
भोपाल। एम्स भोपाल के ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि वर्मा का मामला अब केवल एक चिकित्सकीय आपातस्थिति तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसने संस्थान के भीतर की प्रशासनिक कार्यप्रणाली, विभागीय दबाव और कार्यसंस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ड्यूटी के बाद घर पर जहरीला इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या का प्रयास करने वाली डॉ. रश्मि फिलहाल एम्स भोपाल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
‘सीरियस मिसकंडक्ट’ नोटिस के बाद बिगड़ी मानसिक स्थिति
जानकारी के अनुसार, 10 सितंबर 2025 की शाम करीब 5 बजे डॉ. रश्मि वर्मा को 'सीरियस मिसकंडक्ट' का एक नोटिस जारी किया गया था। इसी नोटिस के बाद से वे मानसिक रूप से बेहद परेशान बताई जा रही हैं। नोटिस और उससे जुड़े दस्तावेज सामने आने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि यह केवल एक सामान्य प्रशासनिक कार्रवाई थी या इसके पीछे विभागीय राजनीति और आंतरिक खींचतान भी शामिल है।
डॉ. रश्मि वर्मा ने नोटिस के जवाब में लिखित रूप से कहा था कि इस तरह की भाषा वाला नोटिस न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि मानसिक रूप से भी बेहद पीड़ादायक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी जानबूझकर किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया। जवाब में उन्होंने यह भी लिखा कि नोटिस मिलने के बाद वे गहरे तनाव में चली गईं और उनका मनोबल बुरी तरह टूट गया।
अकादमिक लीव को लेकर दी सफाई, लगाए स्क्रीनशॉट
डॉ. रश्मि ने 25 से 27 सितंबर 2025 तक एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए ली गई अकादमिक लीव को लेकर भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि 25 अगस्त को ही फैकल्टी ग्रुप में इसकी सूचना दे दी गई थी, जैसा कि विभागीय निर्देशों में उल्लेखित है। उनका दावा है कि यह मैसेज विभागाध्यक्ष (HOD) द्वारा देखा गया था। इसके समर्थन में उन्होंने फैकल्टी ग्रुप के स्क्रीनशॉट भी अपने जवाब के साथ संलग्न किए थे।
HOD से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट अनिवार्य
इसी बीच विभाग से जुड़ा एक और नोटिस सामने आया है, जिसने विवाद को और गहरा कर दिया है। इस नोटिस में कहा गया है कि डॉ. भूपेश्वरी पटेल और डॉ. बाबूलाल को छोड़कर बाकी सभी फैकल्टी सदस्यों को अब विभागाध्यक्ष डॉ. मोहम्मद यूनुस से मिलने के लिए पहले से अपॉइंटमेंट लेना अनिवार्य होगा। अपॉइंटमेंट के लिए फैकल्टी को विभाग के DEO नितेश कुमार पांडेय से संपर्क करना होगा। नोटिस में मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भी जारी की गई है।
व्यवस्था सुधार या दबाव बढ़ाने की रणनीति?
इस आदेश के बाद विभाग के भीतर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ फैकल्टी सदस्य इसे कार्यप्रणाली में सुधार और समय प्रबंधन से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कई इसे अनावश्यक नियंत्रण और मानसिक दबाव बढ़ाने वाला कदम मान रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब पहले विभाग में सीधा संवाद संभव था, तो अचानक इतनी सख्ती की जरूरत क्यों महसूस हुई।
वेंटिलेटर पर डॉ. रश्मि, हालत अब भी गंभीर
डॉ. रश्मि वर्मा की हालत फिलहाल गंभीर बनी हुई है। आत्महत्या के प्रयास के बाद बुधवार को उन्हें एम्स भोपाल में भर्ती कराया गया था। शनिवार सुबह उनकी स्थिति में हल्का सुधार देखा गया, लेकिन शाम होते-होते दोबारा वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ा।
MRI रिपोर्ट निराशाजनक, 72 घंटे निर्णायक
इलाज कर रहे डॉक्टरों के अनुसार, शनिवार शाम को कराई गई MRI रिपोर्ट निराशाजनक रही है। ऐसे मामलों में 72 घंटे का समय बेहद अहम माना जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि रविवार दोपहर 12 बजे दोबारा MRI कराई जाएगी, जिसके बाद उनकी स्थिति को लेकर कुछ स्पष्ट हो सकेगा।
डॉ. रश्मि के पति डॉ. मनमोहन शाक्य ने बताया कि गुरुवार को वे ड्यूटी से सामान्य रूप से घर लौटी थीं। घर का माहौल भी सामान्य था। कुछ देर बाद जब वे कमरे में गईं तो वे बेहोश अवस्था में मिलीं। रात करीब 10:30 बजे उन्हें गंभीर हालत में एम्स भोपाल लाया गया।
पुलिस ने दर्ज किए परिजनों के बयान
अवधपुरी थाना पुलिस ने मामले में पति समेत घर के अन्य सदस्यों के बयान दर्ज किए हैं। पुलिस के मुताबिक, परिजनों ने बताया कि डॉ. रश्मि किसी स्पष्ट तनाव में नहीं दिख रही थीं। उन्होंने यह कदम क्यों उठाया, इसका कारण फिलहाल साफ नहीं हो पाया है। पुलिस सभी पहलुओं की जांच कर रही है।
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