"क्या सफ़ाई कर्मचारी देशद्रोही हैं?" चेन्नई में आंदोलनरत कर्मचारियों पर पुलिस कारवाई को लेकर DMK सरकार के विरुद्ध जनाक्रोश!

नगर निगम द्वारा कचरा प्रबंधन का काम निजी कंपनियों को आउटसोर्स करने के फैसले से पिछले 15 साल से सेवाएं दे रहे 2,000 NULM (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) अनुबंध कर्मचारी बेरोजगार हो गए है, ये कर्मचारी पिछले 5 दिनों से निगम कार्यालय के बाहर धरना दे रहे थे लेकिन महापौर ने उनसे मुलाकात नहीं की। बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को प्रदर्शन स्थल से कर्मचारियों को हटाने की अनुमति मिलने के तुरंत बाद गुरूवार तडके पुलिस ने इन्हें बलपूर्वक हटा दिया।
बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को प्रदर्शन स्थल से कर्मचारियों को हटाने की अनुमति मिलने के तुरंत बाद गुरूवार तडके पुलिस ने आंदोलनरत कर्मचारियों को बलपूर्वक हटा दिया।
बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को प्रदर्शन स्थल से कर्मचारियों को हटाने की अनुमति मिलने के तुरंत बाद गुरूवार तडके पुलिस ने आंदोलनरत कर्मचारियों को बलपूर्वक हटा दिया।
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चेन्नई - चेन्नई में बुधवार रात सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को दबाने के लिए पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर राजनीतिक हल्कों में तीखी प्रतिक्रियाएं आई। पीएमके अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अन्बुमणि रामदॉस ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सफाई कर्मचारियों पर कार्रवाई करना बहादुरी नहीं बल्कि कायरता है और चेतावनी दी कि डीएमके सरकार के हटने का दिन दूर नहीं है।  इसी तरह टीवीके नेता विजय ने भी डीएमके सरकार की कार्रवाई को "फासीवादी" बताते हुए कड़ी निंदा की। 

आपको बता दें बुधवार रात पुलिस ने ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के जोन 5 और 6 में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के निजीकरण के खिलाफ रिपन बिल्डिंग पर प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों सफाई कर्मचारियों को जबरन हटा दिया। नगर निगम द्वारा कचरा प्रबंधन का काम निजी कंपनियों को आउटसोर्स करने के फैसले से पिछले 15 साल से सेवाएं दे रहे 2,000 NULM (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) अनुबंध कर्मचारी बेरोजगार हो गए है, ये कर्मचारी पिछले 5 दिनों से निगम कार्यालय के बाहर धरना दे रहे थे लेकिन महापौर ने उनसे मुलाकात नहीं की। बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को प्रदर्शन स्थल से कर्मचारियों को हटाने की अनुमति मिलने के तुरंत बाद गुरूवार तडके पुलिस ने इन्हें बलपूर्वक हटा दिया।

 द न्यू इंडियन एक्सप्रेस  की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार तड़के 1 बजे तक करीब 40 बसों के जरिए प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को वहां से ले जाया गया। उन्हें शहर भर के सामुदायिक केंद्रों में अस्थायी रूप से रखा गया है, लेकिन फिलहाल उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।पुलिस कार्रवाई के दौरान कुछ महिला कर्मचारी बेहोश हो गईं जबकि कुछ घायल हो गईं।

गुरूवार को अपने x हैंडल से किये एक पोस्ट में डॉ. अन्बुमणि रामदॉस ने पुलिस कारवाई का विरोध करते हुए कहा, " यह बेहद चौंकाने वाला है कि तमिलनाडु सरकार ने उन सफाई कर्मचारियों को गिरफ्तार करके हटा दिया है जो पिछले 12 दिनों से चेन्नई नगर निगम कार्यालय के पास चेन्नई के रॉयपुरम और तिरुविक नगर ज़ोन में कचरा संग्रहण का काम निजी कंपनियों को सौंपे जाने की निंदा करते हुए और स्थायी रोज़गार की माँग करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे लोगों पर दमन ढाना निंदनीय है; यह अक्षम्य है। अगर तमिलनाडु सरकार चाहती तो सफाई कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन का पहले ही दिन कोई हल निकाल सकती थी। निगम को चेन्नई में कचरा संग्रहण का काम अपने हाथ में लेना चाहिए; उनकी माँग है कि उन्हें स्थायी रोज़गार दिया जाए। सरकार को इसे पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं है। अगर आप आगे पूछेंगे, तो निजी कचरा संग्रहण कंपनी को दी गई राशि से बेहतर सफाई का काम हो सकता है और उन्हें ज़्यादा वेतन भी मिल सकता है। लेकिन सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं है। "

