ताजा खबरों से लेकर ताजा इन्दौरी पोहे तक का सफर: पढ़ें ददन विश्वकर्मा के मीडियाकर्मी से 'स्ट्रीट फूड वेंडर' बनने की पूरी कहानी

रोजगार की कमी कुछ इस कदर बढ़ गयी है की अच्छी-खासी प्रोफेशनल डिग्री होने के बाद भी इंसान को नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
ताजा खबरों से लेकर ताजा इन्दौरी पोहे तक का सफर: पढ़ें ददन विश्वकर्मा के मीडियाकर्मी से 'स्ट्रीट फूड वेंडर' बनने की पूरी कहानी

नई दिल्ली। हाल ही में, दिल्ली के एक पत्रकार ने पोहे का स्टार्टअप शुरू किया है, इस स्टार्टअप का नाम 'पत्रकार पोहा वाला' है. ददन विश्वकर्मा एक पूर्व पत्रकार और आईआईएमसी दिल्ली के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने जी न्यूज, आजतक, एनबीटी, दैनिक भास्कर व पत्रिका सहित कई प्रमुख समाचार संगठनों के साथ काम किया है. अभी दो दिन पहले, दादन ने ट्विटर पर 'पत्रकार पोहावाला' नाम से अपने स्टार्टअप की घोषणा करते हुए ट्विट किया, "अब इसे स्टार्ट अप कहिए, रोजगार का साधन कहिए या जो भी. जगह- फिल्मसिटी, आजतक के सामने."

जी न्यूज से छूटी नौकरी, तो लगाया पोहे का ठेला

तीन महीने पहले ददन विश्वकर्मा जी न्यूज में असिस्टेंट न्यूज एडिटर के तौर पर काम करते थे. कंपनी में चल रही छंटनी के कारण उन्होंने अपना रोजगार खो दिया.

"मीडिया जगत में पिछले 13 वर्षों तक काम करने के बाद, मैंने खुद को नौकरी के लिए मजबूर पाया. आज मैंने उन्ही मीडिया संस्थानों के पास पोहा स्टॉल लगाया है, जिनके साथ मैंने काम किया था। मैंने नौकरी खोजने की कोशिश की, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा, फिर सोचा की क्यों ना लोगों को इंदौर का असली पोहा खिला कर रोजगार कमाया जाए," विश्वकर्मा ने द मूकनायक को बताया.

दिसंबर 2022 में न्यूजलॉन्ड्री द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है, भारत में जी न्यूज के दो चैनलों (जी हिंदुस्तान और जी ओडिया) के बंद होने के साथ-साथ, समूह के अन्य चैनल भी प्रभावित हुए. इस छंटनी में डिजिटल और टीवी दोनों के कर्मचारी शामिल हैं. मुख्य जी न्यूज चैनल के अलावा, समूह के क्षेत्रीय टीवी चौनलों जैसे जी मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़, जी बिहार-झारखंड, जी राजस्थान, जी दिल्ली-एनसीआर हरियाणा और अन्य चैनलों से पत्रकारों को निकाल दिया गया। जी के सब-चैनल बंद होने से लगभग 300 कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. इस तरह पूरे ग्रुप से करीब 650 लोगों को निकाला जा चुका है।

बाबा साहेब और ज्योतिबा फुले से मिली प्रेरणा

ददन विश्वकर्मा के स्टार्टअप पोस्टर में डॉ. बीआर अम्बेडकर और ज्योतिबा फुले की तस्वीर है, इस बारे में पूछे जाने पर विश्वकर्मा ने द मूकनायक को बताया, "ये दो प्रतिष्ठित व्यक्तित्व पूरे देश के लिए आदर्श हैं, उन्हीं की वजह से मुझे यह हिम्मत मिली कि मैं यह स्टाल लगा पाया।"

ददन को उनके नए वेंचर के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं मिल रही हैं. कई पत्रकार ट्विटर पर गए और पत्रकार पोहावाला के बारे में काफी बातें साझा की. कुछ लोग उनसे उनके स्टाल पर व्यक्तिगत रूप से मिलने भी गए, जबकि कई ने ट्विटर के माध्यम से सहानुभूति दिखाई.

द मूकनायक से बातचीत के दौरान जब ददन से पूछा कि क्या उन्हें उनके स्टॉल पर आए जाने-माने संपादकों से कोई जॉब ऑफर मिला, तो उन्होंने जवाब दिया, "कल जब स्टाल ट्विटर पर वायरल हुआ, तो एक प्रतिष्ठित मीडिया हाउस के एक नामित संपादक ने संपर्क किया और मुझसे पूछा कि मैं नौकरी के लिए उनके पास क्यों नहीं पहुंचा। लेकिन बात यह है कि मुझे विश्वास नहीं होता कि मीडिया इंडस्ट्री में कोई संपादक है जो मेरी गंभीर स्थिति से अवगत नहीं है और जो मुझे नहीं जानता।"

पत्रकारिता में तभी आना चाहिए जब पत्रकारिता का जुनून हो

ददन ने द मूननायक से बात करते हुए बताया कि पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले लोगों को सलाह दी कि वे इस पेशे को तभी अपनाएं जब उनमें इसके प्रति जुनून हो. वह आगे कहते हैं कि उन्होंने पत्रकारिता नहीं छोड़ी है और अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पत्रकारिता को लेकर सक्रिय हैं. ददन कहते हैं, "मैं अपने सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रकार बना रहूंगा, वर्तमान मुद्दों के बारे में मुखर रहूंगा और जल्द ही अपने चैनल के साथ पत्रकारिता में वापसी करूंगा।"

इंडिया टुडे मीडियाप्लेक्स के ठीक सामने पत्रकार पोहावाला जलेबी के साथ विशेष किस्म के पोहा परोसते हैं. उनके स्पेशल में एडिटर स्पेशल पोहा, रिपोर्टर स्पेशल पोहा और यूट्यूबर स्टार पोहा शामिल हैं. इस बीच ददन कहते हैं कि वो पोहा का ठेला लगाने वाले पत्रकार नहीं, बल्कि एक आम इंसान हैं, जो हालातों से मजबूर होकर रोजी-रोटी के लिए ये स्टार्टअप कर रहे हैं.

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