीता था, लेकिन नतीजे अनुमान से काफी अलग थे। इससे पहले वर्ष 2009 में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने जीत हासिल की, तो फिर से अंतर अनुमान से कहीं ज्यादा था। वर्ष 2014 में आठ सर्वेक्षणों के औसत में अनुमान लगाया गया था कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को 283 सीट और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 105 सीट मिलेंगी। वर्ष 2019 में 13 सर्वेक्षणों के औसत में राजग को 306 और यूपीए को 120 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया। जबकि, फिर से राजग के प्रदर्शन को कम करके आंका गया।

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