पंचायत और 2027 यूपी चुनाव से पहले दलित वोट बैंक पर फोकस: जयंत चौधरी ने उठाई 'अंबेडकर तीर्थ स्थल यात्रा योजना' की मांग
लखनऊ — राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय को साधने की दिशा में अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। आगामी पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अंबेडकर तीर्थ स्थल यात्रा योजना को शुरू करने की मांग उठाई है, जो पार्टी की दलितों तक अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
28 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में जयंत चौधरी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर से जुड़े पांच प्रमुख स्थलों – पंचतीर्थ – की यात्रा को समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के लिए सुलभ बनाने की मांग की।
ये पंचतीर्थ स्थल हैं:
महू (मध्य प्रदेश) – जन्मभूमि
लंदन – शिक्षा भूमि
नागपुर – दीक्षा भूमि
मुंबई – चैत्य भूमि
दिल्ली – महापरिनिर्वाण स्थल
जयंत चौधरी ने पत्र में लिखा, “सरकारी प्रयासों के कारण ये स्थल आज प्रेरणास्थलों और पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित हो चुके हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए इन स्थलों की यात्रा अब भी मुश्किल है। इसलिए एक विशेष योजना, अंबेडकर तीर्थ स्थल यात्रा योजना, शुरू की जाए जिससे समाज के ये वर्ग इन स्थलों तक सरलता से पहुंच सकें और डॉ. अंबेडकर के जीवन से जुड़ी प्रेरणाओं को करीब से समझ सकें।”
उन्होंने कहा कि यह योजना केवल यात्रा नहीं बल्कि सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने और समतामूलक समाज की दिशा में एक ठोस कदम होगी।
दलित मतदाताओं को साधने की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंचतीर्थ और अंबेडकर को केंद्र में रखकर जयंत चौधरी एक भावनात्मक और वैचारिक जुड़ाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, विशेष रूप से जाटव समुदाय के साथ, जो परंपरागत रूप से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का मजबूत वोट बैंक रहा है। हालांकि हाल के वर्षों में भाजपा और सपा ने भी इस वर्ग को साधने की कोशिशें की हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल ऐसे समय पर आई है जब बसपा का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिर रहा है और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद, जो 2024 में नगीना लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, दलित राजनीति में नया उभार बनकर उभरे हैं।
जयंत चौधरी का यह पत्र सरकार को सीधे चुनौती देने की बजाय संविधानिक और सांस्कृतिक दायरे में रहकर मांग उठाने की रणनीति दिखाता है। इससे यह संदेश भी जाता है कि RLD, एनडीए में रहते हुए, अपनी स्वतंत्र पहचान और सामाजिक न्याय के एजेंडे को भी जीवित रखना चाहती है।
RLD का दलित समुदाय की ओर झुकाव
RLD सूत्रों का कहना है कि 2024 में समाजवादी पार्टी से नाता तोड़कर एनडीए में शामिल होने के बाद पार्टी ने दलित समुदाय के बीच अपनी पहुंच को मजबूत करना शुरू कर दिया था। इस दिशा में एक प्रतीकात्मक कदम तब देखने को मिला जब पुरकाज़ी (मुज़फ्फरनगर) से दलित विधायक अनिल कुमार को 2024 में यूपी मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान मंत्री बनाया गया।
RLD के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने पुष्टि की कि पार्टी ने दलितों के बीच अपने कार्यक्रमों को तेज किया है। उन्होंने कहा, “हमें इस गति को बनाए रखने के लिए और अधिक आक्रामकता से काम करना होगा ताकि दलितों और वंचित वर्गों से हमारी नजदीकी और मजबूत हो सके।”
पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि बसपा के कमजोर होते जनाधार के बीच RLD को एक नया राजनीतिक अवसर दिख रहा है। अंबेडकर तीर्थ स्थल यात्रा योजना जैसी पहल के जरिए पार्टी पश्चिमी यूपी की बदलती सियासी तस्वीर में खुद को दलितों की एक नई आवाज के रूप में पेश करना चाहती है।
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