कोलकाता फ़िल्म इंस्टीट्यूट नहीं दे रहा जयपुर की दलित ट्रांस स्टूडेंट को हॉस्टल में प्रवेश

छात्रा ने पश्चिम बंगाल ट्रांसजेंडर पेर्सन्स डेवलपमेंट बोर्ड को भेजे पत्र में की लैंगिक भेदभाव की शिकायत
सांकेतिक फोटो
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित विख्यात सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (SRFTI) की एक प्रतिभाशाली दलित ट्रांस छात्रा जेना सागर को महिला छात्रावास में आवास सुविधा का इतंजार है। जेना ने मई 15 को संस्थान को हॉस्टल के लिए आवेदन किया था लेकिन लगभग एक महीने बाद भी उसे संस्थान की ओर से कोई जवाब नही प्राप्त हुआ है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जयपुर की निवासी जेना एसआरएफटीआई में प्रोडक्शन विभाग की छात्रा है । जेना ने होस्टल के लिए अपने आवेदन के साथ अपने मनोचिकित्सक का पत्र भी संलग्न किया है जिसमें उसकी लिंग पहचान डिस्फोरिया (जीआईडी) की पुष्टि की गई थी, साथ ही उसके एंडोक्रिनोलॉजिस्ट का पत्र भी है जिससे स्पष्ट होता है कि वह लिंग परिवर्तन संबधी सर्जरी से गुजर रही है। 

एसआरएफटीआई हाल ही में यौन उत्पीड़न के मामलों को गलत तरीके से निपटाने के संबंध में छात्रों के विरोध और बाद में आंतरिक शिकायत समिति के पीठासीन अधिकारी को हटाने के कारण सुर्खियों में रहा। ट्रांस छात्रा को हॉस्टल में एडमिशन देने  के मामले में संस्थान के निदेशक हिमांशु खटुआ ने टीओआई को कहा, "मैं यह पता लगाऊंगा कि आवेदन आधिकारिक तौर पर किसी जिम्मेदार स्टाफ सदस्य को जमा किया गया था या नहीं। छात्रा ने मुझे शुक्रवार को मौखिक रूप से इस बारे में जानकारी दी थी। ओरिजिनल एडमिशन फॉर्म में छात्रा की जेंडर री-असाइनमेंट सर्जरी की जानकारी का निर्धारण करने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।"

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इधर, जेना का कहना है कि उसके दस्तावेजों में उसकी पहचान एक ट्रांसवुमेन के रूप में स्थापित होती है। साथ ही वह जेंडर आइडेंटिटी प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया भी कर रही है जिसे यद्यपि शीघ्रता से पूर्ण करने के कानूनी प्रावधान के बावजूद आमतौर पर तीन से चार माह का समय लग जाता है।

फ़िल्म इंस्टीट्यूट से महीनेभर बाद भी कोई रिस्पांस नही मिलने से व्यथित होकर जेना ने पश्चिम बंगाल ट्रांसजेंडर पेर्सन्स डेवलपमेंट बोर्ड को पत्र लिखा है जिसमे उसने संस्था द्वारा उसके साथ एक ट्रांस वूमेन होने की वजह से लिंग आधारित भेदभाव की शिकायत की है। जेना की परेशानी केवल लैंगिक भेदभाव ही नहीं बल्कि आर्थिक संकट भी है। लिंग परिवर्तन शल्य क्रिया की वजह से जेना मेडिकल व्यय के साथ अपने वर्तमान में एकोमोडेशन का खर्चा 30 जून के बाद उठाने में असमर्थ है जिसकी वजह से वह शीघ्र इंस्टिट्यूट के हॉस्टल में प्रवेश की आस लगाए हुए है। इस मामले में द मूकनायक ने संस्थान निदेशक से संपर्क करने का प्रयास किया किंतु कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई।

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