मध्य प्रदेश: पहली भर्ती ही पूरी नहीं, अब शिक्षक भर्ती 2023 की नियुक्तियां भी अटकी!

स्कूल शिक्षा विभाग के जनजातीय कार्य विभाग के पात्रता शिक्षक भर्ती 2018 के करीब 7 हजार चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति के इंतजार में है...।
भोपाल स्थित शिक्षण संचालनालय कार्यालय परिसर.
भोपाल स्थित शिक्षण संचालनालय कार्यालय परिसर. The Mooknayak

भोपाल। शिक्षक भर्ती 2018 के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति पूरी तक नहीं हो पाई और अब शिक्षक भर्ती चयन परीक्षा 2023 वर्ग-1 के 4 हजार से अधिक अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र भी अटक गए है। स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में उच्च माध्यमिक शिक्षक के नियुक्ति के लिए पात्र 4921 अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट बीते 20 फरवरी को जारी हो चुकी है, जिसके बाद से यह चयनित अभ्यार्थी नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि यह चयन परीक्षा 8 हजार से अधिक पदों के लिए आयोजित की गई थी।

भर्ती में 50 प्रतिशत पद बैकलॉग के शामिल

उच्च माध्यमिक चयन परीक्षा 2023 में 16 विषयों के लिए हुई परीक्षा के माध्यम से 8,720 पदों की पूर्ति होना थी, जिसमें से 3,700 पद बैकलॉग के थे, मगर पिछड़ा वर्ग के 13% पद होल्ड होने और कुछ पदों पर पात्रता पूरी न करने के कारण कर्मचारी चयन मंडल द्वारा मात्र 4921 अभ्यर्थी की मेरिट लिस्ट जारी की गई है। जिसके बाद से यह आवेदक अपनी नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे हैं।

रिजल्ट जारी होने के एक महीने बाद भी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिलने का इंतजार है। दूसरी तरफ 1 अप्रैल से स्कूलों में नवीन शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा हैं। एक अभ्यर्थी ने बताया कि स्कूलों में रिक्त पदों से पढ़ाई प्रभावित न हो, सरकारी स्कूलों में अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति हो इसलिए इस बार पात्रता एवं चयन दो-दो परीक्षा लेकर किया गया हैं, इस चयन प्रक्रिया में ही चयनित शिक्षकों के 15 महीने बीत गए।

स्कूल शिक्षा विभाग के जनजातीय कार्य विभाग के पात्रता शिक्षक भर्ती 2018 के करीब 7 हजार चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति के इंतजार में है। काउंसलिंग के बाद इन्हें नियुक्ति दी जानी थी. लेकिन यह प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई। 

कैसे अटक गई नियुक्तियां ? 

शिक्षित युवाओं ने 10 वर्षों तक शिक्षक भर्ती आने का इंतजार किया। लंबे इंतजार के बाद 2018 में 17 हजार पदों पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा और 2200 पदों पर जनजातीय कार्य विभाग द्वारा विज्ञप्ति जारी की गई। कर्मचारी चयन मंडल ने फरवरी 2019 में परीक्षा आयोजित कराई। इसी बीच मध्य प्रदेश में शिवराज के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बदल गई और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सत्ता में आई। इस दौरान कांग्रेस सरकार ने कई नियमों में परिवर्तन किए। 

11 महीने के बाद मध्य प्रदेश में पुनः सत्ता परिवर्तन हुआ और फिर शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बनकर सत्ता में वापस आ गए। कोरोना महामारी के कारण शिक्षक भर्ती 2018 का रिजल्ट 2 साल के लिए टल गया। लॉकडाउन के बाद जब सब कुछ पटरी पर आने लगा तब चयनित अभ्यर्थियों ने सैकड़ों आंदोलन किए। भोपाल के शाहजहानी पार्क, नीलम पार्क, डीपी‌आई, स्कूल शिक्षा मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्री के आवास के सामने प्रदर्शन किया। 

चयनित शिक्षकों का आरोप था कि स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य दोनों विभागों द्वारा अलग-अलग काउंसलिंग आयोजित की गई। जिसके चलते एक ही अभ्यर्थी का नाम दोनों विभाग में शामिल हो गया और हजारों रिक्त पद पोर्टल पर भरे दिखाई दिए परंतु वास्तव में यह सभी पद रिक्त थे। क्योंकि जिस अभ्यर्थी का नाम स्कूल शिक्षा विभाग में था उसी अभ्यर्थी का नाम जनजाति कार्य विभाग की मैरिट लिस्ट में भी शामिल था।

ऐसी स्थिति में अभ्यर्थी ने एक ही विभाग में नियुक्ति ली अन्य दूसरे विभाग में पद खाली रहा। "शिक्षक भर्ती नियम पुस्तिका के बिंदु 8.3 में  उल्लेखित है कि एक अभ्यर्थी का नाम एक ही नियोक्ता सूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके साथ ही नियम के मुताबिक कुल विज्ञापित 17 हजार पदों में से 15 हजार पदों की पूर्ति पहली काउंसलिंग में की जाएगी और शेष रहे दो हजार पदों की पूर्ति दूसरे चरण में की जानी थी। आजतक यह चरण आयोजित ही नहीं हो सका। 

29 सितंबर 2022 में एक नोटिफिकेशन जारी किया. जिसे नवीन विज्ञप्ति बताया गया और दोनों विभागों ने अपनी सुविधा के हिसाब से संयुक्त काउंसलिंग आयोजित की, स्कूल शिक्षा विभाग ने दो हजार पद न देते हुए नवीन विज्ञप्ति के नाम पर 2750 पदों पर पूर्ति का विज्ञापन जारी किया और योग्यता अर्जन तिथि बढ़ाकर 29 सितंबर 22 कर दी गई। जबकि नियुक्ति 2018 के अभ्यर्थियों को ही दी गई। 

ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जिन अभ्यर्थियों की योग्यता नहीं थी उन्होंने कैसे आवेदन किया और परीक्षा में बैठे और इसके बाद 2022 में भी नियुक्ति के लिए पात्र हो गए? चयनित अभ्यर्थियों का आरोप है कि जो पद विभाग ने जारी किए थे उन पर पूर्ण तरीके से भर्ती नहीं की है कई विसंगतियां जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा की गई है. जिसके कारण वह मेरिट होल्डर होकर भी नियुक्ति लेने से वंचित रह गए है। 

2018 की चयनित अभ्यर्थी रक्षा जैन ने द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए बताया कि चयनित अभ्यर्थी दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर है। कोई भी मंत्री नेता ऐसा नहीं है, जिसके पास वह अपनी बात रखने ना पहुंचे हो, लेकिन उनकी मांग पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। 

जैन ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि शिक्षा मंत्री से भर्ती की विसंगतियों को दूर करने के लिए कई बार सम्बंधित दस्तावेज सहित ज्ञापन सौंपा, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव और लोक शिक्षण संचनालय में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों ने गुमराह किया।  

जैन ने आगे कहा- "सरकार ने समय-समय पर नियमों में संशोधन किया जब अधिकारियों को अवगत कराया तो अधिकारियों द्वारा कोर्ट जाने की सलाह दी गई। प्रशासन की लापरवाही के कारण हम सभी आर्थिक, मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं।" इस संबंध में द मूकनायक प्रतिनिधि ने लोक शिक्षण संचालनालय की सहायक संचालक कामना आचार्य को फोन किया पर उनसे बात नही हो सकी। 

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