मध्य प्रदेश: पेसा कानून को-ऑर्डिनेटर की भर्ती में फर्जीवाड़ा, RSS और BJP के लोगों को नियुक्तियां देने का आरोप!

मध्य प्रदेश: पेसा कानून को-ऑर्डिनेटर की भर्ती में फर्जीवाड़ा, RSS और BJP के लोगों को नियुक्तियां देने का आरोप!

भोपाल। मध्य प्रदेश में पेसा एक्ट क्रियान्वयन के लिए जिला और ब्लॉक समन्वयकों की नियुक्ति का विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस और जयस आदिवासी संगठन ने नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। शनिवार को झबुआ पेटलावद में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के लोगों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन देकर नियुक्तियां निरस्त करने की मांग की है। अब इस मामले में प्रदेशभर में विरोध शुरू हो गया है। 

क्या है पूरा मामला?

मध्य प्रदेश सरकार ने 2021 में पेसा एक्ट (pesa act) लागू किया है। कानून बनने के बाद गांवों में क्रियान्वयन के लिए पेसा कोऑर्डिनेटर की नियुक्तियां की गई है। सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन सेडमेप के माध्यम से विज्ञप्ति जारी की गई, जिसके माध्यम से संविदा आधार पर नियुक्तियां होना थी। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन भी लिए गए। आवेदन और पात्रता के आधार पर एक मेरिट सूची भी बनाई गई। लेकिन सूची में शामिल अभ्यार्थी आगे की प्रक्रिया और इंटरव्यू के लिए इंतजार करते रहे, लेकिन बीच में को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति आउटसोर्सिंग से करने के लिए एक निजी एजेंसी से करार कर लिया गया। एमपी कौन लिमिटेड ने अपने स्तर से नियुक्तियां भी कर दी। अब आरोप यह है कि कॉर्डिनेटर के पदों पर आरएसएस और बीजेपी से संबंध रखने वालों को नियुक्ति दी गई है। 

इस मामले में द मूकनायक से बातचीत करते हुए व्यापमं घोटाले का पर्दाफाश करने वाले व्हिसिल ब्लोअर डॉ. आनंद राय ने बताया कि प्रदेशभर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारती जनता पार्टी के लोगों को यह नियुक्ति दी गई है। उन्होंने कहा कि सेडमैप पर आवेदन लिए गए थे लेकिन बाद में निजी कंपनी की द्वारा भर्ती कर दी गई है। डॉ. आनंद राय ने यह भी कहा कि एक साथ इतने आरएसएस और बीजेपी के लोगों की नियुक्ति होना आगामी विधानसभा चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सकता है। हम इस मामले में निर्वाचन आयोग को शिकायत करेंगे। 

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डॉक्टर राय ने सोशल मीडिया पर लिखा है, "मात्र 6 महीने की बात है जिन आरएसएस के अपात्र लोगों को पेसा को-ऑर्डिनेटर बनाया गया है उन्हें कान पकड़कर सिस्टम से बाहर कर देंगे, आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग को सबूतों के साथ इन रंगरूटों की शिकायत करेंगे, हम सरकार पलटने जा रहे हैं, जिन आदिवासी सीटों को बूथ मैनेजमेंट के जरिये साधने के लिए आरएसएस के कैडर को प्लांट किया है उन्हीं सीटों पर बेरोजगार युवा भाजपा को 47/0 से हराएंगे।"

इधर द मूकनायक से बातचीत करते हुए जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और विधायक हीरालाल अलावा ने कहा की बीजेपी ने आदिवासी और बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के 89 ट्राइबल ब्लाकों में हुए पेसा समन्वयक भर्ती घोटाले को विधानसभा में भी उठाएंगे। उन्होंने कहा मैरिट के आधार पर नियुक्ति न देकर बीजेपी नेताओं ने अपने खास लोगों पर मेहरबानी की है। 

मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने इंदौर में आयोजित प्रेस मीट में बीजेपी पर आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी विचारधारा के लोगों को रेवड़ी बांटने के लिए नियुक्तियों में गड़बड़ी की। 

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40 हजार रुपए है मानदेय

एजेंसी ने सभी जिलों के लिए जिला समन्वयक और ब्लॉक समन्वयक की नियुक्ति की है। इसके साथ जी उन्हें ट्रेनिंग देकर काम पर भी भेज दिया है। जिला समन्वयक का मानदेय 40 हजार रुपए और ब्लॉक समन्वयक का 25 हजार रुपए प्रतिमाह है।

क्या है पेसा कानून?

आदिवासियों के विकास और उनके अधिकारों के लिए  पेसा कानून बनाया गया है। आदिवासियों के लिए बने कानून माने जाने वाले पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई है। केंद्र ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र के लिए विस्तार) (पेसा) अधिनियम 1996 कानून लागू किया। मध्य प्रदेश के बड़े आदिवासी नेता और झाबुआ के सांसद रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में समिति बनी थी। उसकी अनुशंसा पर ही यह मॉडल कानून बना था। यह बात अलग है कि 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था लेकिन देश में सबसे अधिक आदिवासियों के घर यानी मध्यप्रदेश में कानून लागू नहीं हो सका था।

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