जूनागढ़- जूनागढ़ जिले की भेसान नगरपालिका में बारिश के दौरान एक सफाईकर्मी को कथित तौर पर बिना सुरक्षा उपकरण के गटर में उतारने का मामला सामने आया है। इस घटना से समुदाय में आक्रोश व्याप्त है। कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी ने x पर एक ट्वीट के माध्यम से घटना को उजागर करते हुए इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और तत्काल कार्रवाई की मांग की। मेवानी के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जूनागढ़ कलेक्टर ने लिखा कि घटना को गंभीरता से लिया गया है और इसपर जांच शुरु कर दी गयी है।
गौरतलब है कि इसी वर्ष अप्रेल माह में जूनागढ़ में एक सेप्टिक टैंक की सफाई करते दलित समुदाय के दो सफाई कर्मचारियों की दम घुटने से मौत हुई थी।
3 जुलाई जिग्नेश मेवानी ने X पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि भेसान नगरपालिका में कथित तौर पर दलित समुदाय के एक सफाईकर्मी को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के गटर में उतारा गया। मेवानी ने भाजपा नीत गुजरात सरकार की आलोचना की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सफाईकर्मियों को अपने काम में "आध्यात्मिक सुख" मिलता है। मेवानी ने इस घटना को "शर्मनाक" करार देते हुए तत्काल FIR दर्ज करने और जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग की। उनकी पोस्ट में लिखा था, "शायद जूनागढ़ जिला प्रशासन और प्रदेश की भाजपा सरकार चाहती है कि दलित समुदाय के लोग नाली में, गटर में उतरते रहे और "आध्यात्मिक आनंद" लेते रहे!"
इस पोस्ट पर जूनागढ़ कलेक्टर द्वारा जांच शुरू करने की बात लिखी गई। इसपर फिर मेवानी ने जिला प्रशासन को घेरते हुए लिखा: अगर आपने इस पर गंभीरता से ध्यान दिया होता तो अब तक आरोपी सलाखों के पीछे होते। एफआईआर कहां है? इसे सार्वजनिक करें और हमें यह भी बताएं कि आप इस गरीब सफाईकर्मी के पुनर्वास के लिए क्या करने जा रहे हैं? क्या आपने आरोपी को पकड़ा भी है? इसका जवाब है, नहीं। इससे पता चलता है कि कोई जल्दी नहीं है। अभी एफआईआर दर्ज करवाएं और आधुनिक उपकरण खरीदें ताकि किसी भी नागरिक को इस तरह गटर में न जाना पड़े। साथ ही, पूरे जिले में एक अभियान चलाकर पता लगाएं कि जिले में कितने ऐसे सफाईकर्मी हैं जिन्हें अभी भी हर दिन मानव मल उठाना पड़ता है।
द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक 22 मार्च से 26 अप्रैल, 2023 तक गुजरात के विभिन्न हिस्सों में सीवर की सफाई करते समय आठ लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे इस तथ्य के बावजूद मैनुअल स्कैवेंजरों की निरंतर मौतों पर चिंता बढ़ गई है कि इस प्रथा को पूरे देश में अवैध घोषित किया गया है।
गुजरात विधानसभा ने इस वर्ष मार्च में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री भीखूसिंह परमार द्वारा पेश किए गए एक वैधानिक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया था जिसमें मैनुअल स्कैवेंजरों के रोजगार और शुष्क शौचालयों के निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 को निरस्त करने का संकल्प लिया गया।
मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार का प्रतिषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम (पीईएमएसआर) 2013 के तहत इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, मैनुअल स्कैवेंजिंग भारत भर में एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।
द न्यू इन्डियन एक्सप्रेस की 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन दशकों में गुजरात में सफाई कर्मचारियों की मृत्यु दर देश में दूसरे नंबर पर रही है। एक राष्ट्रीय सरकारी सर्वेक्षण में पाया गया कि 2018 में देश में 13,460 लोग नाली और सेप्टिक टैंक की सफाई में कार्यरत थे, और 2019 में यह संख्या बढ़कर 58,098 हो गई।
अब तक 19 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 200 से अधिक बैंडिकूट रोबोट तैनात किए गए हैं और 3,000 से अधिक सफाई कर्मचारियों को कुशल रोबोट ऑपरेटरों के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे देश भर में शहरी स्वच्छता को आधुनिक बनाने में मदद मिली है।
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