अलीगढ़ में सपा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला, दो पुलिसकर्मी निलंबित

अलीगढ़ में गभाना टोल प्लाजा के पास सपा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर सुनियोजित हमला, करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर आरोप, पुलिस ने दो अधिकारियों को किया निलंबित।
Attack on the convoy of SP MP Ramji Lal Suman
सपा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला
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लखनऊ/अलीगढ़: रविवार को अलीगढ़ पुलिस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हुए हमले के मामले में एक उपनिरीक्षक और एक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया है। साथ ही गभाना थाना प्रभारी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं।

यह हमला अलीगढ़ के गभाना टोल प्लाजा के पास उस समय हुआ, जब करणी सेना और क्षत्रिय महासभा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सुमन के काफिले पर पत्थर और टायर फेंके। हालांकि काफिले के कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हुए, लेकिन किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। पूरी घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई।

पुलिस के अनुसार, गभाना थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और आवश्यक कार्रवाई जारी है। शहर पुलिस अधीक्षक मृगांक शेखर पाठक ने जानकारी दी, "सांसद और उनके काफिले को सुरक्षित अलीगढ़ से बाहर निकाल दिया गया।"

हमले के बाद, सांसद का काफिला तेजी से टोल प्लाजा से निकलने की कोशिश में एक pile-up (वाहनों की टक्कर) का शिकार हो गया। हालांकि, सुमन और उनके समर्थक सुरक्षित रहे।

यह हमला हाल ही में राज्यसभा में सुमन के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक शख्सियत राणा सांगा को "देशद्रोही" बताया था, जिन्होंने बाबर को बुलाकर इब्राहिम लोदी को हरवाया था। इसी बयान के विरोध में करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने पिछले महीने सुमन के आगरा स्थित आवास पर भी तोड़फोड़ की थी।

हमले के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए सवाल उठाया कि यह हमला खुफिया तंत्र की विफलता का परिणाम था या फिर जानबूझकर हुई चूक। अखिलेश यादव ने बयान जारी कर कहा, "रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। सड़क किनारे पत्थर और टायर पहले से रखे गए थे। यह स्पष्ट रूप से एक आपराधिक कृत्य था। क्या यह खुफिया विफलता थी या प्रशासन की मिलीभगत? प्रशासन को याद रखना चाहिए कि अराजकता किसी को नहीं बख्शती।"

सपा के वरिष्ठ नेता सुधीर पंवार ने भी हमले की निंदा करते हुए इसे "सड़क पर न्याय" का उदाहरण बताया और कहा कि यह एक दलित सांसद को स्वतंत्र आवाज उठाने और आवाजाही से रोकने का प्रयास है।

घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए, सांसद सुमन ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन ने उन्हें जानबूझकर टोल प्लाजा पर रोका जबकि खतरे की जानकारी थी। उन्होंने बुलंदशहर में दलितों पर अत्याचार, दलित लड़कियों के साथ दुष्कर्म और विवाह में बाधा पहुंचाने की घटनाओं का भी जिक्र किया। साथ ही डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं के तोड़े जाने के मामलों पर भी चिंता जताई।

हमले के बाद अलीगढ़ पुलिस ने सुमन को सुरक्षित आगरा पहुंचाया और उन्हें हाथरस बॉर्डर पर छोड़ा। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए सुमन ने उच्च न्यायालय और राज्यसभा के उपसभापति को खत लिखकर जान से खतरे की आशंका जताई है। इसके बाद उनके आवास पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

यह घटना क्षेत्र में राजनीतिक तनाव को बढ़ा रही है और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनज़र।

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