चुनावी छलावों और छद्म दावों से नहीं, 140 करोड़ जनता के हिसाब से रोजगार के अवसर पैदा करना होगा: बसपा सुप्रीमो मायावती

बीएसपी आल इण्डिया बैठक में हर प्रकार के चुनावी छलावों आदि के प्रति पूरे जी-जान से टक्कर लेने का आह्वान। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि, लुभावने वादों, छद्म दावों व चतुर नारों आदि से लोगों का जीवन तथा देश का भविष्य सुधरने वाला नहीं है, बल्कि सरकार को रोजगार के अवसर देश की 140 करोड़ गरीब जनता के हिसाब से पैदा करना होगा।
बसपा प्रमुख मायावती आज रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए.
बसपा प्रमुख मायावती आज रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए. फोटो साभार- @Mayawati

उत्तर प्रदेश: राजधानी लखनऊ में रविवार को बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने पार्टी की आल इण्डिया बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ पदाधिकारियों को, विरोधी पार्टियों द्वारा जन व देशहित की नीति व सिद्धान्त के बजाय ज्यादातर धनबल, लुभावने वादों व छलावापूर्ण दावों आदि अर्थात् फाउल प्ले (foul play) के सहारे राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ का सही से सामना करने के लिए 'डबल मेहनत से संगठन की मजबूती व जनाधार को बढ़ाने का आह्वान किया. ताकि 'वोट हमारा, राज तुम्हारा' की लगातार चली आ रही शोषणकारी व्यवस्था से सर्वसमाज के गरीबों एवं अन्य मेहनतकश बहुजनों को इससे जल्द मुक्ति मिल सके।

बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जारी किये गए प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, विरोधी पार्टियां सैकड़ों, हजारों करोड़ रुपयों के चन्दों के बल पर शाही और काफी खर्चीला चुनाव लड़कर जनमत को प्रभावित करने का प्रयास करती हैं, जबकि बी.एस.पी. धन्नासेठों और बड़े-बड़े पूंजीपतियों के सहारे और उनके इशारों से बचने के लिए केवल अपने लोगों के खून-पसीने की कमाई पर ही आश्रित है और उन्हीं के तन, मन, धन के बल पर चुनाव भी लड़ती है और इस प्रकार बी.एस.पी. एवं अन्य पार्टियों में फर्क साफ है। इस प्रकार लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी कि, घोर राजनीतिक और चुनावी स्वार्थ से अलग हटकर, उनका असली हितैषी कौन है?

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आशंका जाहिर की कि क्या लोकसभा का अगला चुनाव भी इसी प्रकार के छद्म नारों और चुनावी छलावों के आधार पर ही लड़ा जाएगा.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आशंका जाहिर की कि क्या लोकसभा का अगला चुनाव भी इसी प्रकार के छद्म नारों और चुनावी छलावों के आधार पर ही लड़ा जाएगा.फोटो साभार- @Mayawati

प्रेस रिलीज में आगे बताया गया कि, देश के चार राज्यों में अभी हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में विरोधी पार्टियों द्वारा आदर्श चुनाव अचार संहिता की जिस प्रकार से धज्जियाँ उड़ाते हुए किस्म-किस्म के लुभावने एवं कभी न पूरा किये जाने वाले वादे आदि करके चुनाव को इस हद तक प्रभावित किया कि चुनाव का माहौल बहुकोणीय संघर्ष होने के बावजूद चुनाव परिणाम बिल्कुल अलग एकतरफा हो जाना ऐसा मुद्दा है जो चर्चा का विषय है, कि क्या लोकसभा का अगला चुनाव भी इसी प्रकार के छद्म नारों और चुनावी छलावों के आधार पर ही लड़ा जाएगा और गरीबी, महंगाई व बेरोजगारी आदि ज्वलन्त समस्याओं से त्रस्त जनता बेबस सब कुछ देखती रहेगी या फिर उसका कोई लोकतांत्रिक समाधान भी निकालेगी।

बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी की आल इण्डिया बैठक में कहा कि, लोगों को सजग व सावधान करना बहुत जरूरी है कि लुभावने वादों, छद्म दावों व चतुर नारों आदि की राजनीति से उन लोगों का जीवन सुधरने वाला नहीं है, बल्कि सरकार को रोजगार के अवसर देश की 140 करोड़ जनता के हिसाब से पैदा करने होंगे। इसीलिए महंगाई दूर करना तथा इज्जत की रोटी के लिए रोजगार आदि मुहैया कराकर बेरोजगारी दूर करना जैसे जनहित के वास्तविक कार्यों पर सरकार को अपनी सोच, नीति, शक्ति व संसाधान लगाने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।