"चूँकि सफ़ाई कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन बारह दिनों से जारी है, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को प्रदर्शनकारी समूह को बुलाकर उनसे बात करनी चाहिए थी; अगर वे बात करते, तो शायद यह समस्या सुलझ जाती। लेकिन, मुख्यमंत्री के पास फ़िल्में देखने का समय ही नहीं है। शायद सामाजिक न्याय के महारथी एम.के. स्टालिन ने सोचा होगा कि वे सफ़ाई कर्मचारियों से मिलने और बात करने के योग्य नहीं हैं? एक बात तो तय है। सफ़ाई कर्मचारियों जैसे ग़रीब और सीधे-सादे लोगों पर अत्याचार करना और उन्हें नौकरी से निकालना बहादुरी नहीं... कायरता है। उनकी माँगें पूरी करना ही बहादुरी है। वह दिन दूर नहीं जब तमिलनाडु की जनता उस डीएमके सरकार को हटा देगी जिसने उनका दमन किया और उन्हें बिना कुछ किए ही हटा दिया।"

इसी तरह अभिनेता और टीवीके नेता विजय ने भी डीएमके सरकार पर जमकर हमला बोला और आधी रात को हुई पुलिस कार्रवाई को "फासीवादी" बताया। विजय ने x पर एक पोस्ट में लिखा, " अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे सफ़ाई कर्मचारियों को रात-रात भर अराजकता और अमानवीय तरीक़े से गिरफ़्तार करने के लिए फ़ासीवादी डीएमके सरकार की निंदा!

महिला सफ़ाई कर्मचारी न केवल बम की तरह घसीटकर गिरफ़्तार किए जाने पर बेहोश हो गईं, बल्कि ऐसी ख़बरें भी हैं कि वे गंभीर रूप से घायल भी हुईं। आधी रात को हुई इस गिरफ़्तारी कार्रवाई को देखकर साफ़ ज़ाहिर होता है कि महिलाओं पर इस हद तक हिंसा की गई है कि कोई भी विवेकशील व्यक्ति इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। घायलों को तुरंत ज़रूरी चिकित्सा सहायता और इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाने चाहिए।

गिरफ़्तार किए गए सफ़ाई कर्मचारियों को बिना अपने परिवारों से बात करने किए और बिना किसी मदद केअलग-अलग जगहों पर हिरासत में रखा गया है।

क्या सफ़ाई कर्मचारी देशद्रोही हैं जिन्हें इस हद तक हिरासत में रखा गया है कि वे अपने परिवारों से भी बात नहीं कर सकते? क्या सत्ताधारी सरकार में ज़रा भी विवेक है? यह क्रूर कृत्य साफ़ तौर पर दर्शाता है कि तमिलनाडु में जो हो रहा है वह लोकतंत्र नहीं बल्कि अत्याचार है।

सफ़ाई कर्मचारी उस वादे को पूरा करने के लिए लड़ रहे हैं जो उन्होंने विपक्ष में रहते हुए किया था। आपने अभी तक इसे पूरा क्यों नहीं किया? अगर आप अपना वादा पूरा नहीं कर सकते, तो वादे क्यों कर रहे हैं? अराजकता के आरोप में गिरफ़्तार किए गए सफ़ाई कर्मचारियों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। उन्हें विरोध प्रदर्शन और अपनी माँगें रखने के लिए कोई वैकल्पिक जगह दी जानी चाहिए।"

ट्विटर पर एक पोस्ट में भाजपा नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने आरोप लगाया कि यह मुद्दा "डीएमके सरकार की पूर्ण विफल प्रबंधन" को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन को श्रमिकों से मिलकर उनसे सकारात्मक बातचीत करनी चाहिए थी और उन्हें अधिक सहानुभूतिपूर्वक हटाने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी।

डीएमडीके महासचिव प्रेमलता विजयकांत ने भी सफाई कर्मचारियों की रातों-रात हुई गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की। एक बयान में, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन और संबंधित विभागों के मंत्रियों को तुरंत विरोध कर रहे श्रमिकों के साथ बातचीत करके उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए।

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