यूपी पुलिस की पांच महिला सिपाही बनना चाहती हैं पुरुष!

यूपी पुलिस मध्यप्रदेश पुलिस से पत्राचार कर रही है। पूर्व में एमपी पुलिस ने कोर्ट के आदेश और मनोचिकित्सक की सलाह पर एक महिला सिपाही को लिंग परिवर्तन कराने की अनुमति दी थी।
सांकेतिक चित्र
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लखनऊ- उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात पांच महिला सिपाही लिंग परिवर्तन कराकर पुरुष बनना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने पुलिस मुख्यालय में प्रार्थना पत्र भी दिया है। वहीं अधिकारियों ने पूरे मामले को लेकर शासन को पत्र लिखा है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश पुलिस से भी सम्पर्क किया है। मध्यप्रदेश पुलिस ने कोर्ट के आदेश और मनोचिकित्सक की सलाह पर एक महिला सिपाही को लिंग परिवर्तन कराने की अनुमति दी थी। वहीं यूपी की दो महिला सिपाहियों ने भी हाईकोर्ट में यह अर्जी दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने पुलिस मुख्यालय को नियमावली बनाकर मामले के निस्तारण के निर्देश दिए थे। जिसके बाद यूपी पुलिस इस मामले में मध्यप्रदेश पुलिस से पत्राचार कर रही है।

जानिए क्या पूरा मामला ?

यूपी पुलिस में तैनात पांच महिला पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर महिला से पुरुष बनने के लिए लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी है। जानकारी के मुताबिक इनमें से एक महिला सिपाही की यूपी पुलिस में 2019 में भर्ती हुई थी। जिसके बाद पहली तैनाती गोरखपुर एलआईयू (Local Intelligence Unit) में मिली थी। एलआईयू दफ्तर में ही वह काम करती है। महिला सिपाही ने जेंडर चेंज करने के लिए फरवरी 2023 से दौड़-भाग शुरू की। इसके बाद से वह गोरखपुर में एसएसपी, एडीजी फिर मुख्यालय तक जा चुकी हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक महिला सिपाही ने बताया कि उसे जेंडर डिस्फोरिया है, जिसका सर्टिफिकेट भी आवेदन में लगाया है। फिलहाल अभी इस मामले में गोरखपुर पुलिस ऑफिस और लखनऊ मुख्यालय स्तर से कोई डिसीजन नहीं लिया गया है। ऐसे में महिला सिपाही जेंडर चेंज कराने के लिए परमिशन मिलने का इंतजार कर रही है। महिला सिपाही ने बताया, पढ़ाई के दौरान ही उनका हार्मोन चेंज होने लगा, लेकिन अब उसे पहचान देने के लिए दौड़-भाग कर रही हैं। सबसे पहले उन्होंने दिल्ली में एक डॉक्टर से अपनी काउंसिलिंग कराई। डॉक्टर ने पाया कि महिला सिपाही को जेंडर डिस्फोरिया है।

डॉक्टर की रिपोर्ट को आधार बनाकर उन्होंने जेंडर चेंज करने की परमिशन मांगी है। महिला सिपाही ने बताया, वह जब स्कूल जाती थीं, तब उसे स्कर्ट पहनना या फिर लड़कियों की तरह अन्य कोई भी काम करना अटपटा लगता था। स्कूल में उसकी चाल ढाल की वजह से उसे कई लोग लड़का कहकर भी बुलाते थे। अक्सर स्कूल में खेलकूद होता था। तब क्लास में पढ़ने वाली लड़कियां खो-खो या फिर अन्य लड़कियों के गेम खेलने के लिए कहती थीं। तब वह अकेली लड़की होती थी जो क्रिकेट खेलने की जिद करती थीं। वह क्रिकेट में अच्छी बैटिंग भी करती हैं।

हाईकोर्ट के डिसीजन से जागी उम्मीद

महिला सिपाही ने बताया उनकी तरह ही गोण्डा में तैनात महिला कांस्टेबल नेहा ने भी लिंग परिवर्तन कराने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। नेहा की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लिंग परिवर्तन करना संवैधानिक अधिकार है। अगर आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित करते हैं या स्वीकार नहीं करते हैं तो हम सिर्फ लिंग पहचान विकार सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे। हाईकोर्ट ने यूपी डीजीपी को महिला कांस्टेबल के आवेदन को निस्तारित करने का निर्देश दिया है। इस डिसीजन से एलआईयू में तैनात महिला सिपाही के अंदर भी एक उम्मीद की किरण जागी है।

सूत्रों की मानें तो गोरखपुर की महिला सिपाही की तरह ही अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में चार मामले जेंडर चेंज कराने के आ चुके हैं। जिसमे दो मामले गोरखपुर जोन के हैं। जिस पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

इस मामले में एसपी सिटी गोरखपुर कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया-'महिला सिपाही ने जेंडर चेंज करवाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। इस पर कोई डिसीजन यहां से नहीं लिया जा सकता है। शासन स्तर पर प्रार्थना पत्र भेजा गया है। वहां से ही इस पर कोई डिसीजन लिया जाएगा।'

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक ?

इस मामले में मनोचिकित्सक की माने तो उनका कहना है-'जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ितों की जेनेटिक काउंसलिंग होनी चाहिए। ऐसे लोग जिस जेंडर की चाह रखते हैं, उनका हार्मोन उसी तरफ कन्वर्ट हो जाता है। अपनी जो ओरिजनल जेंडर है उसके अनुरूप वो काम भी नहीं कर पाते हैं। अगर 7 से 12 साल की उम्र में जब हार्मोन प्रोडक्शन शुरू होता है। उसी समय अगर जेनेटिक काउंसलिंग हो जाए तो काफी मदद मिल सकती है। लेकिन टीनेज के बाद इसका उपाय संभव नहीं है। ऐसे में व्यक्ति जिस जेंडर के रूप में खुद को देख रहा है, तो उसी रूप में समाज में भी उनको रहने, काम करने की स्वीकृति मिलनी चाहिए।'

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