उन्होंने कहा, किसी भी प्रकार से चुनावी चर्चा व मीडिया की हेडलाइन में बिना रोक-टोक बने रहने का विरोधी पार्टियों का प्रयास देश में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए क्या उचित है? किन्तु उन्हें रोके कौन? उसी का नतीजा है कि सरकार विरोधी लहर के बावजूद चुनाव परिणाम लोगों के अपेक्षा के मुताबिक नहीं होते हैं। अब आगे लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनावी माहौल को जातिवादी, साम्प्रदायिक व धार्मिकता के गैर-जरूरी रंग में झोंककर प्रभावित करने का प्रयास किया जायेगा ताकि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन आदि के देश की जनता के दर्दनाक हालात पर से लोगों का ध्यान बाँटा जा सके, किन्तु जनता अपनी मुसीबतों को समझा कर भी अगर अनजान बनी रहे तो उनके परिवार की तकदीर क्या बदल पायेगी?

बीएसपी आल इण्डिया बैठक में शामिल बसपा पदाधिकारी व नेतागण
बीएसपी आल इण्डिया बैठक में शामिल बसपा पदाधिकारी व नेतागणफोटो साभार- @Mayawati

इसके अलावा, मायावती ने यह भी स्पष्ट किया कि, चुनावी गठबंधन से बी.एस.पी. को नुकसान ज्यादा होता है क्योंकि हमारा वोट दूसरी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है जबकि दूसरी पार्टियाँ अपना वोट बी.एस.पी. को ज्यादातर मामलों में ट्रांसफर नहीं करा पाती है. अर्थात् दूसरी पार्टियों की नीति व कार्यक्रम बी.एस.पी. की तरह "सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय" जैसी विशुद्ध अम्बेडकरवादी नहीं होने के कारण गठबंधन में सकारात्मकता कम व नकारात्मकता ज्यादा है. ऐसा लोगों का मानना है और खासकर यूपी में तो इसका तजुर्बा बहुजन मूवमेन्ट के हित में बहुत ही कड़वा और खराब रहा है। वास्तव में अम्बेडकरवादी पार्टी के रूप में बी.एस.पी. का प्रयास नेताओं और पार्टियों को जोड़ने में समय, ऊर्जा और शक्ति लगाने के बजाय बहुजन समाज के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनकी राजनीतिक शक्ति बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की सोच के मुताबिक विकसित करने की है ताकि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके वे सभी गरीब व बहुजन समाज के लोग अपना उद्धार स्वंय करने योग्य बन जायें और तब कोई उनके खिलाफ शोषण व अत्याचार नहीं कर पायेगा।

प्रेस रिलीज में आगे कहा गया कि, बीएसपी तथा बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के अनुयाइयों द्वारा बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती जी को 'बहुजन समाज' के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की प्रतीक मानकर हर वर्ष उनका जन्मदिन पूरे देश में "जनकल्याणकारी दिवस' के रूप में मनाते हैं, जिसको पूरे तौर पर मिशनरी बनाने के उद्देश्य से कार्यक्रम में खास परिवर्तन करने सम्बंधी नये जरूरी दिशा-निर्देश देते हुये मायावती जी ने कहा कि बहुजन समाज में समय-समय पर जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों में भी खासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, श्री नारायणा गुरु, छत्रपति शाहूजी महाराज, परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व बहुजन नायक मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि के जीवन संघर्षों से प्रेरणा लेकर मैंने (बहन कु. मायावती जी ने), सब कुछ त्यागकर, आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के मानवतावादी बहुजन मूवमेन्ट को जो अपना सारा जीवन समर्पित किया है. तथा यूपी में चार बार अपनी सरकार बनने पर जनकल्याण के जो अनेकों महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कार्य किये हैं, लोग उनको स्मरण व उनसे प्रेरणा लेकर पार्टी व मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने का काम करे तो बेहतर होगा।

"यूपी में बी.एस.पी. की रही सरकार में खासकर बेरोजगारी भत्ता अथवा पाँच किलो सरकारी अनाज आदि देने जैसे सस्ती लोकप्रियता वाले कार्य नहीं किये गये बल्कि लोगों को इज्जत से जीने के लिए लाखों की संख्या में सरकारी व गैर सरकारी स्थायी रोजगार मुहैया कराने का रिकार्ड कायम किया गया। साथ ही, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर लोगों का पलायन भी रोका गया, जिसमें यूपी की अब तक की सरकारें विफल रही हैं। गाँवों के विकास के अभूतपूर्व कार्य किये गये", प्रेस रिलीज में पढ़ा गया.

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