नई दिल्ली – सफाई कर्मचारियों से लेकर स्कीम कर्मचारी, निर्माण मज़दूरों से लेकर घरेलू कामगार, खदान मज़दूरों से लेकर फेरीवालों तक, सभी क्षेत्रों के हज़ारों मज़दूर सोमवार को एक मंच पर इकट्ठा होंगे।
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) का 11वां राष्ट्रीय सम्मेलन 24 से 26 फरवरी तक दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन पिछले एक दशक के सबसे बड़े मज़दूर सम्मेलनों में से एक होगा, जहां हज़ारों लोग कॉर्पोरेट शोषण, मज़दूर विरोधी नीतियों और श्रम अधिकारों के हनन के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे।
"हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा" के नारे के साथ, यह सम्मेलन मज़दूरों के सम्मान, न्यायसंगत मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक न्याय के अधिकारों की मांग करने का एक सशक्त मंच होगा।
देश भर के मज़दूर मोदी सरकार की कॉर्पोरेट-हितैषी नीतियों के खिलाफ एकजुट होंगे, जो निजी मुनाफे को मज़दूरों के कल्याण से ऊपर रखती हैं।
मज़दूर अधिकारों की वापसी:
केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों, जैसे नए श्रम कोड और ठेका प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई जाएगी।
कॉर्पोरेट शोषण के खिलाफ संघर्ष:
सफाई, रेलवे और निर्माण जैसे क्षेत्रों में ठेका प्रथा और शोषण के खिलाफ संघर्ष को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा।
मज़दूर विरोधी श्रम कोड और कानूनों को रद्द करो:
नए श्रम कोड और आपराधिक कानूनों के खिलाफ जोरदार विरोध जताया जाएगा। नए श्रम कोड मज़दूरों को उनके बुनियादी संरक्षण और उनके संघर्ष से हासिल अधिकारों से वंचित करने का आभास देते हैं। इसी तरह, नए आपराधिक कानून मजदूर विरोधी हैं, जिनका इस्तेमाल मज़दूर आंदोलनों को निशाना बनाने और चुप कराने के लिए किया जा सकता है। मेहनतकश वर्ग इन पिछड़े कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग में एकजुट है।
सम्मानजनक मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा:
सम्मानजनक मजदूरी, पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली और असुरक्षित रोजगार की स्थितियों को खत्म करने की मांग की जाएगी।
विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ एकजुटता:
मोदी सरकार की नफरत भरी और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया जाएगा।
एक्टू से जुड़ी सुचेता डे ने बताया कि असुरक्षित रोजगार, स्थिर मजदूरी और पेंशन अधिकारों को खत्म करने से मज़दूरों को कमजोर बना दिया गया है। सुरक्षित, स्थायी नौकरियों, जीवनयापन लायक मजदूरी और OPS की बहाली के लिए संघर्ष लाखों मज़दूरों के लिए आर्थिक न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने का केंद्रीय मुद्दा है।
राजाराम सिंह (AIKM और CPIML सांसद, कराकट)
वकील हसन (सिलक्यारा सुरंग बचाव दल के मज़दूर)
कॉमरेड दीपंकर (महासचिव, CPIML लिबरेशन)
बेजवाड़ा विल्सन (सफाई कर्मचारी आंदोलन)
सुदामा प्रसाद (AIKM और CPIML सांसद, आरा)
अतुल सूद (अर्थशास्त्री)
निर्मला एम. (कार्यकारी अध्यक्ष, ऑल इंडिया म्युनिसिपल एंड सैनिटेशन वर्कर्स फेडरेशन)
अरूप चटर्जी (CPIML विधायक, धनबाद)
शशि यादव (सचिव, ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन और एमएलसी, बिहार)
अपूर्व गौतम (एशिया पैसिफिक कोऑर्डिनेटर, BDS मूवमेंट)
सर्वजीत सिंह (महासचिव, इंडियन रेलवे एम्प्लॉयीज फेडरेशन)
योजना कर्मचारी: मज़दूर के रूप में मान्यता, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की मांग।
सफाई कर्मचारी: ठेका प्रथा के खिलाफ संघर्ष और नियमितकरण की मांग।
निर्माण मज़दूर: सम्मानजनक मजदूरी और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों की मांग।
रेलवे कर्मचारी: निजीकरण और पेंशन अधिकारों के हनन के खिलाफ संघर्ष।
घरेलू कामगार: सामंती, जातिवादी और पितृसत्तात्मक शोषण के खिलाफ आवाज़।
गिग वर्कर्स: मज़दूर के रूप में मान्यता और असुरक्षित रोजगार के खिलाफ संघर्ष।
खदान मज़दूर: अमानवीय कामकाजी परिस्थितियों और बुनियादी अधिकारों की मांग।
फेरीवाले: विस्थापन और पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष।
AICCTU के राष्ट्रीय महासचिव राजीव दिमरी ने सभी मज़दूरों और समर्थकों से 24 फरवरी को तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले राष्ट्रीय मज़दूर सभा में शामिल होने का आह्वान किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है, जब मेहनतकश वर्ग को उसका हक वापस मिलेगा।
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