"एमसीडी को बंद कर दो", वेतन और पेंशन भुगतान न करने पर दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार

कोर्ट ने कहा कि सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन, पेंशन और बकाया का भुगतान करना एक वैधानिक दायित्व है और यदि एमसीडी ऐसा करने की स्थिति में नहीं है, तो परिणाम भुगतना होगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालयफोटो साभार- इंटरनेट

नई दिल्ली: नगर निगम में सेवारत कर्मचारियों को समय पर वेतन और पूर्व कर्मचारियों को पेंशन व बकाया भुगतान करने में विफलता पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त ज्ञानेश भारती को फटकार लगाई है। अदालत ने मामले में कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मामला चार साल से चला आ रहा है। हम एक अच्छे दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब निगम अपनी वित्तीय स्थिति में वृद्धि करेगा।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि, हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं। अपना घर ठीक करें, इसे व्यवस्थित करें अन्यथा हम कहेंगे कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां नगर निगम को बंद करने की आवश्यकता है।

पीठ ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन, पेंशन और बकाया का भुगतान करना एक वैधानिक दायित्व है और यदि एमसीडी ऐसा करने की स्थिति में नहीं है, तो परिणाम भुगतना होगा। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने संसाधनों को बढ़ाने के तरीके और साधन खोजने के लिए एमसीडी का इंतजार नहीं करेगी। सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन का भुगतान करना एक वैधानिक दायित्व है।

दस दिन में वेतन व पेंशन के भुगतान का वादा!

कोर्ट की फटकार के बाद एमसीडी के स्टैंडिंग काउंसिल दिव्य प्रकाश पांडे ने हलफनामा दिया कि कर्मचारियों का वेतन और पेंशन 10 दिनों में जारी कर दिया जाएगा। पांडे ने कहा कि वह बकाए के मुद्दे पर निर्देश लेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि एमसीडी बकाया चुकाने के लिए कदम उठा रही है और एक समय बकाया में भुगतान की जाने वाली कुल राशि लगभग एक हजार करोड़ थी जो अब घटकर 400 करोड़ रह गई है।

दिल्ली में मजदूरों, कर्मचारियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले अरशद द मूकनायक को बताते हैं कि, "बहुत समय से ऐसी खबरें हमारे पास भी आ रही हैं। हमारी पेंशन रोक दी गई है। या काम कर रहे कर्मचारियों को सैलरी समय पर नहीं मिल रही है। पता नहीं कितने महीना से उनकी सैलरी उनको प्राप्त नहीं हो रही है। हमारी हेल्पलाइन नंबर पर बहुत ज्यादा ऐसी कॉल आ रही है कि उनके पीएफ का पैसा उनको नहीं मिल पा रहा है। या उनके पीएफ के पैसे उनके अकाउंट में जमा नहीं हो रहे हैं। एक ही एमसीडी की बात नहीं है, दिल्ली के हर एमसीडी से ऐसे ही बात सामने आ रही है। मजदूर अपनी जीविका अपने जोड़े हुए पैसों से चला रहे हैं, और जिन मजदूरों के पास कुछ नहीं है, वह लोन पर पैसे लेकर अपना परिवार चला रहे हैं।"

आगे वह बताते हैं कि, "हमने नॉर्थ एमसीडी को अभी कुछ दिन पहले ही एक लेटर लिखा है। क्योंकि पीएफ की समस्या भी हमारे सामने बहुत ज्यादा आ रही थी। इसी को लेकर हमने एमसीडी को लेटर लिखा था। आगे हम इन सभी बातों को लेकर एमसीडी कमिश्नर को लिखने वाले हैं। अगर उनकी सैलरी समय पर नहीं आती है तो हम मजदूरों के साथ मिलकर प्रदर्शन करेंगे। जिससे इन मजदूरों की परेशानियों को भी खत्म किया जा सके. हमें यह जानने का पूरा हक है कि एमसीडी ऐसा क्यों कर रही है."

दिल्ली उच्च न्यायालय
बिग बर्ड डे: इस बार दिल्ली क्यों नहीं आए प्रवासी पक्षी, जानें क्या है कारण?
दिल्ली उच्च न्यायालय
मैनुअल स्कैवेंजिंग में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजे पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से क्या कहा?
दिल्ली उच्च न्यायालय
ग्राउंड रिपोर्ट: दिल्ली की इस कंपकंपाती ठंड में खुले आसमान के नीचे मलबे पर पलती जिंदगियाँ, कौन जिम्मेदार?

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com