हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बैकफुट पर आने को तैयार नहीं सरकार, ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित

यूपी निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण में हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार बैकफुट पर आने को तैयार नहीं है। सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के बाद ही ओबीसी आरक्षण की चुनाव करने की बात कही थी। अब सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग का गठन कर दिया है। आयोग में अध्यक्ष के साथ चार सदस्यों को नामित किया गया है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बैकफुट पर आने को तैयार नहीं सरकार, ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित

यूपी निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण में हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार बैकफुट पर आने को तैयार नहीं है। सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के बाद ही ओबीसी आरक्षण की चुनाव करने की बात कही थी। अब सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग का गठन कर दिया है। आयोग में अध्यक्ष के साथ चार सदस्यों को नामित किया गया है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया गया है। आयोग में दो पूर्व आईएएस और दो न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को सदस्य बनाया गया है। सीएम योगी ने मंगलवार को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही आयोग का गठन करने और ओबीसी को आरक्षण देने के बाद ही चुनाव कराने की घोषणा की थी।

योगी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग गठन को कैबिनेट को मंजूरी दी थी। इसके बाद नगर विकास विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। आयोग में सेवानिवृत्त न्यायाधीश राम अवतार सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है। सेवानिवृत्त आईएएस चोब सिंह वर्मा, पूर्व आईएएस महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर विधि परामर्शी व अपर जिला जज ब्रजेश कुमार सोनी को सदस्य नामित किया गया है।

जानिए क्या है पूरा मामला 

यूपी की इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 27 दिसम्बर को राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए निकाय चुनावों के लिए जारी 5 दिसम्बर 2022 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है। इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के जरिए सरकार ने एससी/एसटी व ओबीसी के लिए आरक्षण प्रस्तावित किया था। न्यायालय ने अपने लगभग 70 पेज के निर्णय में यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित ट्रिपल टेस्ट के बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं लागू किया जाएगा।

एससी/एसटी सीट छोड़कर बाकी सब सामान्य अधिसूचित

कोर्ट ने एससी/एसटी वर्ग को छोड़कर बाकी सभी सीटों को सामान्य सीटों के तौर पर अधिसूचित करने का भी आदेश दिया है। हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि महिला आरक्षण संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार दिए जाएं।

हाईकोर्ट के फैसले पर मंगलवार देर शाम योगी सरकार ने अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। इसके बाद फैसला हुआ कि हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सरकार अपील करेगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा था कि आयोग बनाकर ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा फिर निकाय चुनाव कराया जाएगा। हाईकोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण ही तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी। इसके उपरांत ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। यदि जरूरी हुआ तो राज्य सरकार हाईकोर्ट फैसले के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सुप्रीम कोर्ट में अपील भी करेगी।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद निकाय चुनाव में सीटों और वार्डों के आरक्षण के बारे में विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली। राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के सभी पहलुओं का अध्ययन करा रही है, जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का पूरा लाभ दिया जा सके।

न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने वैभव पांडेय समेत कुल 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। इनमें 15 जनहित याचिकाएं थीं। न्यायालय ने 12 दिसम्बर 2022 के उस शासनादेश को भी निरस्त कर दिया है, जिसमें निकायों का कार्यकाल समाप्त होने पर इनके बैंक अकाउंट प्रशासकीय अधिकारियों के नियंत्रण में दे दिए गए थे।

ट्रिपल टेस्ट के बिना आरक्षण नहीं

न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि कृष्ण मूर्ति व विकास किशनराव गवली मामलों में दिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूले को अपनाए बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 243यू के तहत निकायों के कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व चुनाव करा लेने चाहिए जबकि ट्रिपल टेस्ट कराने में काफी वक्त लग सकता है, लिहाजा निकायों के लोकतान्त्रिक स्वरूप को मजबूत रखने के लिए व संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि निकाय चुनाव जल्द करा लिए जाएं।

क्या है ट्रिपल टेस्ट

शीर्ष अदालत के निर्णयों के तहत ट्रिपल टेस्ट में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया जाता है जो स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति व प्रभाव की जांच करता है, तत्पश्चात ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को प्रस्तावित किया जाता है तथा उक्त आयोग को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि एससी एसटी व ओबीसी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने पाए।

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