दिल्ली में सीवेज टैंक साफ करते हुए 2 मजदूरों की मौत: Bezwada Wilson बोले--आपराधिक प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक उदासीनता की वही पुरानी कहानी!

दो मजदूरों ने सीवेज टैंक साफ करते समय जहरीली गैसों में सांस लेने के कारण दम तोड़ दिया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच अस्पताल प्रशासन, निजी कंपनी और उसके पर्यवेक्षकों के खिलाफ भी की जाएगी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच अस्पताल प्रशासन, निजी कंपनी और उसके पर्यवेक्षकों के खिलाफ भी की जाएगी।सांकेतिक चित्र
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नई दिल्ली- एक बार फिर राजधानी दिल्ली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की सफाई करते हुए दो मजदूरों की मौत हो गई, और चौंकाने वाली बात यह है कि यह घटना एक निजी अस्पताल के परिसर में हुई। मृतक मजदूरों के परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर गुस्सा जताते हुए सवाल उठाया है कि आखिर कब तक गरीब मजदूरों को बिना सुरक्षा उपकरणों के जानलेवा हालात में काम करने के लिए मजबूर किया जाएगा?

यह घटना पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित श्री बालाजी एक्शन हॉस्पिटल में हुई, जहां दो मजदूरों ने सीवेज टैंक साफ करते समय जहरीली गैसों में सांस लेने के कारण दम तोड़ दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ केस दर्ज करने से ऐसी घटनाएं रुक पाएंगी?

जहरीली गैसों के संपर्क में आने से मौत

 मंगलवार 8 जुलाई की शाम दो दैनिक वेतन भोगी मजदूरों की सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैसों के संपर्क में आने से मौत हो गई। मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के 26 वर्षीय बृजेश और 38 वर्षीय विक्रम के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, दोनों एक निजी कंपनी के कर्मचारी थे, जिसे श्री बालाजी एक्शन हॉस्पिटल के एसटीपी की सालाना मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (एएमसी) मिला हुआ था।

वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मजदूरों को केवल डिस्पोजेबल मास्क दिए गए थे, जबकि कोई अन्य सुरक्षा या जीवनरक्षक उपकरण नहीं दिया गया। इस मामले में पश्चिम विहार पूर्व पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 106 (लापरवाही से मौत) और मैनुअल स्कैवेंजिंग के रोजगार पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 की धारा 9 के तहत केस दर्ज किया गया है।

डीसीपी (आउटर) सचिन शर्मा ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि अस्पताल की मेडिको-लीगल रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है। "डॉक्टर ने दोनों मजदूरों को मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि दोनों कार्बन फिल्टर की सफाई के दौरान बेहोश हो गए थे। यह काम एएमसी ठेकेदार द्वारा करवाया जा रहा था।" हालांकि एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया गया है, लेकिन एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच अस्पताल प्रशासन, निजी कंपनी और उसके पर्यवेक्षकों के खिलाफ भी की जाएगी।

मैनुअल स्कैवेंजिंग के प्रतिबन्ध के लिए प्रयासरत सामाजिक कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन ने इस घटना पर गहरा आक्रोश जताते हुए x पर लिखा:  राष्ट्रीय राजधानी में सीवेज टैंक सफाई के दौरान दो और मौतें, इस बार अस्पताल परिसर में! वही पुरानी कहानी - बिना किसी सुरक्षा उपकरण के जहरीली गैसों में काम करने के लिए मजबूर किया गया! यह आपराधिक प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक उदासीनता की वही दुखद दास्तान है!

मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट, 2013 के तहत बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर, सेप्टिक टैंक या एसटीपी की सफाई करना सख्त मना है। कानून के अनुसार ठेकेदारों और संस्थानों सहित नियोक्ताओं को ऐसी मौतों के लिए आपराधिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें जेल और जुर्माने का प्रावधान है। फिर भी लापरवाही और कानून के कमजोर पालन के कारण देशभर में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।

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