उत्तर प्रदेश: हक व अधिकार के लिए एकजुट हो मजदूर

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर दिहाड़ी मजदूर संगठन की ओर से संगोष्ठी आयोजित, महिला मजदूरों के लिए लेबर अड्डों पर मूलभूत सुविधाओं और उनकी सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा, लेबर अड्डों के चिन्हीकरण की उठी मांग.
उत्तर प्रदेश: हक व अधिकार के लिए एकजुट हो मजदूर

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में गत 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर दिहाड़ी मजदूर संगठन व विज्ञान फाउंडेशन की ओर से श्रमिक संगोष्ठी आयोजित की गई। इसके साथ ही दिहाड़ी मजदूर संगठन द्वारा प्रदेश के अलग-अलग जिलों में मई दिवस धूमधाम से मनाया गया। इन कार्यक्रमों में मजदूरों के संघर्ष व चुनौतियों पर चर्चा हुई।

लखनऊ में देवा रोड नहर पुलिया के पास कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रमिक उपस्थित हुए। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विज्ञान फाउंडेशन ने अहम भूमिका निभाई। दिहाड़ी मजदूर संगठन के प्रदेश महामंत्री संतोष यादव ने बताया, "हम लोगों को 8 घंटे काम और हफ्ते में एक अवकाश का अधिकार प्राप्त है। यह सब मजदूरों के आंदोलनों के परिणाम स्वरूप मिला है।"

संतोष ने आगे बताया कि पहले मजदूरों से 12 से 15 घंटे काम करवाया जाता था। हफ्ते में किसी तरह की कोई छुट्टी नहीं मिलती थी। इसको लेकर 1886 में अमेरिका में मजदूरों ने अपने अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया। तमाम लोगों ने अपना बलिदान दिया। आज हम सभी दिहाड़ी मजदूर संगठन के साथी जो उस आंदोलन में शहीद हुए हैं, उनको नमन करते हैं।

लेबर डे का इतिहास किया साझा

इससे पहले संतोष ने संगोष्ठी में श्रमिकों को लेबर-डे इतिहास के बारे में जानकारी दी। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा, "सबसे पहले साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया, जिसके बाद एक मई 1886 को पूरे अमेरिका में लाखों मजदूरों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की। इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेय मार्केट में बम ब्लास्ट हुआ। पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी, जिसमें सात मजदूरों की मौत हो गई।"

"इस हड़ताल के बाद साल 1889 में पेरिस में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय महासभा की दूसरी बैठक में फ्रेंच क्रांति को ध्यान में रखते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाए जाने की बात स्वीकार की गई। इस प्रस्ताव के पास होते ही अमेरिका में सिर्फ 8 घंटे काम करने की इजाजत दे दी गई। काम की अवधि और दिनों के अलावा मजदूर आंदोलनों में पारिश्रमिक को लेकर भी कई बार सवाल खड़े किए जा चुके हैं। इन आंदोलनों की बदौलत ही देश के राज्यों में न्यूनतम मजदूरी तय है। आज भी मजदूर संगठन ये सवाल खड़ा करते हैं कि बड़ी- बड़ी औद्योगिक इकाइयों, प्राइवेट संस्थानों में काम करने वाले मजदूरों को महंगाई के अनुसार पारिश्रमिक नहीं मिलता है," उन्होंने सवाल उठाया।

भारत में कब हुई शुरुआत ?

दिहाड़ी मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रामनाथ ने बताया कि भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में लेबर डे मनाने की शुरुआत की थी। उस समय इस दिन को मद्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता था। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इस दिन अस्सी देशों में छुट्टी रहती है।

रामनाथ ने आगे कहा, "हम सभी साथियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि 8 घंटे काम का और हफ्ते में अवकाश का अधिकार हमें मिला है। इसको हम अपने हाथ से ना जाने दें। इसके लिए वर्तमान में जो मजदूर संगठन कार्य कर रहे हैं। अब यह जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। इसलिए हम सबको संगठित होकर अपनी बात रखनी होगी।"

मजदूर संगठन के जिला अध्यक्ष रामजन्म भारती ने बताया, "दिहाड़ी मजदूर संगठन लगातार मजदूरों की विभिन्न मांगों को उठाता रहा है। संगठन की मांग है कि प्रदेश के सभी लेबर अड्डों का चिन्हकरण करके उनको स्थाई लेबर अड्डा घोषित किया जाए। लेबर अड्डों पर श्रमिकों के लिए मूलभूत सुविधाएं जैसे पानी, छाया, शौचालय की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करवाई जाएं। इसके साथ ही श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 600 रुपए प्रतिदिन व 18000 मासिक तय की जाए। कम से कम 6000 रुपये मासिक पेंशन के तौर पर दिए जाएं। प्रदेश में बड़ी संख्या महिला घरेलू कामगारों की है। उनके लिए कानून बनाकर अलग से बोर्ड बनाया जाए। उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इन मांगों के साथ दिहाड़ी मजदूर संगठन सरकार के साथ समन्वय बनाकर अपनी बात रखने का प्रयास लगातार कर रहा है।"

संगठन के संयुक्त मंत्री अर्जुन विश्वकर्मा ने कहा, "आज असंगठित क्षेत्र के श्रमिक साथियों को एकजुट होने की आवश्यकता है क्योंकि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठन ही सबसे बड़ी ताकत है."

संगोष्ठी में बड़ी संख्या में महिला श्रमिकों ने शिरकत की। इस दौरान अमित सिंह, दिलीप वर्मा, सुनील कुमार, वीरेन्द्र गुप्ता, गीता देवी, सविता देवी, रामवृक्ष यादव सहित बड़ी संख्या में श्रमिक उपस्थित रहे। संचालन गुरु प्रसाद व अमरसिंह यादव ने किया।

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