नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के ओखला लैंडफिल साइट पर गुरुवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें नगर निगम (MCD) में कार्यरत सफाई कर्मचारी शीशपाल गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा उस समय हुआ जब कूड़ा हटाने वाली क्रेन ने उन्हें कुचल दिया, जिससे उनके दोनों पैर बुरी तरह से कुचल गए और रीढ़ की हड्डी भी टूट गई। फिलहाल, उनकी हालत नाजुक बनी हुई है और वह जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
दिल्ली में सफाई कर्मचारियों के साथ इस तरह के हादसे आम हो गए हैं, लेकिन उनके लिए न तो कोई जीवन बीमा योजना है और न ही पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं। हैरानी की बात यह है कि सफाई कर्मचारियों को 20-25 साल काम करने के बावजूद भी परमानेंट नहीं किया जाता, जिससे उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
इस घटना के बाद सफाई कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताते हुए नगर निगम से जवाब मांगा है। दिल्ली के एक्टविस्ट एडवोकेट सचिन धींगया ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा, "हर दिन किसी न किसी सफाई कर्मचारी की जान चली जाती है या वह गंभीर रूप से घायल होता है, लेकिन प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ता। न बीमा दिया जाता है, न मेडिकल सुविधा, और न ही सुरक्षा के इंतजाम होते हैं।"
इस मामले में नगर निगम और सरकार को घेरते हुए उन्होंने आगे कहा, "सफाई कर्मियों को काम के दौरान कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते। अगर कर्मचारी बीमार हो जाता है या हादसे का शिकार हो जाता है, तो उसे और उसके परिवार को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है। सफाई कर्मचारियों को 20-25 साल काम करने के बावजूद भी परमानेंट नहीं किया जाता, यह लोग अस्थायी रूप से वर्षो से काम करते चले आरहे। बहुत से कर्मचारी अस्थाई पद से ही सेवानिवृत्त हो चुके है। शीशपाल के इलाज की जिम्मेदारी नगर निगम को लेनी चाहिए और उसे उचित मुआवजा एवं परिवार के एक सदस्य को शासकीय पक्की नौकरी मिलना चाहिए।"
दिल्ली के वार्ड नं. 187 के स्थाई सफाई कर्मचारी शीश पाल के साथ बीते 3 फरवरी को हुए दर्दनाक हादसे की निष्पक्ष जांच और उचित मुआवजे की मांग को लेकर अखिल भारतीय श्रमिक संघ (ABSS) ने निगम प्रशासन को पत्र लिखा है। पत्र में उल्लेख किया गया, की सफाई कर्मचारी शीशपाल को बिना किसी सुरक्षा उपायों के ओखला एसएलएफ में काम करने के लिए मजबूर किया गया, जहां हादसे में उनके दोनों पैर कुचल गए। संगठन ने आरोप लगाया कि सफाई निरीक्षक आशीष गर्ग ने जानबूझकर उन्हें असुरक्षित कार्यस्थल पर भेजा, जिससे यह हादसा हुआ। इस घटना के बाद सफाई कर्मचारियों और वाल्मीकि समाज में भारी आक्रोश है, और संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर शीश पाल को न्याय नहीं मिला तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
ABSS ने अपनी मांगों में शीशपाल को एक करोड़ रुपये का आर्थिक मुआवजा, उनके इलाज का पूरा खर्च और वेतन, परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी, दोषी अधिकारियों की बर्खास्तगी, और मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित करने की बात कही है। संगठन ने खासतौर पर सफाई निरीक्षक आशीष गर्ग, ओखला एसएलएफ के कनिष्ठ अभियंता संजय, अधीक्षक अभियंता और जेसीबी क्रेन के ड्राइवर को नौकरी से हटाने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद लाजपत नगर जोन के सहायक आयुक्त द्वारा ड्यूटी आदेश जारी करने को लापरवाही करार देते हुए उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की है।
संगठन ने कहा यदि मांगों को पूरा नहीं किया गया तो अखिल भारतीय श्रमिक संघ ने निगम प्रशासन और दिल्ली सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर धरना-प्रदर्शन और अनिश्चितकालीन हड़ताल करेगा। संगठन ने स्पष्ट किया है कि इस गंभीर घटना में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई न होने की स्थिति में वे निगम प्रशासन को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराएंगे और न्याय की लड़ाई को और तेज करेंगे।
शीशपाल इस समय दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस हादसे से सबक लेकर सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, या फिर यह भी एक और अनसुनी घटना बनकर रह जाएगी?
सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर कई कानून हैं, लेकिन वे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं. अनुबंधित सफाई कर्मचारियों को परमानेंट करने की मांग वर्षों से लंबित है।
The Contract Labour (Regulation and Abolition) Act, 1970 के तहत सफाई कर्मचारियों को परमानेंट किया जाना चाहिए।
The Employees’ Compensation Act, 1923 के अनुसार कार्यस्थल पर घायल होने वाले कर्मचारियों को मुआवजा मिलना चाहिए।
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