भोपाल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सोहागपुर थाना क्षेत्र में गुरुवार दोपहर एक दर्दनाक हादसे में दो मजदूरों की जान चली गई। नगर पालिका की ओर से कराए जा रहे सीवर लाइन के कार्य के दौरान मिट्टी धंस गई, जिसमें दो मजदूर दब गए। दोनों मजदूर बैगा आदिवासी समाज से थे और काम के पहले ही दिन हादसे का शिकार हो गए। यह घटना न सिर्फ ठेका कंपनी की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता की भी पोल खोलती है।
यह घटना गुरुवार को दोपहर करीब 2 बजे शहडोल के कोनी इलाके के वार्ड नंबर 1 में हुई। यहां चल रहे सीवर लाइन कार्य के दौरान अचानक मिट्टी धंस गई, जिसमें मुकेश बैगा (40 वर्ष) और महिपाल बैगा (33 वर्ष) मिट्टी में दब गए। दोनों मजदूर शहडोल से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित कोटमा गांव के निवासी थे।
स्थानीय रहवासियों ने बताया कि घटना के समय हल्की बारिश हो रही थी। मजदूर मिट्टी में खुदाई कर रहे थे कि तभी जमीन अचानक धंस गई। मजदूर मदद के लिए चिल्लाए, आसपास के लोग दौड़े, लेकिन लगातार हो रही मिट्टी की धंसान के चलते कोई बचाव नहीं हो सका।
स्थानीय लोगों ने पहले अपने स्तर पर मजदूरों को बचाने की कोशिश की। उन्होंने मजदूरों के शरीर में रस्सी बांधकर बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन देखते ही देखते मिट्टी ने दोनों को पूरी तरह निगल लिया। घटना की सूचना मिलते ही ठेका कंपनी, स्थानीय पुलिस, और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची।
गली संकरी होने के कारण जेसीबी जैसे उपकरणों को लाने में कठिनाई हुई। मिट्टी की नमी और सीवर लाइन की गहराई के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। शाम 6 बजे महिपाल का शव निकाला जा सका वहीं रात 10:30 बजे मुकेश बैगा का शव बाहर निकाला गया। शवों को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज, कोनी लाया गया, जहां शुक्रवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद कोटमा गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इस सीवर लाइन प्रोजेक्ट का कार्य गुजरात की स्नेहल कंपनी कर रही है, जिसे पिछले चार सालों से शहडोल में कार्यरत बताया गया है। नगर पालिका ने 25 जून को ही कंपनी को पत्र जारी कर सड़क को रिस्टोर करने और बरसात में काम न करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कंपनी ने चेतावनी की अवहेलना करते हुए बारिश के दौरान बिना सुरक्षा उपायों के काम जारी रखा।
नगर पालिका ने सुरक्षा उपायों के अभाव और मजदूरों के लिए उचित संसाधनों की कमी को देखते हुए स्नेहल कंपनी को नोटिस भी दिया था। इस बात की जानकारी राज्य सरकार को भी भेजी गई थी, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
एमपीयूडीसी (MPUDC) और नगर पालिका के अधिकारियों ने न तो ठेका कंपनी को बारिश में काम रोकने को मजबूर किया, न ही साइट पर कोई सुरक्षात्मक निगरानी सुनिश्चित की। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या मजदूरों को सुरक्षा उपकरण, हेलमेट, रस्सी या सेफ्टी बेल्ट मुहैया कराए गए थे?
घटना के बाद से स्थानीय क्षेत्र में आक्रोश है। आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हादसे को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
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