आम चुनाव 2024ः दलित नेता अवधेश कुमार ने 'राममंदिर मुद्दे' को लेकर क्या बनाई रणनीति ?

लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है, सभी पार्टियां अपनी जीत सुनिश्चित करने की तैयारी में जुटी हैं। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद के बाद से फैजाबाद सीट काफी चर्चा में रही है लेकिन अब राम मंदिर बन रहा है। इस सीट पर पांचवें चरण में...
अवधेश प्रसाद को सपा ने उसी अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से मैदान में उतारा है जहां श्रीराम का मंदिर बनाकर भाजपा पूरे देश में अपने लिए माहौल बनाने में जुटी है।
अवधेश प्रसाद को सपा ने उसी अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से मैदान में उतारा है जहां श्रीराम का मंदिर बनाकर भाजपा पूरे देश में अपने लिए माहौल बनाने में जुटी है।

फैजाबाद: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है, सभी पार्टियां अपनी जीत सुनिश्चित करने की तैयारी में जुटी हैं। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद के बाद से फैजाबाद सीट काफी चर्चा में रही है लेकिन अब राम मंदिर बन रहा है। इस सीट पर पांचवें चरण में चुनाव होगा। भाजपा ने लल्लू सिंह, समाजवादी पार्टी से अवधेश प्रसाद, बसपा से सच्चिदानंद पांडे को टिकट दिया है।

लोकसभा चुनाव के लिए दलित नेता अवधेश प्रसाद को सपा ने उसी अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से मैदान में उतारा है जहां श्रीराम का मंदिर बनाकर भाजपा पूरे देश में अपने लिए माहौल बनाने में जुटी है। अखिलेश यादव ने यहां से दलित कार्ड खेलकर सियासी जानकारों को चौंका दिया है। यह साफ हो गया है कि सपा हाईकमान ‘पीडीए’ को चुनावी हथियार बनाकर रण में कूदने की तैयारी में है।

अवधेश प्रसाद को टिकट देकर पूर्वांचल की सियासत के माहिर खिलाड़ी रहे पूर्व सांसद स्व. मित्रसेन यादव समर्थकों को मायूस कर दिया है। स्व. यादव के बेटे पूर्व मंत्री आनंद सेन का भी नाम टिकट की रेस में था और समर्थक दबी जुबां से अंतिम तक उन्हें ही चुनाव लड़ाने की वकालत करते नजर आ रहे थे। आनंद सेन के साथ कुछ अन्य चेहरे जो पर्दे के पीछे से टिकट की आस लगाए बैठे थे, उन्हें भी मायूसी लगी है।

अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी से आते हैं और वह मुलायम सिंह यादव के भी नजदीकी रहे। जब 1989 में मुलायम  पहली बार सीएम बने तो अवधेश का विधायकों को जुटाने अहम रोल रहा। उसके बाद से जब भी प्रदेश में सपा की सरकार बनी हमेशा कैबिनेट की पहली कतार में शपथ लेते नजर आए।

अवधेश प्रसाद जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में पहली बार सोहावल विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद वह 1985, 1989, 1993, 1996, 2002, 2007 और 2012 लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे. साल 2008 के परिसीमन के बाद सोहावल सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व खत्म हुआ और मिल्कीपुर विधानसभा को सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया. जहां से वो 2012 में सपा लहर में विधायक और अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गये. 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश प्रसाद को हार का स्वाद चखना पड़ा लेकिन 2022 में बड़ी जीत हासिल करके नौवीं बार विधायक बने. आप अलग-अलग समय पर सपा कार्यकाल के दौरान युपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे है.

अयोध्या ही होगा भाजपा का मुख्य एजेंडा

इस बार के लोकसभा चुनाव में अयोध्या और श्रीराम का मंदिर ही भाजपा का मुख्य एजेंडा रहने की उम्मीद है। ऐसे में अखिलेश ने अयोध्या से दलित प्रत्याशी देकर कई संदेश देने की कोशिश की है। अखिलेश लगातार यह ऐलान करते रहे हैं कि पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) ही एनडीए को हराएगा। ऐसे में अयोध्या जैसी भाजपा के लिए सबसे प्रतिष्ठित सीट पर दलित को उतारकर उन्होंने इस लड़ाई को बेहद रोचक बनाने की ओर बड़ा कदम बढ़ा दिया है।

आप को बता दें कि फैजाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुआ और कांग्रेस के पन्ना लाल यहां से सांसद बने। 1957 में हुए चुनाव में बृजबासी यहां से सांसद बने। 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस से आरके सिन्हा यहां से सांसद चुने गए। सिन्हा 1971 में भी सांसद बने, लेकिन 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दोबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में कांग्रेस के निर्मल खत्री यहां से सांसद बने, लेकिन 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता।

राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। इसके बाद 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे, लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। 2019 के लिए बीजेपी ने लल्लू सिंह पर दांव खेला था तो उसे दोबारा सफलता मिली थी।

फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 5 सीटें आती हैं। जिनमें दरियाबाद, बीकापुर, रुदौली, अयोध्या और मिल्कीपुर की सीटें शामिल है। इसमें दरियाबाद की सीट बाराबंकी जिले में आती है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं समाजवादी पार्टी बसपा और कांग्रेस को यहां मुंह की खानी पड़ी। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर 18,4,729 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9,64,426 है और महिला मतदाताओं की संख्या 8,40,231 है। वहीं ट्रांस जेंडर मतदाताओं की संख्या 72 है। हालांकि इस बार राम मंदिर का उद्घाटन हो गया है। ऐसे में चुनाव जीतना भाजपा के असान माना जा रहा है। लेकिन नतीजे ही बताएंगे कि जनता ने किसे चुनती है।

अवधेश प्रसाद को सपा ने उसी अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) से मैदान में उतारा है जहां श्रीराम का मंदिर बनाकर भाजपा पूरे देश में अपने लिए माहौल बनाने में जुटी है।
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