यूपी: बसपा 7 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर बिगाड़ना चाहती है इंडिया गठबंधन का खेल?

बसपा ने यूपी में लोकसभा चुनाव की पहली सूची में 16 में से 7 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर इंडिया गठबंधन में हलचल पैदा कर दिया है.
मायावती, बसपा सुप्रीमो, पूर्व मुख्यमंत्री, यूपी
मायावती, बसपा सुप्रीमो, पूर्व मुख्यमंत्री, यूपी फोटो साभार- सोशल मीडिया

उत्तर प्रदेश: देश में धर्म की राजनीति किसी से छिपी नहीं है. राजनीतिक महकमें दो भागों में बंट गए हैं, एक पार्टी खुद को धर्म रक्षक और हिन्दुओं का रहनुमा की तरह पेश करती है तो दूसरी सबसे पुरानी पार्टी अब दलित, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने का वादा करती दिखाई दे रही है. वहीं क्षेत्रीय दल भी अब अल्पसंख्यकों को साधने में जुट चुके हैं. इसका ताजा उदाहरण लोकसभा चुनाव के लिए बसपा के उम्मीदवारों की पहली सूची है.

लोकसभा चुनाव के अब चंद दिन ही बचे हैं. यूपी के संदर्भ में दलितों की सबसे हिमायती कही जाने वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की है. कुल 16 लोकसभा सीटों पर बसपा ने 7 सीटों पर सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने की पुष्टि रविवार को की है. हालांकि, पार्टी 16 में अधिकांश सीटों पर दलित, व पिछड़ों को भी उम्मीदवार बना सकती थी लेकिन माना जा रहा है कि ऐसा न करके अधिकांश सीट पर मुस्लिमों को उतरना समुदाय को साधने की कोशिश हो सकती है.

देश में भगवा पार्टी और उनके कई नेताओं को यह भी कहते सुना गया है कि उन्हें मुस्लिमों का वोट नहीं चाहिए. 2014 के बाद से लगभग प्रत्येक चुनावों में चाहे टिकट बंटवारे की बात हो या पार्टी संगठन में कोई अहम पद देने की बात हो, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमेशा सवाल खड़े हुए हैं. यहां मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व बहुत कम दिखा है. शायद यही कारण भी है कि खुद को हिन्दुओं का तारणहार की तरह पेश करने वाली पार्टी को चुनावों में मुस्लिम मत कम मिलते रहे हैं. मुस्लिमों के मत अधिकांश उस पार्टी को गए जहां भाजपा के उम्मीदवार को किसी अन्य पार्टी का उम्मीदवार कड़ी टक्कर देता दिख रहा हो.

वर्तमान में, इंडिया गठबंधन के तहत यूपी में सबसे मजबूत क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी (सपा) मानी जा रही है. क्योंकि लोकसभा चुनावों लेकर पंचायती और नगर निकाय चुनावों तक सपा ने धरातल पर मजबूती से सत्तारूढ़ दल का सामना किया है.

पिछले चुनावों की बात करें तो सपा पर मुस्लिमों ने लगभग हर चुनावों में भरोसा जताया है. अब जब बसपा भी अपनी पहली सूची में 7 मुस्लिम चेहरों को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया है तब यह अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि बसपा की यह रणनीति कहीं न कहीं सपा-कांग्रेस के इंडिया गठबंधन को प्रभावित करेंगी. हालांकि, यह चुनाव नतीजे ही तय करेंगे कि बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों का साथ उनका समुदाय देता है या नहीं.

राजनीतिक विश्लेषकों का भी यह मानना है कि मायावती इस सूची के जरिए सीधा नुकसान पीडीए के घटक दलों को पहुंचाएंगी और उनका नुकसान बीजेपी के लिए फायदा साबित हो सकता है, जो कि बीजेपी की यूपी में सीटें बढ़ाने में भी अहम हो सकता है।

बसपा ने यूपी में लोकसभा चुनाव में कुल 16 में से जिन सात मुस्लिम चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाया है वह हैं- सहारनपुर से माजिद अली, मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी, रामपुर से जीशान खां, संभल से शौलत अली, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन, आंवला से आबिद अली और पीलीभीत से अनीस अहमद खां उर्फ़ फूलबाबू.

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